scorecardresearch
 

Explainer: पैंगोंग के दक्षिणी हिस्से का रणनीतिक महत्व, जिसके लिए डटा है भारत

पैंगोंग झील का दक्षिणी इलाका भारत के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां भारतीय सेना का कब्जा है. हमेशा से यहां भारतीय सेना की मौजूदगी ज्यादा रही है. जबकि पेंगोंग झील के उत्तरी क्षेत्र में भारतीय सैनिक सिर्फ पेट्रोलिंग करते हैं.

Advertisement
X
पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में ताजा विवाद (फोटो-PTI)
पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में ताजा विवाद (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में भारत का कब्जा
  • उत्तरी इलाके में सिर्फ पेट्रोलिंग करती है सेना
  • युद्ध के लिहाज से दक्षिण इलाका बेहद अहम

29-30 अगस्त की रात चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ की हिमाकत की. ये इलाका पैंगोंग झील का दक्षिणी हिस्सा था. भारतीय सेना यहां पहले से डटी थी. लिहाजा, चीन की हर चाल बेकार गई. भारतीय सैनिकों ने चीन की टुकड़ी को पीछे जाने पर मजबूर कर दिया. अब चीन बातचीत की टेबल पर आ गया है और भारतीय सेना को विवादित प्वाइंट से हटाने की मांग कर रहा है, लेकिन भारत राजी नहीं है. 

Advertisement

रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में स्पष्ट कहा गया है कि चीन पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में पिछले समझौते का उल्लंघन करते हुए यथास्थिति बदलने की कोशिश कर रहा था, जिसे सेना ने नाकाम कर दिया है. बयान में कहा गया है कि सेना अपने क्षेत्र की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है. ये इलाका भी भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है. 

इंडिया एक्सप्रेस ने इस बारे में कई अहम जानकारी अपनी रिपोर्ट में लिखी है. मई महीने से ही पूर्वी लद्दाख का पैंगोंग झील इलाका विवाद का बड़ा केंद्र रहा है. यह झील करीब 4270 मीटर ऊंचाई पर है और करीब 135 किलोमीटर लंबी है. इसका पूरा क्षेत्र करीब 600 स्क्वायर किमी है. झील के करीब दो-तिहाई हिस्से पर चीन का कब्जा है, जबकि करीब 45 किमी का हिस्सा भारत के अधीन है. झील के पश्चिमी हिस्से को LAC बांटती है. ताजा विवाद जो हुआ है वो पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से में है. यह विवादित एरिया है ब्लैक टॉप के नजदीक है, जो चुशूल से करीब 25 किमी पूर्व में है. ब्लैक टॉप पर हालांकि चीन का नियंत्रण है. लेकिन यहां भारतीय सेना की मौजूदगी ने उसे परेशान कर दिया है. 

Advertisement

सिर्फ पेट्रोलिंग नहीं, भारतीय सेना का कब्जा

पैंगोंग झील का दक्षिणी इलाका भारत के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां भारतीय सेना का कब्जा है. हमेशा से यहां भारतीय सेना की मौजूदगी ज्यादा रही है. जबकि झील के उत्तरी क्षेत्र में भारतीय सैनिक सिर्फ पेट्रोलिंग करते हैं. यही वजह है कि चीन मौजूदा बातचीत में भी यहां से भारतीय सैनिकों को हटाने की डिमांड रख रहा है. दक्षिणी हिस्सा चुशूल और रेजांग लॉ के करीब पड़ता है. 

चुशूल क्षेत्र एक ऐसा इलाका जिसका इस्तेमाल अटैक करने के लिए लॉन्च पैड के रूप में किया जा सकता है. क्योंकि यहां काफी जगह समतल है, जो सैन्य गतिविधियों के लिए मुफीद मानी जाती है. 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी दोनों हिस्सों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया था और भारत को शिकस्त झेलनी पड़ी थी. मगर, अब वक्त बदल गया है. भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में उन जगहों पर खुद को स्थापित कर लिया है जहां से जरूरत पड़ने पर चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया जा सकता है. 

यही वजह है कि चीन बौखलाया हुआ है. भारत ने उसकी कोशिशों को नाकाम कर दिया है तो वो कहने लगा है कि भारतीय सैनिक उनके इलाके में घुस आए हैं. अब चीन मीटिंग में यह मुद्दा उठा रहा है. चीन चाहता है कि वहां से भारतीय सैनिक हट जाएं, जहां ताजा विवाद हुआ है. 

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement