राज्यसभा में बजट पर बोलते हुए महाराष्ट्र से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि ये झूठ का पुलिंदा है, हमारे घोषणा पत्र की नकल करने की कोशिश है. लेकिन कहा जाता है कि नकल भी वही कर पाता है जिसके पास अकल हो. उन्होंने कहा कि इस सरकार को आलोचना सुनने की आदत नहीं है. इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि कुछ सवाल करो तो ये कहते हैं कि 70 साल में क्या किया. जो अपनी ही सरकार का चलाया हुआ दो हजार का नोट सात साल नहीं चला सके, वो हमसे 70 साल का हिसाब मांगते हैं.
उन्होंने कहा कि अग्निवीर लाकर युवाओं की उम्मीदें छीन लीं, बुलडोजर लगाकर लोगों के आशियाने छीन लीं, महंगाई से लोगों की थाली से निवाले छीन लीं और कहते हैं कि हम सेवक हैं. इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि पिछले सात दिन से बजट का ढिंढोरा पीटा जा रहा है, महान बताया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ये तारीफ किसने की तो सत्ता पक्ष के लोगों ने. उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के सांसदों से पूछिए कि उसके राज्य को क्या मिला है तो वह कहेगा कि कुछ भी नहीं मिला है.
इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि 83 मिनट, 71 बार मेज थपथपाई गई और 14 हजार शब्दों से अधिक का बजट भाषण. ऐसा लगता है कि वित्त मंत्रीजी ने बजट नहीं, प्रधानमंत्री जी के मन की बात का दस्तावेज तैयार किया है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने महंगाई पर सिर्फ 10 शब्द बोले हैं. जिस देश में टमाटर सौ रुपये बिक रहा हो, उस देश की वित्त मंत्री के पास महंगाई को लेकर बोलने के लिए 10 शब्द हैं. इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि सावन चलरहा है तो लहसुन प्याज का दाम पूछना भी शायद पाप होगा.
उन्होंने कहा कि सुना है कि वित्त मंत्री जी जो चीज नहीं खातीं, उसका रेट भी नहीं जानतीं. बजट पेश करने से पहले दही-चीनी खाई थीं, इसका रेट पता करवा लें. इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि यहां बैठे सांसद कह रहे थे कि महंगाई नहीं है. उनसे कहना चाहता हूं कि संसद की कैंटीन के बाहर जाकर एक कप चाय की खरीदिए तब पता चले कि महंगाई है कि नहीं. उन्होंने यूपी सरकार के कांवड़ यात्रा मार्ग पर नाम की तख्ती लगाने वाले यूपी सरकार के आदेश का जिक्र करते हुए भी सरकार को घेरा.
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इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम छिपाने वाली सरकार इन दिनों फलों के ठेले लगाने वालों से उनका नाम पूछ रही है. उन्होंने कहा कि किसी ने कोरोना काल में ऑक्सीजन लाने वाले से कभी नाम पूछा था क्या, किसी ने लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वालों से नाम पूछा था क्या. महाराष्ट्र से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि तब किसी ने नहीं पूछा लेकिन आज पूछा जा रहा है और प्रधानमंत्रीजी ने इसे लेकर कभी न टूटने वाली चुप्पी ओढ़ ली है.
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उन्होंने कहा कि जनता ने 63 सीटें कम क्या कर दीं, ये सरकार अमृतकाल का नाम लेना ही भूल गई. इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि महाराष्ट्र से चुनकर आता हूं और महाराष्ट्र का बजट में एकबार नाम तक नहीं लिया गया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्रीजी तो महाराष्ट्र से बदला लेने उतर आए. इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि यवतमाल का दाभड़ी गांव शायद उनको याद भी न हो जहां 2014 में वे किसानों के साथ चाय पर चर्चा करने गए थे. उन्होंने कहा कि आज वहां किसान आत्महत्या कर रहे हैं.
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इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि जो किसान का नहीं, वह हिंदुस्तान का नहीं. उन्होंने कहा कि जिस स्मार्ट सिटी योजना का सरकार ने ढोल पीटा था, उसका अब नाम बदल दिया गया है. इमरान प्रतापगढ़ी ने तंज करते हुए कहा कि नाम बदलने का खेल खेलते रहिए, आपकी कई सरकारें तो इसी नाम बदलने की वजह से ही चल रही हैं. उन्होंने कहा कि सीमांचल भी उसी बिहार में आता है जहां की बैसाखी से आपकी सरकार चल रही है. सीमांचल के साथ सौतेला व्यवहार मत करिए. इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि लोग चीखते रहे लेकिन लखनऊ में 1250 परिवारों के मकान रिवर फ्रंट बनाने के नाम पर उजाड़ दिए गए.