सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी (General Upendra Dwivedi) ने कहा कि भारत 2020 जैसी स्थिति में लौटने के बाद चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों की वापसी और तनाव कम करने पर विचार करेगा. हालांकि, इंडिया टुडे के साथ एक इंटरव्यू में सेना प्रमुख ने कहा, "यह देखना अहम है कि बनाए गए बफर जोन पर अतिक्रमण न हो." यह बयान विदेश मंत्रालय द्वारा यह कहे जाने के एक दिन बाद आया है कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विवादित इलाकों में गश्त फिर से शुरू करने के लिए एक समझौते पर पहुंच गए हैं, जिससे चार साल का सैन्य गतिरोध खत्म हो गया है.
भारत, चीन पर मई 2020 से लद्दाख में करीब 1,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय इलाके पर कब्जा करने का आरोप लगाता रहा है. डील के सिलसिले में अपने पहले बयान में जनरल द्विवेदी ने कहा, "हम अप्रैल 2020 की यथास्थिति पर वापस जाना चाहते हैं. फिर, हम डिसएंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन की तलाश करेंगे. हम एक-दूसरे से मिलकर विश्वास बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं."
सेना प्रमुख ने आगे कहा, "हमें यह देखना होगा कि जो बफर जोन बनाए गए हैं, उनमें घुसपैठ न हो. जैसे ही गश्त शुरू होगी, हम दोनों तरफ से विश्वास बनते देखेंगे." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कुल मिलाकर उद्देश्य एक शांतिपूर्ण समाधान है, जो बॉर्डर पर विश्वास और स्थिरता बहाल करे.
'विश्वास बहाल करना जरूरी'
दोनों तरफ विश्वास बहाली के उपायों की जरूरत पर बात करते हुए जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच विश्वास बहाल करने की कोशिश मौजूदा वक्त में चल रही है. अभी तक जो हुआ है, वह यह है कि हम विश्वास बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं. सेना प्रमुख के मुताबिक, LAC पर बफर जोन का निर्माण एक अहम कदम है, लेकिन दोनों पक्षों को यह तय करना चाहिए कि इन इलाकों का सम्मान किया जाए. विश्वास बहाल हो जाएगा, अगर हम एक-दूसरे को आश्वस्त करने में सक्षम हैं कि जो बफर जोन बनाए गए हैं, हम उनमें घुसपैठ नहीं कर रहे हैं.
इसके साथ ही सेना प्रमुख ने गश्त की अहम भूमिका पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि इससे दोनों पक्षों को पारदर्शिता बनाए रखने और गलतफहमी से बचने में मदद मिलती है.
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तनाव कम करने के लिए प्रतिबद्ध भारतीय सेना
जनरल द्विवेदी के बयानों में उम्मीद झलकती है, लेकिन जमीन पर स्थिति जटिल बनी हुई है. विश्वास की बहाली, गश्त के अधिकारों की फिर से स्थापना और LAC के सामान्य होने में वक्त लग सकता है, लेकिन सेना प्रमुख के बयानों से संकेत मिलता है कि भारतीय सेना बॉर्डर के तनाव को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है.
अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति को बहाल करने के भारत के साफ उद्देश्य और इस मामले पर चीन की अब तक की चुप्पी के साथ, अगले कुछ महीने LAC पर भारत-चीन संबंधों के लिए अहम होंगे.