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चंद्रयान-3 की कामयाबी ISRO को कितनी उछाल देने वाली है?: दिन भर

चंद्रयान 3 के लिए आख़िरी के 15 मिनट क्यों सबसे ज़रूरी हैं, ब्रिक्स सम्मेलन से अमेरिका क्यों चिंतित है, देश के कई राज्यों में एक साथ किसान सड़कों पर उतर आए हैं, क्या नाराज़गी है, 18 साल के भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंद दुनिया के नंबर एक चेस खिलाड़ी पर कब कब भारी पड़ चुके हैं, सुनिए नितिन ठाकुर से 'दिन भर' में.

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चंद्रयान 3 की सफलता के लिए देशभर में पूजा पाठ शुरू हो गया है. कल शाम छह बजकर चार मिनट पर लैंडिंग होनी है मगर एक पेंच फंस रहा है. कहा जा रहा है कि आखिरी के 15-20 मिनट मिशन के लिए सबसे इंपॉर्टेंट हैं और अगर इसमें कोई समस्या आई तो लैंडिंग 4 दिन के लिए टाल दी जाएगी. रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर चंद्रयान का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन पूरा हुआ था. इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किमी और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है. डीबूस्टिंग में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को धीमा किया जाता है.  

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चंद्रयान-3 को लॉन्च किए जाने के 28 दिन बाद रूस ने लूना-25 को लॉन्च किया था और इसे 21 अगस्त को चांद की सतह पर उतरना था. मगर लूना 20 अगस्त को क्रैश हो गया. अब सबकी नज़र चंद्रयान 3 पर है जिसकी सफलता भारत के लिए स्पेस रिसर्च में कई दरवाज़े खोल सकती है. हम इस बिंदु पर भी बात करेंगे लेकिन सबसे पहले लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट की बात करते हैं. इसे इंपॉर्टेंट क्यों बताया जा रहा है, सुनिए 'दिन भर' में.

 

ब्रिक्स में USA की चर्चा क्यों?
 

चांद से उतरकर अब साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग चलते हैं जहां ब्रिक्स सम्मेलन की शुरुआत हो चुकी है. ब्राज़ील, रूस, भारत, साउथ अफ्रीका और चीन. ये चार देश ब्रिक्स के परमानेंट मेंबर हैं जो वर्ल्ड ट्रेड में 16 परसेंट का स्टेक रखते हैं और दुनिया की जीडीपी में इनका शेयर जी 7 देशों से भी ज्यादा है, लेकिन फिर भी ये पर्याप्त नहीं है क्योंकि इस एलाइंस के तीन देश... ब्राजील, साउथ अफ्रीका और रूस अपने एक्सपेक्टेड इकॉनमी ग्रोथ से पीछे है.  इन सब के इतर बात अमेरिका को लेकर भी उठ रही है. वो इसलिए क्योंकि 23 देशों को ब्रिक्स में शामिल करने की चर्चा है जिनमें  ईरान, क्यूबा और वेनेजूला भी शामिल है. 

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और अगर ये तीनों देश इसमें शामिल होते हैं तो ये ग्रुप एंटी-यूएस बन जाएगा, ऐसा एक्सपर्ट का कहना है. रूस-यूक्रेन युद्ध में भी ब्रिक्स के किसी देश ने अमेरिका का साथ नहीं दिया है.  वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने सम्मेलन से दूर रहने का फैसला लिया है. ये एक तरह से साउथ अफ्रीका के लिए राहत भरा है क्योंकि अगर पुतिन सम्मेलन में भाग लेते तो दक्षिण अफ्रीका को दुनिया भर के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होती कि क्या वो यूक्रेन के ख़िलाफ़ कथित युद्ध अपराध के लिए रूस के राष्ट्रपति को गिरफ़्तार करके अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करेगा? 

ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक रूस-यूक्रेन युद्ध पर साउथ अफ्रीका का रुख बड़ा धुंधला रहा है. पहले आक्रमण की निंदा की गई, फिर निंदा करने से इनकार कर दिया, फिर नेटो को दोषी ठहराया गया, इसके बाद पुतिन की प्रशंसा की गई, खुद को शांति मध्यस्थ के रूप में पेश किया गया, रूसी नौसैनिक अभ्यास की मेजबानी की.  और ये सब भी तब जब दक्षिण अफ्रीका के साथ कारोबार या निवेश के मामले में अभी भी बढ़त यूरोपीय यूनियन और अमेरिका को ही हासिल है. तो हम इस बात पर भी आएंगे लेकिन पहले बात ब्रिक्स को लेकर कि जिस कारण ब्रिक्स का जन्म हुआ उसे हासिल करने में समूह की रफ्तार धीमी क्यों हो गई है, सुनिए 'दिन भर' में.

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बिहार दंगे का ज़िम्मेदार कौन?
 

देश के कई राज्यों में बाढ़ ने किसानों की फसलें बर्बाद कर दी. सरकार से मुआवजे की मांग हो रही है. किसानों ने पहले पंजाब के संगरूर में धरना दिया. इसके बाद हरियाणा और पंजाब के किसानों ने आज चंडीगढ़ कूच करने का ऐलान किया मगर इससे पहले ही धरपकड़ शुरू हो गई.  पुलिस ने आज सुबह से ही किसान नेताओं को हिरासत में लेना शुरू किया लेकिन स्थिति बदतर हो गई. संगरूर के लौंगोंवाल में पुलिस और BKU आजाद के नेताओं के बीच झड़प हुई. अफरा तफरी मची और एक किसान चलते ट्रैक्टर के नीचे आ गया जिससे उसकी मौत हो गई.   

झड़प में पुलिस इंस्पेक्टर समेत 2 लोग भी घायल हुए. पुलिस ने भाकियू आजाद के नेता जसविंदर सिंह लोंगोवाल को हिरासत में लिया जिसके विरोध में किसानों ने थाने के बाहर धरना लगा दिया है.  अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल ने ट्वीट करके सीएम भगवंत मान के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग रखी है. चंडीगढ़ पुलिस-प्रशासन किसानों से 20 अगस्त से ही बातचीत कर विरोध प्रदर्शन को टालने के प्रयास में लगा हुआ था लेकिन प्रयास असफल रहा. तो पूरी कहानी क्या है. झड़प की शुरुआत कैसे हुई और अभी ग्राउंड की क्या स्थिति है, सुनिए 'दिन भर' में.

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शतरंज का नया बादशाह

आपको मालूम है, 20 साल बाद आज भारत का कोई खिलाड़ी चेस वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में खेलने जा रहा है. आख़िरी बार साल 2002 में विश्वनाथन आनंद ने ये मुक़ाम हासिल किया था और आज 18 साल के आर. प्रज्ञानानंदा ने कर लिया है. अजरबैजान के बाकू फिडे वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप में भारत के प्रज्ञानानंदा का मुक़ाबला दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन से है. प्रज्ञानानंदा और कार्लसन इससे पहले 19 मौके पर हेड टू हेड खेल चुके हैं, इसमें से कार्लसन ने 8 और प्रज्ञानानंदा ने 5 जीते हैं वहीं 6 मुक़ाबले ड्रॉ हुए हैं.   

इससे पहले प्रज्ञानानंदा ने सेमीफ़ाइनल में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फैबियानो कारूआना को टाई-ब्रेक में 3.5-2.5 से हराया. हालांकि उल्टफ़ेर की शुरुआत इस भारतीय खिलाड़ी ने तभी कर दी थी जब उन्होंने विश्व के दूसरे नंबर के अमेरिकी खिलाड़ी हिकारू नाकामुरा को टाई ब्रेकर मैच में हराया था. तमिलनाडु के चेन्नई में रहने वाले इस युवा खिलाड़ी ने चेस की दुनिया में कैसे क़दम रखा, सुनिए 'दिन भर' में.

 

 

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