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भारत-चीन के बीच बीजिंग में वार्ता, LAC और कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर हुई चर्चा

भारत और चीन के बीच बीजिंग में कूटनीतिक वार्ता हुई है जिसमें दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ाने पर जोर दिया गया है. इसके अलावा LAC के हालात की समीक्षा और कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर भी चर्चा की गई है.

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भारत-चीन के बीच 33वीं कूटनीतिक वार्ता
भारत-चीन के बीच 33वीं कूटनीतिक वार्ता

भारत और चीन के बीच सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (WMCC) की 33वीं बैठक मंगलवार को बीजिंग में हुई. भारतीय डेलिगेशन का नेतृत्व संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने किया, जबकि चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा एवं महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशकहोंग लियांग ने किया.

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इन मुद्दों पर हुई बात

विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह बैठक सकारात्मक और रचनात्मक माहौल में हुई और दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हालात की समीक्षा की. साथ ही द्विपक्षीय संबंधों के के लिए सीमा पर शांति और स्थिरता बनाने में जोर दिया गया. दोनों पक्षों ने दिसंबर 2024 में बीजिंग में भारत-चीन सीमा मामलों को लेकर विशेष प्रतिनिधियों की 23वीं बैठक के दौरान लिए गए फैसलों को प्रभावी बनाने पर चर्चा की है. इस बैठक में बॉर्डर से सैनिकों की वापसी को लेकर चर्चा नहीं हुई बल्कि दोनों देशों के बीच रिश्तों में भरोसे की बहाली पर जोर दिया गया.

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भारत और चीन के अधिकारियों ने इस दिशा में राजनयिक और सैन्य तंत्र को बनाए रखने और मजबूत करने पर सहमति जताई. साथ ही डेलिगेशन ने सीमा पार की नदियों और कैलाश मानसरोवर यात्रा सहित क्रॉस बॉर्डर सहयोग और आदान-प्रदान को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने पर बातचीत की है. इसके अलावा अगली बैठक के लिए ठोस तैयारी करने पर सहमति बनी, जो इस साल के आखिर में भारत में आयोजित की जाएगी.

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क्रॉस बॉर्डर सहयोग बढ़ाने पर जोर

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक अहम बैठक में शामिल होने के लिए बीती जनवरी में बीजिंग का दौरा किया था. इस दौरान दोनों देशों ने गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई थी. चर्चा के दौरान विदेश सचिव और चीनी उप विदेश मंत्री ने रिश्तों को स्थिर करने और संबंध सुधारने के लिए कदम उठाने पर सहमति जताई थी. इसके अलावा नई दिल्ली से बीजिंग की बीच फिर से डायरेक्ट एयर सर्विस शुरू करने पर भी बातचीत हुई थी.

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ भारत के संबंधों को लेकर एक-दूसरे से सीखने और समझने के महत्व पर जोर दिया. पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच प्राचीन सांस्कृतिक और सभ्यता के संबंधों को स्वीकार किया, यह देखते हुए कि उनके बीच संघर्ष का कोई वास्तविक इतिहास नहीं है. पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देश अब 2020 से पहले की स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं.

PM ने की रिश्ते सुधारने की वकालत

पीएम मोदी ने विश्वास, उत्साह और ऊर्जा के पुनर्निर्माण के महत्व पर जोर दिया. लेक्स फ्रीडमैन के साथ हुए पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भी वकालत की और इस बात पर जोर दिया कि प्रतिस्पर्धा कभी भी संघर्ष में नहीं बदलनी चाहिए. पीएम मोदी के इस बयान के बाद चीन की तरफ से भी सकारात्मक टिप्पणी आई थी.

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पीएम मोदी बयान की की तारीफ करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हाल के वर्षों में दोनों देशों के नेताओं के बीच अहम सहमति बनी है और कई स्तर पर सहयोग बढ़ा है. चीनी प्रवक्ता ने आगे कहा कि आपसी उपलब्धियों में भागीदार बनकर अच्छे संबंध स्थापित करना ही चीन और भारत के सामने एकमात्र विकल्प है.

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