लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनावपूर्ण हालात हैं. सिर्फ बॉर्डर ही नहीं, देश में आने वाले चीन के सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के ग्रुप से जुड़े अधिकारियों पर भी भारत की कड़ी नजर है और उनके वीजा आवेदनों की सख्त जांच के आदेश दिए गए हैं. Reuters के मुताबिक, चीन सीमा पर तनाव को देखते हुए भारत इन लोगों की यात्रा पर कड़ी नजर रख रहा है.
चाइनीज एसोसिएशन फ़ॉर इंटरनेशनल अंडरस्टैंडिंग (CAIFU) पर निगरानी ऐसे समय की जा रही है, जब भारत और चीन करीब पांच दशक में सबसे अधिक गंभीर सीमा विवाद में उलझे हैं. इसी हफ्ते भारत ने चीन के और एप्स पर प्रतिबंध लगाया और चीनी कंपनियों के भारत में निवेश को कड़ा कर दिया. साथ ही सरकारी टेंडर के नियम भी बदल दिए गए.
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि बीजिंग स्थित कम्युनिस्ट पार्टी सेंट्रल कमेटी के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट से जुड़ा हुआ एक ग्रुप है, जो नेताओं, थिंक टैंकों और मीडिया के जरिए चीन के बाहर अभियान चलाता है. एक आंतरिक मेमो में भारत सरकार ने इस ग्रुप को लेकर चिंता जताई है और उसे शक है कि ये ग्रुप भारत विरोधी गतिविधियां चला सकते हैं.
नए आदेश के मुताबिक, अब चीन के इन ग्रुप्स के लोगों को अब कड़ी प्रक्रिया के तहत वीजा दिया जाएगा. एक भारतीय अधिकारी ने Reuters से बात करते हुए कहा कि वीजा अनुरोधों को बहुत बारीकी से देखा जाएगा, चाहे वह थिंक-टैंकर हो या व्यवसायी.
हालांकि, चीन के विदेश मंत्रालय का दावा है कि चाइनीज एसोसिएशन फ़ॉर इंटरनेशनल अंडरस्टैंडिंग, सभी देशों के सामाजिक निकायों के साथ मैत्रीपूर्ण बातचीत करने वाला एक गैर-लाभकारी संगठन है. इसका उद्देश्य चीनी लोगों और भारत सहित दुनिया भर के लोगों के बीच आपसी समझ और दोस्ती को बढ़ावा देना है.
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह संस्कृतियों और सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने का भी प्रयास करता है. बीजिंग स्थित भारत-चीन आर्थिक और सांस्कृतिक परिषद जैसे संगठन जो सीएआईएफयू के लिए वीजा आवेदन कर रहे हैं, वे भी सुरक्षा मंजूरी के अधीन होंगे.