स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'विकसित भारत' का महासंकल्प रखा. भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि 'आज जब अमृत काल की पहली सुबह है, तो हमें अगले 25 सालों में विकसित भारत बना कर रहना है.' उन्होंने कहा कि अब बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा और वो संकल्प है विकसित भारत का. इससे कम कुछ नहीं होना चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा, '20-22-25 साल के मेरे नौजवानों, जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, तब आप 50-55 साल के हो चुके होंगे, मतलब आपके जीवन का ये स्वर्णिम काल, आपकी उम्र के ये 25-30 साल भारत के सपनों को पूरा करने का काल है. आप संकल्प लेकर मेरे साथ चल पड़िए. हम सब पूरी ताकत से लग जाएं. महासंकल्प लें कि मेरा देश विकसित देश होगा. विकास के हर एक पैरामीटर में हम मानवकेंद्रित व्यवस्था को विकसित करेंगे. हमारे केंद्र में मानव होगा. हम जानते हैं कि भारत जब बड़े संकल्प करता है तो करके भी दिखाता है.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण से अपने 'ड्रीम' के बारे में भी बता दिया. उनका ड्रीम है अगले 25 साल में भारत को विकसित देश बनाना. लेकिन कोई देश विकसित कब बनता है? कोई देश विकसित देश तब कहलाता है, जब वहां की आर्थिक सेहत बहुत अच्छी होती है. वहां के लोगों का रहन-सहन काफी अच्छा होता है.
जून 2016 से पहले तक भारत की गिनती विकासशील देशों यानी डेवलपिंग कंट्रीज में होती थी. लेकिन उसके बाद वर्ल्ड बैंक ने भारत से ये दर्जा वापस ले लिया था. भारत अब लोअर मिडिल इनकम कंट्रीज में शामिल है. यानी, ऐसा देश जहां हर व्यक्ति की कमाई सालाना बहुत कम है.
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, जिन देशों की प्रति व्यक्ति आय 1,046 डॉलर से कम होती है, वो लो-इनकम कंट्रीज होती हैं. जबकि, जहां प्रति व्यक्ति आय 1,046 डॉलर से 4,095 डॉलर के बीच होती है, उन्हें लोअर मिडिल इनकम कंट्रीज कहा जाता है. इसी तरह 4,096 डॉलर से 12,695 डॉलर के बीच प्रति व्यक्ति आय वाले देशों को अपर मिडिल इनकम और 12,695 डॉलर से ज्यादा की आय वालों को हाई इनकम कंट्रीज कहा जाता है. 2021 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 2,170 डॉलर रही थी. इसलिए भारत को लोअर मिडिल इनकम कंट्रीज कहा जाता है.
विकसित बनने के लिए क्या-क्या हासिल करना होगा?
1. जीडीपी
- किसी भी देश की आर्थिक सेहत कैसी है? इसका पता ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी जीडीपी से लगाया जाता है. इस समय दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका है.
- वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 2021 में अमेरिका की जीडीपी करीब 23 ट्रिलियन डॉलर थी. दूसरे नंबर पर चीन है, जिसकी जीडीपी लगभग 18 ट्रिलियन डॉलर है.
- सबसे ज्यादा जीडीपी के मामले में भारत अभी दुनिया में 7वें नंबर पर है. वर्ल्ड बैंक के आंकड़े बताते हैं कि 2021 में भारत की जीडीपी 3.17 ट्रिलियन डॉलर रही थी. यानी, अभी अमेरिका और भारत की जीडीपी में लगभग 20 ट्रिलियन डॉलर का अंतर है.
2. प्रति व्यक्ति आय
- विकसित देश होने का एक पैमाना प्रति व्यक्ति आय भी है. इससे पता चलता है कि किसी देश में एक व्यक्ति सालभर में औसतन कितना कमाता है?
- वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति बरमूडा की थी, जहां हर व्यक्ति सालाना औसतन 1.16 लाख डॉलर कमाता है. अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय 70,430 डॉलर है. जबकि, चीन की प्रति व्यक्ति आय 2021 में 11,890 डॉलर रही थी.
- वहीं, भारत की प्रति व्यक्ति आय कई देशों से काफी कम है. 2021 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 2,170 डॉलर थी. इसी साल फरवरी में पेश हुए आर्थिक सर्वे में बताया गया था कि 2021-22 में हर भारतीय की सालाना औसतन कमाई 1.50 लाख रुपये से ज्यादा है.
3. इंडस्ट्रियलाइजेशन यानी औद्योगिकीकरण
- विकसित देश को मापने का एक पैमाना इंडस्ट्रियलाइजेशन भी है. माना जाता है कि जिस देश में जितना ज्यादा इंडस्ट्रियलाइजेशन होगा, वो उतना विकसित होगा. क्योंकि, इंडस्ट्रियलाइजेशन से न सिर्फ रोजगार बढ़ता है, बल्कि किसी देश का इम्पोर्ट (आयात) घटता है और एक्सपोर्ट (निर्यात) बढ़ता है.
- अभी भारत का आयात ज्यादा है और निर्यात कम है. मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्रीज के मुताबिक, 2021-22 में भारत का एक्सपोर्ट 31.47 लाख करोड़ और इम्पोर्ट 45.72 लाख करोड़ रुपये का रहा था. इस हिसाब से भारत इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट में 14.25 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का अंतर था. जबकि, 2020-21 में ये अंतर 7.56 लाख करोड़ रुपये का था.
- भारत में इंडस्ट्रियलाइजेशन कम होने से ग्लोबल एक्सपोर्ट में इसकी हिस्सेदारी काफी कम है. वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक, 2020 में ग्लोबल एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी महज 3.6% थी, जबकि चीन का हिस्सा 34% से ज्यादा था.
4. बुनियादी जरूरतें
- कोई देश विकसित तब होता है, जब वहां के लोगों को बुनियादी जरूरतें पूरी हों. वहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा, बेहतर शिक्षा और अच्छा रहन-सहन मिले. इसे आंकने के लिए संयुक्त राष्ट्र ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स की रैंकिंग जारी करता है.
- कोई देश कितना विकसित है, इसे ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स से भी मापा जाता है. इस इंडेक्स में देशों को 0 से 1 के स्केल पर मापा जाता है. जितना ज्यादा स्कोर होता है, वहां अच्छी स्वास्थ्य सुविधा, बेहतर शिक्षा और लोगों का रहन-सहन उतना अच्छा माना जाता है.
- 2019 में इस इंडेक्स में 189 देशों में भारत की रैंकिंग 131वें नंबर पर थी. 2019 में भारत का स्कोर 0.645 रहा था. उस साल इस इंडेक्स में सबसे ऊपर नॉर्वे रहा था. वहीं, अमेरिका 17वें और चीन 85वें नंबर पर था.
5. गरीबी
- इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की एक रिपोर्ट बताती है कि विकसित और विकासशील देशों में सबसे बड़ा अंतर वहां की गरीबी है. वर्ल्ड बैंक ने गरीबी रेखा की परिभाषा तय की है. इसके मुताबिक, अगर हर दिन कोई व्यक्ति 2.15 डॉलर (170 रुपये के आसपास) से कम कमा रहा है, तो वो 'बेहद गरीब' माना जाएगा.
- भारत में गरीबी रेखा की अलग परिभाषा है. ये परिभाषा तेंदुलकर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर तय की गई थी. इसके मुताबिक, अगर गांव में रहने वाला एक व्यक्ति हर दिन 26 रुपये और शहर में रहने वाला व्यक्ति 32 रुपये खर्च कर रहा है, तो वो गरीबी रेखा से नीचे नहीं माना जाएगा. गरीबी रेखा के सरकारी आंकड़े 2011-12 के हैं. उसके मुताबिक, भारत की लगभग 22% आबादी यानी 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं.
- हालांकि, वर्ल्ड बैंक की अप्रैल में रिपोर्ट आई थी, जिसमें अनुमान लगाया गया था कि भारत में गरीबी कम हुई है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, भारत में 2011 में 22.5% आबादी गरीब थी, जो 2019 में घटकर 10.2% हो गई. यानी, 8 साल में भारत में 12 फीसदी गरीबी घट गई.
- लेकिन, वर्ल्ड बैंक का ये भी कहना था कि भारत में गरीबी भले ही कम हुई है, लेकिन उतनी नहीं जितनी उम्मीद थी. लेकिन विकसित देशों में गरीबी आबादी कम है. चीन की आबादी भारत से ज्यादा है, लेकिन वहां गरीबों की संख्या काफी कम है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, चीन की 0.5% आबादी ही गरीब है. हालांकि, अमेरिका की 11.4% आबादी गरीब है.
भारत ने अब तक क्या-क्या हासिल किया?
- अर्थव्यवस्थाः 1950-51 में देश की जीडीपी 2.93 लाख करोड़ रुपये थी, जो 2021-22 में बढ़कर 147.36 लाख करोड़ रुपये हो गई. इस साल भारत के दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान है. इसी तरह 1950-51 में देश में हर आदमी की सालाना औसतन कमाई 274 रुपये थी, जो 2021-22 में बढ़कर 1.50 लाख रुपये के पार हो गई.
- रोजगार और गरीबीः बेरोजगारी को लेकर 1972-73 में नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (NSSO) ने पहला सर्वे किया था. उसके मुताबिक, उस समय देश में बेरोजगारी दर 8.4% थी, जो 2020-21 में घटकर 4.2% पर आ गई. बेरोजगारी दर से पता चलता है कि जितने लोग रोजगार के योग्य हैं, उनमें से कितने बेरोजगार हैं. वहीं, आजादी के समय देश की 80% आबादी गरीब थी, जो अब घटकर 10% के आसपास आ गई है.
- स्वास्थ्यः आजादी के समय देश में 30 मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन अब 612 हैं. इतना ही नहीं, आजादी के समय 2,014 सरकारी अस्पताल थे, जिनकी संख्या अब 41 हजार से ज्यादा है. औसत आयु भी किसी देश को विकसित बनाती है, क्योंकि इससे वहां की स्वास्थ्य सुविधाओं का अंदाजा लगता है. आजादी के समय औसत आयु 34 साल थी, जो अब बढ़कर 69.7 साल हो गई है.
- शिक्षाः मार्च 1948 तक देश में 1.50 लाख के आसपास स्कूल थे, लेकिन आज 15 लाख से ज्यादा स्कूल हैं. इसी तरह उस वक्त महज 414 कॉलेज और 34 यूनिवर्सिटीज थी. आज 42 हजार से ज्यादा कॉलेज और 1 हजार से ज्यादा यूनिवर्सिटीज हैं. इतना ही नहीं, 1951 में साक्षरता दर 18% थी, जो 2017 तक बढ़कर 78% हो गई है.
- खेती-किसानीः आजादी के समय भारत की अर्थव्यस्था काफी हद तक कृषि पर निर्भर थी. लेकिन आज देश की जीडीपी में कृषि का योगदान 20% से भी कम है. हालांकि, भारत में अब रिकॉर्ड प्रोडक्शन होता है. आजादी के समय 508 लाख टन कृषि उत्पादन हुआ था, जो अब बढ़कर 3,145 लाख टन हो गया है. अनाज का सबसे बड़ा भंडार आज भारत में है. वहीं, दुनिया में सबसे ज्यादा गेहूं और चावल का उत्पादन चीन के बाद भारत में होता है.