प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार चीन की टेक कंपनियों के खिलाफ लगातार कड़ा रुख अपना रही है. पहले चीन के निवेश वाली कई ऐप कंपनियों पर कार्रवाई की गई, अब इसकी जद में मोबाइल हैंडसेट कंपनी Xiaomi भी आ गई है. प्रवर्तन निदेशालय ने कंपनी के खिलाफ विदेशी मुद्रा विनिमय कानून (FEMA) के उल्लंघन को लेकर जांच की थी. इसके बाद कंपनी के 5,551 करोड़ रुपये के फंड को सीज करने का आदेश जारी किया था. अब इसके लिए ED को FEMA Competent Authority से फंड फ्रीज करने की परमिशन मिल गई है.
ये देश में ईडी की अब तक की सबसे बड़ी जब्ती है. इससे पहले उसने कभी भी इतनी बड़ी राशि को जब्त नहीं किया है.
रॉयल्टी की आड़ में धोखाधड़ी
ईडी ने अपनी जांच में पाया था कि Xiaomi India ने 2014 में भारत में काम करना शुरू किया. ये चीन की प्रमुख मोबाइल हैंडसेट कंपनी Xiaomi के पूर्ण मालिकाना हक वाली सब्सिडियरी है. Xiaomi India ने 2015 से अपनी पेरेंट कंपनी को पैसे भेजना शुरू किया. कंपनी ने विदेशी कंपनियों को कुल 5,551.27 करोड़ रुपये भेजे. Xiaomi India ने इतनी बड़ी राशि रॉयल्टी चुकाने की आड़ में भेजी. Xiaomi India भारत में ही मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों से पूरी तरह बने हुए हैंडसेंट की खरीद करती थी. ऐसे में उसने विदेश में काम करने वाली इन तीनों कंपनियों की कोई सर्विस ली ही नहीं और इसके बावजूद फर्जी दस्तावेज बनाकर रॉयल्टी के नाम पर ये राशि भेजी.
अप्रैल में जारी किया आदेश
ईडी ने Xiaomi के इन एसेट को जब्त करने के लिए सबसे पहले 29 अप्रैल 2022 को आदेश जारी किया था. विदेशी मुद्रा विनिमय कानून के प्रावधानों के मुताबिक इस जब्ती के लिए ईडी को सक्षम प्राधिकरण (FEMA Competent Authority) से अनुमति लेना अनिवार्य है, जो अब उसे मिल गई है.
FEMA की धारा-4 का उल्लंघन
ईडी ने अपनी जांच में Xiaomi को फेमा की धारा-4 का उल्लंघन करता पाया, जो विदेशी मुद्रा को अपने पास रखने के बारे में बात करती है. इसके अलावा कंपनी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के उल्लंघन के भी आरोप हैं. ईडी का कहना है कि कंपनी ने विदेश में राशि भेजने के दौरान बैंकों को कई 'भ्रामक जानकारियां' भी दीं. इस मामले को लेकर ईडी ने Xiaomi के पूर्व इंडिया हेड मनु कुमार जैन (Manu Kumar Jain Xiaomi) को समन कर पूछताछ की थी. ईडी कंपनी के भारत में कामकाज करने के तरीके को लेकर फरवरी से जांच कर रही है.