
देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआईएम) ने भी ट्रैक बदल दिया है. आजादी के इतने साल बाद पहली बार पार्टी ने कोलकाता के अपने दफ्तर पर स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया. सीपीआईएम की ओर से पूरे साल कार्यक्रम आयोजित करने का ऐलान किया गया तो वहीं पार्टी के नेताओं ने सार्वभौमिकता, एकता और गणतंत्र बरकरार रखने की शपथ ली.
सीपीआईएम की केंद्रीय कमेटी की ओर से इस बार निर्णय लिया गया था कि स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ का जश्न बड़े स्तर पर मनाया जाएगा. पार्टी के हर कार्यालय में तिरंगा फहराया जाएगा. निर्णय के मुताबिक पार्टी के कोलकाता समेत सभी दफ्तरों में स्वाधीनता दिवस मनाया गया. दरअसल, माना ये जा रहा है कि राष्ट्रीय राजनीति में अप्रासंगिक होती सीपीआईएम ने आज की जरूरत के मद्देनजर इस प्रकार का फैसला लिया है.
गौरतलब है कि आज से सात दशक पहले अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी ने नारा दिया था 'ये आजादी झूठी है'. इसका खामियाजा पार्टी को अब तक भुगतना पड़ रहा है, ऐसा नेताओं को लगने लगा है. पार्टी का मानना है कि जिस आरएसएस ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा तक नहीं लिया, उसके नेता और बीजेपी आज देशप्रेम और राष्ट्रीयता को ही मुद्दा बना कर सत्ता में हैं लेकिन जिस पार्टी के नेताओं ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया, उसकी छवि को ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे राष्ट्रीयता और देश प्रेम से सरोकार ही न हो.
सीपीआईएम को लगने लगा है कि बीजेपी से मुकाबला करने के लिए पार्टी के प्रति लोगों की सोच को बदलने की जरूरत है. इसी लिए पार्टी के कोलकाता स्थित मुख्य कार्यालय में विमान बोस, मोहम्मद सलीम, सूजन चक्रवर्ती और अन्य वरिष्ठ नेता जुटे और तिरंगा फहराकर गणतंत्र बरकरार रखने की शपथ ली. मोहम्मद सलीम ने कहा कि देश की 50वीं वर्षगांठ पर भी हमने धूमधाम से कार्यक्रम आयोजित किए थे. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने देश की आजादी के लिए लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया, वे अब इसके ठेकेदार बन बैठे हैं जबकि हमारे कई नेता जैसे मुजफ्फर अहमद जिनके नाम पर पार्टी मुख्यालय है, आजादी की लड़ाई का हिस्सा रहे.