राज्यसभा में मंगलवार को शून्यकाल के दौरान ही संविधान को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जबरदस्त तल्खी देखने को मिली. विपक्ष ने इसे बाबा साहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को कंट्रोवर्सी में लाने की कोशिश बताया. वहीं, सत्ता पक्ष ने विपक्ष के स्टैंड पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनको तकलीफ क्यों हो रही है. विपक्षी कांग्रेस के सदस्य उच्च सदन की कार्यवाही से वॉकआउट कर गए. सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के वॉकआउट को बाबा साहब का सीधा अपमान बताया.
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्यसभा सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल ने संविधान की मूल प्रति पर इलस्ट्रेशन होने का उल्लेख करते हुए कहा कि जो प्रतियां छप रही हैं और प्रसारित हो रही हैं, उन पर ये इलस्ट्रेशन नहीं छप रहे हैं. उन्होंने मोहन जोदड़ो की सभ्यता से लेकर भगवान राम के अयोध्या लौटने, कुरुक्षेत्र में अर्जुन को उपदेश देते भगवान श्रीकृष्ण से लेकर भगवान बुद्ध तक की तस्वीरें छप रहे संविधान पर नहीं होने का मुद्दा उठाया. इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि ये कलाकृतियां संविधान की मूल प्रति का अभिन्न अंग हैं. संसद ने जो संशोधन किए हैं, उनके साथ जो संविधान है, वही वास्तविक संविधान है और उनके साथ ही संविधान को प्रसारित, प्रचारित किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि आजकल जो लोग संविधान की प्रतियां लेकर चल रहे हैं, उनमें वो 22 कृतियां दिखाई नहीं देती हैं. संविधान निर्माताओं की हस्ताक्षरित प्रति ही असली है और जो संशोधन किए गए हैं संविधान में, इसके अलावा अगर कोई बदलाव कर संविधान प्रचारित-प्रसारित किया जाए तो उस पर सरकार एक्शन ले. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि बाबा साहब के संविधान को ये अनावश्यक कंट्रोवर्सी में लाना चाहते हैं. कंट्रोवर्सी करना आंबेडकर को बदनाम करने की कोशिश है.
सभापति जगदीप धनखड़ ने इस पर कहा कि डॉक्टर आंबेडकर का भारी अपमान होगा यदि वह प्रति प्रसारित न की जाए जिस पर उनके दस्तखत हुए हैं. नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि जो विषय राधा मोहन दास अग्रवाल ने उठाए हैं, वे बहुत महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने संविधान की मूल प्रति भी दिखाई जिस पर इलस्ट्रेशन छपे थे. इस दौरान कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कुछ कहा. जेपी नड्डा ने कहा कि जयराम जी आपको इतना गुस्सा क्यों आ रहा है. इस पर चुटकी लेते हुए सभापति ने कहा कि यह तो देश के स्वास्थ्य मंत्री बताएंगे.
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टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने इस पर कहा कि हमारे सामने जो कम्प्यूटर है, उस पर संविधान के 404 पेज हैं. इलेस्ट्रेशन कोई भी नहीं है. संसद में संविधान की ये प्रति भी इलीगल है? मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवाल किया कि संविधान की प्रति राज्यसभा से पब्लिश कर आप भी सदस्यों को देते हैं, क्या उसमें ये है? इस पर नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि सभापति जी ने कहा कि गलती किसी से भी हुई हो, सुधारना चाहिए. इनको कहना चाहिए था कि राधा मोहन जी आपने सही पॉइंट उठाया. इनको (विपक्ष को) तकलीफ क्यों हो रही है?
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नेता सदन ने आगे कहा कि विपक्ष को तकलीफ इसलिए हो रही है क्योंकि संविधान की मूल प्रति पर अंकित कलाकृतियों में हमारा गौरवमयी इतिहास है. वह इनको तकलीफ पहुंचा रहा है. इस दौरान विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया. सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमारी जो पांच हजार साल की सांस्कृतिक विरासत है, उसका दर्पण 22 चलचित्रों में है. फंडामेंटल राइट्स में देखेंगे तो राम, सीता और लक्ष्मण आ रहे हैं. कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण, अर्जुन को उपदेश दे रहे हैं. शुरुआत में गुरुकुल है. इसमें अकबर का भी वर्णन है. जिस प्रति पर बाबा साहब ने हस्ताक्षर किए हैं, वही मूल संविधान है.
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राज्यसभा के सभापति ने कहा कि उस संविधान को ही भारत की जनता को देखना चाहिए. संविधान की मूल प्रति में वही बदलाव सही हैं जिसे संसद ने किया हो. किसी भी कारण से, किसी भी संस्था ने कोई बदलाव किया है तो वह संविधान का अंग नहीं हो सकत. जो मुद्दा डॉक्टर अग्रवाल ने उठाया है, उसके सकारात्मक परिणाम आएं. विपक्ष के नेता वॉकआउट कर गए, इसका कोई ग्राउंड नहीं है. मेरे हिसाब से ये बाबा साहब का सीधा अपमान है. नेता सदन जेपी नड्डा ने सदन को आश्वस्त किया कि सरकार इन इलेस्ट्रेशंस के साथ संविधान की प्रतियां पब्लिश हों, ये सुनिश्चित करेगी.