scorecardresearch
 

LAC पर फायरिंग कर चीन ने तोड़ा ये समझौता, जानिए 1993 में क्या हुआ था तय

7-8 सितंबर की रात लद्दाख में पेंगोंग झील के दक्षिण इलाके में भले ही फायरिंग हवा में की गई हो लेकिन इसका असर बीजिंग तक हुआ है. LAC पर फायरिंग की घटना इससे पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर हुई थी, जहां चीनी सैनिकों ने विश्वासघात करते हुए भारतीय जवानों पर गोलियां बरसाईं थीं और चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने पर जोर दिया गया और कई बातों पर आम सहमति बनाई गई.

Advertisement
X
7-8 सितंबर की रात लद्दाख में एलएसी पर हुई फायरिंग
7-8 सितंबर की रात लद्दाख में एलएसी पर हुई फायरिंग
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लद्दाख में एलएसी पर हुई फायरिंग की घटना
  • भारत और चीन के बीच तय बातों का उल्लंघन
  • LAC पर फायरिंग नहीं करने को लेकर है समझौता

चीन और भारत की सीमा पर लद्दाख में आजकल जो रहा है, वो आम तौर पर देखने को नहीं मिलता था. इतना जरूर था कि चीन के सैनिक हर मुमकिन मौके का फायदा उठाकर भारत की सीमा में घुसने की कोशिश करते रहे, लेकिन बात हथियारों या हिंसा तक पहुंचने से पहले ही खत्म हो जाती थी. मगर, अब ऐसा नहीं है. तस्वीर पूरी बदल गई है. सीमा पर जवानों की मौत भी हो रही हैं और बंदूकों से गोलियां भी निकलने लगी हैं. 

Advertisement

7-8 सितंबर की रात लद्दाख में पेंगोंग झील के दक्षिण इलाके में भले ही फायरिंग हवा में की गई हो लेकिन इसका असर बीजिंग तक हुआ है. LAC पर फायरिंग की घटना इससे पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर हुई थी, जहां चीनी सैनिकों ने विश्वासघात करते हुए भारतीय जवानों पर गोलियां बरसाईं थीं और चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने पर जोर दिया गया और 1993 में एक अहम समझौता किया गया. ये समझौता तत्कालीन पीएम पीवी नरसिम्हा राव की चीन यात्रा के दौरान किया गया था.

1993 के समझौते की मुख्य बातें

- LAC के जरिए विश्वास बहाली पर काम किया जाएगा.
- जिन क्षेत्रों पर सहमति बनी है वहां किसी भी तरफ से मिलिट्री गतिविधियां नहीं की जाएंगी. 
- LAC के पास अगर सैन्य अभ्यास किया जाता है दोनों देश इसकी सूचना पहले ही साझा करेंगे.
- दोनों देशों की वायुसेना हवाई सीमा में घुसपैठ नहीं करेंगी.
- LAC के आसपास एयरफोर्स के अभ्यास पर संभावित प्रतिबंधों पर दोनों पक्ष विचार करेंगे. 
- बॉर्डर के मुद्दों का हल तलाशने के लिए एक ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप बनाया जाएगा. 

Advertisement

हालांकि, इस समझौते के बाद भी चीन और भारत के बीच दो अहम समझौते हुए. इस समझौते की मूल भावना भी सीमा पर शांति ही थी, जिसके लिए कुछ स्पेसिफिक बिंदु भी जोड़े गए.

15 जून को गलवान में भारतीय जवानों की शहादत के बाद जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि बिना हथियार वाले हमारे जवानों को मारने की चीन कैसे हिमाकत कर सकता है और हमारे सैनिकों को शहीद होने के लिए बिना हथियारों के क्यों भेजा गया. 

इसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 18 जून को ट्वीट किया. इस ट्वीट में जयशंकर ने बताया, ''बॉर्डर पर तैनात सभी सैनिक अपने पास हथियार रखते हैं, खासकर तब जब वे पोस्ट छोड़ते हैं. 15 जून को गलवान में जो जवान थे, उन्होंने भी ऐसा ही किया. 1996 और 2005 के समझौतों के तहत एक पुरानी परंपरा है कि झड़प के दौरान हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता.''

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एस.जयशंकर ने जिस समझौते का हवाला दिया उस पर 29 नवंबर 1996 को साइन हुए थे. समझौते में इस बात पर जोर दिया गया था कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ किसी ताकत का उपयोग नहीं करेंगे और न ही ऐसा करने की धमकी देंगे. समझौते में ये बात भी थी कि LAC पर तैनात भारत या चीन किसी भी देश की सेना किसी पर हमला नहीं करेगी, न धमकी देगी, ताकि शांति को खतरा पैदा न हो. समझौते के अनुच्छेद 6 में इस बात पर जोर दिया गया है कि LAC के दो किमी के दायरे में कोई भी सेना फायरिंग, जैविक हथियार, केमिकल, ब्लास्ट या बंदूकों से हमला नहीं करेगा. 

Advertisement

लेकिन बीती रात समझौते का उल्लंघन हुआ. सीमा पर फायरिंग हुई है. ये बात अलग है कि किन हालातों में हुई है. चीन का कहना है कि भारतीय सेना ने सोमवार को अवैध रूप से LAC को पार किया और समझौते का उल्लंघन किया. साथ ही वॉर्निंग शॉट भी दागे गए. इसके जवाब में चीनी सेना को भी कार्रवाई करनी पड़ी. 

चीन के इस झूठ की भारतीय सेना ने कलई खोल दी है. भारतीय सेना ने कहा है कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है, मगर चीन आगे बढ़ने के लिए उकसावे की गतिविधियां कर रहा है. भारतीय सेना ने एलएसी पार करने और फायरिंग करने के आरोपों को भी सिरे से खारिज किया है. 


 

 

Advertisement
Advertisement