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गलवान भिड़ंत पर चीन ने तोड़ी चुप्पी, जानिए कितना बताया सच और कितना झूठ!

चुप्पी तोड़ते हुए चीन ने पिछले साल गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के दौरान मारे गए अपने 4 सैनिकों की पहचान का खुलासा कर दिया है. गलवान को लेकर चीनी संस्करण इस दावे पर बहुत जोर देता है कि "विदेशी सैनिकों" ने सीमा पार कर ली और चीनी सैनिकों ने बिना किसी क्षेत्र को गंवाए उन्हें बाहर निकाल दिया,

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पिछले साल गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक हुए थे शहीद
पिछले साल गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक हुए थे शहीद

8 महीने बाद चुप्पी तोड़ते हुए चीन ने पिछले साल गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के दौरान मारे गए अपने 4 सैनिकों की पहचान का खुलासा कर दिया है. हालांकि इसके लिए पहले कहानी बुनी गई और फिर सूचना जारी की गई. पहले चीनी सेना से संबद्ध पीपुल्स लिबरेशन आर्मी डेली द्वारा शुक्रवार को पहली बार प्रकाशित, स्टोरी ने पीएलए सैनिकों की ओर से बहादुरी और साहस की कहानी बताई गई, जो हिंसक संघर्ष के दिन पीएलए को कमजोर पक्ष के रूप में पेश करता है.

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यह स्टोरी पीएलए सैनिकों के एक छोटे समूह की कहानी बताती है, जिन्होंने मजबूत "विदेशी सैनिकों" को हरा दिया था. लेकिन कॉमर्शियल सेटेलाइट तस्वीरें सहित पब्लिक डोमेन में उपलब्ध साक्ष्य बताते हैं कि यह अविश्वसनीय चीनी गाथा सच होने के लिए बहुत अच्छा है.

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी डेली की ओर से 18 फरवरी को प्रकाशित लेख
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी डेली की ओर से 18 फरवरी को प्रकाशित लेख

स्टोरी में पीएलए अधिकारियों और सैनिकों के इंटरव्यू, डायरी के उद्धरण और अकाउंट्स थे, जिन्होंने 15 जून को गलवान में भारतीय सेना के साथ हिंसक झड़प में सामने लड़े थे. झड़प में मारे गए सैनिकों में से एक द्वारा कथित रूप से लिखी गई डायरी के लेख को उद्धृत किया गया है, जिसमें कहा गया है कि भारतीय सैनिकों ने लाइन क्रॉस किया. चेन जियानगॉन्ग के कोट का जिक्र करते हुए लिखा गया, वास्तव में हमने अपनी तुलना में कहीं अधिक विदेशी सैनिकों का सामना किया और चीनी सैनिकों को बाहर कर दिया गया.

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हालांकि, हिंसक झड़पों से पहले और उसके बाद के सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि घाटी में चीनी सैनिकों को कभी भी बाहर नहीं निकाला गया. पिछले साल 9 जून से तस्वीरें घाटी के संघर्ष के पहले सेना की ताकत का एक विहंगम दृश्य मुहैया कराती है.

इसके विपरीत, घाटी में भारतीय सैनिक 6 जून, 2020 को कोर कमांडरों की बैठक के दौरान हुए समझौते का पालन कर रहे थे. इसकी पुष्टि 10 जून को चीन के विदेश मंत्रालय ने भी की थी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने इस संघर्ष से पांच दिन पहले संवाददाताओं से कहा था, "चीन और भारत ने हाल ही में प्रभावी संचार और चीन-भारत सीमा के पश्चिम खंड में स्थिति को ठीक से संभालने को लेकर समझौता हुआ. वर्तमान में, दोनों पक्ष सीमा की स्थिति को सुधारने के लिए समझौते के अनुरूप कार्रवाई कर रहे हैं." 16 जून की हिंसक झड़प के बाद कुछ घंटे बाद ली गई सैटेलाइट तस्वीरें बताती हैं कि बड़ी संख्या में पीएलए के सैनिक मौजूद हैं. जबकि भारतीय सैनिकों की तैनाती बेहद कम थी.

खास बात यह है कि पूरी स्टोरी चीनी सैन्य पेज के अंग्रेजी संस्करण पर प्रकाशित नहीं हुई. बाद में स्टोरी का छोटा वर्जन प्रकाशित किया जो सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ से लिया गया था.

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पीएलए डेली द्वारा प्रकाशित मूल चीनी लेख का अनुवादित संस्करण 3,800 शब्दों से भी ज्यादा है, जबकि कहानी का छोटा संस्करण महज 125 शब्दों का है. एक अन्य अंग्रेजी भाषा की अखबार ग्लोबल टाइम्स ने मूल स्टोरी से संपादित संस्करण प्रकाशित किया.    

स्टोरी में पीएलए सैनिकों और अधिकारियों के लिए नाटकीय मुहावरों और देशभक्तिपूर्ण उद्धरणों का इस्तेमाल किया गया है. गलवान स्टोरी में चीनी संस्करण इस दावे पर बहुत जोर देता है कि "विदेशी सैनिकों" ने सीमा पार कर ली और चीनी सैनिकों ने बिना किसी क्षेत्र को गंवाए उन्हें बाहर निकाल दिया, लेकिन संघर्ष के कुछ दिनों बाद सैटेलाइट तस्वीरों ने दिखा दिया कि पीएलए गश्ती प्वाइंट 14 के बेहद करीब आ गया, लेकिन बाद में वह अपनी पहली वाली स्थिति में वापस चला गया.

 

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