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INDIA गठबंधन के छात्र संगठनों का बड़ा ऐलान, नई शिक्षा नीति के खिलाफ 24 मार्च को निकालेंगे विशाल रैली

एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में NSUI, AISA, SFI, AISF, MSF, समाजवादी छात्रसभा और CRJD के प्रतिनिधियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन में अनियमितताओं, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) की भूमिका और शिक्षा के निजीकरण व केंद्रीकरण के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई. उन्होंने आरोप लगाया कि ये नीतियां सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक छात्रों की पहुंच को सीमित कर रही हैं.

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छात्र संगठनों ने 24 मार्च 2025 को जंतर मंतर पर एक विशाल रैली का आह्वान किया
छात्र संगठनों ने 24 मार्च 2025 को जंतर मंतर पर एक विशाल रैली का आह्वान किया

INDIA गठबंधन के नेतृत्व में विभिन्न छात्र संगठनों ने 24 मार्च 2025 को जंतर मंतर पर एक विशाल रैली का आह्वान किया है. यह विरोध प्रदर्शन शिक्षा नीतियों और छात्रों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के खिलाफ किया जाएगा. इस प्रदर्शन में छात्रों, शिक्षाविदों, शिक्षक संघों और राजनीतिक नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है. इसका मुख्य उद्देश्य परीक्षा पत्र लीक, छात्र संघ चुनावों की बहाली, आरक्षण से जुड़े मुद्दे और नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के प्रभावों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना है.

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में NSUI, AISA, SFI, AISF, MSF, समाजवादी छात्रसभा और CRJD के प्रतिनिधियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन में अनियमितताओं, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) की भूमिका और शिक्षा के निजीकरण व केंद्रीकरण के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई. उन्होंने आरोप लगाया कि ये नीतियां सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक छात्रों की पहुंच को सीमित कर रही हैं.

यह प्रदर्शन 17 मार्च से 22 मार्च 2025 तक चलने वाले देशव्यापी जागरूकता अभियान और विरोध प्रदर्शनों की श्रृंखला के बाद होगा, जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों द्वारा प्रदर्शन और अभियान चलाए जाएंगे. छात्र नेताओं ने शैक्षणिक प्रशासन में पारदर्शिता, छात्र संघ चुनावों की बहाली और परीक्षा प्रक्रिया में जवाबदेही की मांग पर जोर दिया है. हालांकि, सरकार की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

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आजतक से बातचीत में NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा, “सरकार अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए शिक्षा प्रणाली को कमजोर कर रही है. छात्र परीक्षाओं में भ्रष्टाचार से लेकर कैंपस लोकतंत्र को प्रतिबंधित करने तक, यह स्पष्ट है कि सरकार शिक्षित और राजनीतिक रूप से जागरूक युवाओं से डरती है. हम तत्काल सुधारों, छात्र संघ चुनावों की बहाली और विश्वविद्यालय प्रशासन में पारदर्शिता की मांग करते हैं. यदि हमारी आवाजें अनसुनी की गईं, तो देश के युवा सड़कों पर उतरेंगे और भारत के हर कोने में इस छात्र विरोध की गूंज सुनाई देगी.”

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