विवादों में घिरी महाराष्ट्र की ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की फरार मां मनोरमा खेडकर को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. वह रायगढ़ के महाड के एक होटल में नकली पहचान के साथ रह रही थीं.
मनोरमा खेडकर को महाड के एक होटल से हिरासत में लिया गया था. वह इस होटल में एक शख्स के साथ ठहरी थीं, जिसे उन्होंने अपना बेटा बताया था. इस होटल के मालिक अनंत का कहना है कि उन्होंने (मनोरमा) अपना नाम इंदुबाई बताया था और जिस शख्स के साथ वह इस होटल में ठहरी थीं. उसे उन्होंने अपना बेटा बताया था.
मनोरमा की गिरफ्तारी को लेकर होटल के मालिक का कहना है कि गुरुवार तड़के 3.30 बजे लेडी कॉन्स्टेबल के साथ पुलिस की एक टीम यहां पहुंची थी और सुबह लगभग 6.30 बजे यहां से चली गई. इस दौरान पुलिस मनोरमा को भी अपने साथ ले गई.
कई दिनों से फरार थीं मनोरमा खेडकर
पिस्तौल लहराने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मनोरमा पर दबाव बढ़ गया था. कानूनी कार्यवाही की आशंका के बीच वह गायब हो गई थीं. पुलिस जब उनके आवास पर पहुंची तो वह वहां नहीं थी. वह लगातार पुलिस से छिप रही थीं. उनका फोन भी बंद था. ऐसे में वह किसी भी तरह से जांच में सहयोग नहीं कर रही थीं. पूजा के परिवार की तलाश में पुलिस सर्च ऑपरेशन चला रही थी.
पिस्तौल लहराते हुए वायरल हुआ था मनोरमा का वीडियो
विवादित प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की मां मनोरमा खेडकर के खिलाफ भूमि विवाद में मामला दर्ज किया गया है. पुणे पुलिस उनकी तलाश में जुटी थी और सर्च ऑपरेशन चला रही थी.
दरअसल,पूजा खेडकर की मां मनोरमा खेडकर का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक जमीनी विवाद को लेकर वो हाथ में बंदूक लिए कुछ लोगों को धमका रही थीं. ये वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने मनोरमा और उनके पति दिलीप खेडकर समेत सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.
मां के अलावा पूजा खेडकर के रिटायर्ड पिता दिलीप खेडकर के खिलाफ के खिलाफ भी एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को सबूत मिले हैं कि उन्होंने अपनी सेवा के दौरान आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है. एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि इसके संकेत मिले हैं कि ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर ने महाराष्ट्र सरकार में अपनी सेवा के दौरान आय से अधिक संपत्ति अर्जित की. वह साल 2020 में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) के डायरेक्टर पद से रिटायर हुए थे.
पूजा खेडकर ने गलत पते से फर्जी राशन कार्ड बनवाया था
इससे पहले इंडिया टुडे की इन्वेस्टिगेशन में पता चला था कि पूजा खेडकर ने पिंपरी के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल (YCM) हॉस्पिटल से फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनवाया था. इसके लिए उसने अपना एड्रेस पिंपरी चिंचवाड़ का बताया था. खेडकर ने अस्पताल को जो एड्रेस प्रूफ दिया था, उसमें उसके घर का पता प्लॉट नंबर 53, देहू-आलंदी, तलवडे था. हालांकि, अब पता चला है कि यह एड्रेस असल में किसी रिहायशी प्रॉपर्टी का नहीं बल्कि बंद हो चुकी कंपनी थर्मोवेरिटा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड का था.
जांच में पता चला था कि पूजा खेडकर ने इस कंपनी के एड्रेस का इस्तेमाल कर राशन कार्ड बनवाया था. इसी राशन कार्ड का इस्तेमाल कर खेडकर ने लोकोमोटर डिसैबिलिटी का दावा कर वाईसीएम अस्पताल से दिव्यांगता सर्टिफिकेट हासिल किया था. लोकोमोटर डिसैबिलिटी में किसी भी शख्स के पैर सही तरीके से काम नहीं करते हैं.
वहीं, पूजा खेडकर जिस ऑडी कार का इस्तेमाल करती थी. वह भी इसी थर्मोवेरिटा कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड थी. इस कंपनी पर बीते साल में ढाई लाख से ज्यादा का टैक्स बकाया है.
LBSNAA ने रद्द की पूजा की ट्रेनिंग
इससे पहले उत्तराखंड के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन एकेडमी ने पूजा खेडकर का महाराष्ट्र से ट्रेनिंग प्रोग्राम रद्द कर दिया था. इसके साथ ही एकेडमी ने उन्हें तत्काल वापस बुलाने के लिए लेटर भी जारी किया. इसके अलावा एकेडमी ने महाराष्ट्र सरकार को भी इस संबंध में पत्र लिखकर सूचित किया है.
LBSNAA द्वारा पूजा खेडकर को जारी आदेश में कहा गया है कि आपके जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को स्थगित रखने तथा आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए आपको तुरंत वापस बुलाने का निर्णय लिया है. आपको महाराष्ट्र राज्य सरकार के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम से मुक्त किया जाता है.
IAS पूजा को लेकर रोज हो रहे खुलासे
पूजा खेडकर को लेकर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. आरोप है कि पूजा खेडकर ने दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का सर्टिफिकेट जमा करके यूपीएससी परीक्षा में हिस्सा लिया था. उसके आधार पर विशेष रियायतें पाकर वो आईएएस बनीं. यदि उन्हें यह रियायत नहीं मिलती तो उनके लिए प्राप्त अंकों के आधार पर आईएएस पद प्राप्त करना असंभव होता.
पूजा पर आरोप है कि चयन के बाद पूजा को मेडिकल जांच से गुजरना था, लेकिन उन्होंने इसे टाल दिया. उन्होंने विभिन्न कारणों से छह बार मेडिकल परीक्षण से इनकार कर दिया. बाद में बाहरी मेडिकल एजेंसी से एमआरआई रिपोर्ट जमा करने का विकल्प चुना, जिसे यूपीएससी ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया. हालांकि बाद में यूपीएससी ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया. इसके चलते सरकार से इसकी जांच की मांग की जा रही है.
इसके अलावा उनकी उम्र को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. दस्तावेजों से पता चलता है कि पूजा खेडकर द्वारा 2020 और फिर 2023 में केंद्रीय अपीलीय ट्रिब्यूनल को जो विवरण दिए गए. इसमें तीन साल के अंतराल के बावजूद सिर्फ एक साल आयु बढ़ना दिखाया गया है. हालांकि, खेडकर ने अपनी बेंचमार्क डिसैबिलिटी साबित करने के लिए कोई टेस्ट नहीं कराया. यूपीएससी ने उनके चयन को केंद्रीय अपीलीय न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी थी, जिसने फरवरी 2023 में उनके खिलाफ फैसला सुनाया था. खेडकर ने 2020 और 2023 के कैट आवेदन फॉर्म में खुद के लिए बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए ऊपरी आयु सीमा में छूट मांगी है.