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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के छापे की पूरी कहानी, जिसमें मिले 94 करोड़ कैश और 8 करोड़ के गहने

कर्नाटक, तेलंगाना, दिल्ली और आंध्र प्रदेश में 55 से अधिक स्थानों पर ठेकेदारों और रियल एस्टेट डेवलपर्स पर चल रही छापेमारी में आयकर विभाग ने लगभग 94 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए हैं. साथ ही 8 करोड़ रुपये के सोने और हीरे के आभूषण और 30 लक्जरी घड़ियां भी बरामद की गई हैं. इसी तरह यूपी में आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति यूनिट ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 प्रॉपर्टीज को कुर्क किया गया जो दलितों की थीं.

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12 अक्टूबर को मारी गई थी रेड.
12 अक्टूबर को मारी गई थी रेड.

बेनामी प्रॉपर्टी, ब्लैक मनी और बेहिसाब आभूषणों की खरीद फरोख्त... इन सबको लेकर आयकर विभाग हमेशा एक्टिव रहता है. समय-समय पर काला धन रखने वालों के खिलाफ आईटी विभाग सख्त एक्शन भी लेता रहता है. इसी क्रम में 12 अक्टूबर को तेलंगाना, दिल्ली और आंध्र प्रदेश के 55 से ज्यादा स्थानों पर मारी गई थी. रेड में आईटी विभाग ने 94 करोड़ रुपये नकद , 8 करोड़ रुपये के सोने और हीरे के आभूषण और 30 लक्जरी घड़ियां बरामद कीं.

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ठेकेदारों और रियल एस्टेट डेवलपर्स के यहां छापेमारी में मिला इतना कैश और गहने देख आयकर विभाग के भी होश उड़ गए. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि इस छापेमारी में कुल मिलाकर 102 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती हुई है. हालांकि, आरोपियों की पहचान उजागर नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि एक निजी वेतनभोगी कर्मचारी के परिसर से तो लगभग 30 लक्जरी विदेशी कलाई घड़ियों का कलेक्शन बरामद किया गया. है.

शुरू हो गई इस पर भी राजनीति

जैसे ही यह खबर सामने आई तो "बेहिसाबी" नकदी की बरामदगी के बाद कर्नाटक की सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच इस मामले पर वाकयुद्ध छिड़ गया. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील ने कहा कि यह पैसा कांग्रेस से जुड़ा है. वहीं, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस आरोप को निराधार बताया है. आपको बता दें कि सीबीडीटी आयकर विभाग के लिए नीतियां बनाता है.

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छापेमारी के दौरान दस्तावेजों की हार्ड कॉपी और डिजिटल डेटा भी जब्त किया गया है. इससे साफ है कि आरोपियों ने न केवल कर चोरी की बल्कि ठेकेदारों ने फर्जी खरीदारी के साथ खर्चों को बढ़ाकर अपनी आय को कम दिखाया. छापेमारी के दौरान माल रसीद नोट (जीआरएन) सत्यापन में विसंगतियों मिली हैं और कई दस्तावेजों में भारी विसंगतियां पाई गई हैं. दावा किया गया कि ये ठेकेदार गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए बुकिंग खर्चों में भी शामिल थे. आयकर विभाग ने बताया कि इसे लेकर अभी जांच जारी है.

यूपी में करोड़ों की 11 प्रॉपर्टीज कुर्क

वहीं, दूसरी तरफ यूपी में भी पूरी तरह आयकर विभाग एक्टिव है. कानपुर आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति यूनिट ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 प्रॉपर्टीज को कुर्क किया गया जो दलितों की थीं. उन्हें या तो ड्राइवर या फिर किसी और के नाम से खरीद कर एजेंसी की निगाहों से बचने की कोशिश हो रही थी. साथ ही आयकर विभाग ने शहर में ऐसी कई बेनामी संपत्तियों की सूची भी तैयार की जिन्हें या तो लोगों द्वारा उनके ड्राइवर या फिर नौकरों के नाम पर लिया जा रहा था. जल्द ही आयकर विभाग की करवाई इस पर भी हो सकती है.

जानकारी के मुताबिक, आयकर विभाग ने 8 करोड़ की बेनामी संपत्तियों को कुर्क किया गया है. रईसों ने काली कमाई खपाने के लिए अपने ड्राइवर और नौकर के नाम पर करोड़ों की जमीनों की खरीद-फरोख्त कर रहे थे. इतना ही नहीं पैसों को एक से दूसरे, दूसरे के तीसरे फिर तीसरे से वापस पहले शख्स के अकाउंट में ट्रांसफर करके बड़ा खेल कर रहे थे.

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दो मामलों पर हुई कार्रवाई

कल्याणपुर के रहने वाले अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला ने जमीन खरीदने के लिए अपने दो दलित करीबियों का इस्तेमाल किया और बिठूर में रहने वाले   मृतक दलित घसीटाराम की कई बीघा जमीन को उनके पोते मनीष से मिलीभगत कर खरीद लिया. सरकार और एजेंसीज की नजर से बचने के लिए यह पैसा जो कि अभिषेक शुक्ला का था उसे सबसे पहले उसके दोनों करीबियों एकलव्य कुरील और करण कुरील के अकाउंट में डाला गया. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि SC/ST भूमि कानून के अंतर्गत एक दलित दूसरे दलित की जमीन खरीद सकता है.

फिर उनके अकाउंट से पैसा किसान घसीटा राम और उसके पोते मनीष सिंह के जॉइंट अकाउंट में भेजा गया. जॉइंट अकाउंट से यह पैसा मनीष सिंह के निजी अकाउंट में भेजा गया. फिर मनीष सिंह के अकाउंट से यह पैसा असली मालिक अभिषेक शुक्ला के अकाउंट में भेजा गया. इस तरीके से गोलमाल करके 10 प्रॉपर्टीज अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला ने मनीष सिंह की मदद से खरीद डालीं. करोड़ों की जमीन की जमीन को खेल करके खरीद-फरोख्त करने की भनक लगने पर आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति विंग ने अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला की 10 संपत्तियों को कुर्क किया है.

बहरीन में रह रहे दंपत्ति ने ड्राइवर के नाम पर खरीदी प्रॉपर्टी

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इसी तरह बेनामी संपत्ति की दूसरी बड़ी कार्रवाई सूरज सिंह पटेल और इनकी पत्नी रीना सिंह ने किया है. उन्होंने अपने ड्राइवर धर्मेंद्र के नाम पर करीब 55 लाख रुपए की जमीन खरीदी है. ये दंपत्ति ओबीसी है. लेकिन दलित की जमीन को अपने एससी ड्राइवर धर्मेन्द्र के नाम पर खरीदा था. आईटी की बेनामी संपत्ति विंग ने इनकी भी करीब 55 लाख रुपए की बेनामी संपत्ति को कुर्क कर दिया है. ये दंपत्ति कानपुर का रहने वाला है. लेकिन मौजूदा समय में बहरीन में काम करता है.

ऐसा देखा जा रहा है कि लोग अपनी काली कमाई को छुपाने के लिए बेनामी संपत्तियों का सहारा ले रहे हैं. ऐसे में आयकर विभाग ने भी अपनी नजर और पैनी कर ली है. ऐसे केसेस में मॉनिटरिंग बढ़ा दी गई है. आने वाले समय में ऐसी और कई कार्रवाई देखी जा सकती हैं.
 

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