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चीन ने एक बार फिर सीमा पर धोखा दिया है और अपने वादे से मुकर गया है. लेकिन चीन की इस साजिश, धोखे और कायरता का हमारी सेना ने करारा जवाब दिया. बीते शनिवार की रात जब पैंगोंग त्सो इलाके में करीब 200 चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की तो उन्हें उत्तराखंड से भेजी गई बटालियन ने खदेड़ दिया.
चीन ने एक बार फिर से 5 मई की रात वाली घटना को दोहराने की कोशिश की, जब उसने गलवान में चोरों की तरह घुसपैठ की थी. लेकिन 29 अगस्त की रात उसकी शामत आई थी जो उसके 200 जवान पैंगोंग के पास घुसपैठ कर रहे थे, लेकिन हिंदुस्तान के पराक्रमी वीरों ने उनको खदेड़ दिया.
गलवान घाटी में हुई चीनी साजिश और धोखेबाजी के बावजूद हिंदुस्तान चीन से बातचीत कर रहा था. बावजूद इसके कि चीन की नीयत और नीति को हिंदुस्तान अच्छे से जानता है. जिस वक्त चुशुल में कमांडर स्तर की बातचीत हो रही थी, उसी वक्त 29 और 30 अगस्त की दरमियानी रात चीन ने अपना असली रंग दिखा दिया.
हिंदुस्तान ने चीन के साथ बातचीत तो जारी रखी लेकिन अपनी सैनिक तैयारियों में कोई कमी नहीं छोड़ी थी. चीन यहीं मात खा गया. उसने हर बार की तरह यही सोचा था कि हिंदुस्तान उसकी बातचीत के झांसे में आ जाएगा लेकिन हिंदुस्तान की सरहदों की हिफाजत करने वाले जांबाज जी जान से जुटे थे.
ड्रैगन के रग-रग से वाकिफ भारत ने अब तक LAC से अपनी सेना की तैनाती में कमी नहीं की है. करीब 40 हजार जवान मुस्तैद हैं, ताकि चीन की छोटी से छोटी गुस्ताखी का भी बड़ा जवाब दिया जाए और वो दोबारा हिन्दुस्तान की जमीन पर आंख ना उठा पाए.
शनिवार की रात चीन ने जो कुछ किया, उसके बावजूद हिंदुस्तान की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है. वो बातचीत से समस्या का हल चाहता है लेकिन अपनी सरहद की कीमत पर नहीं.
पूर्वी लद्दाख में चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी के अतिक्रमण से निपटने के लिए भारत के पास एक सैन्य विकल्प मौजूद है, लेकिन इसका इस्तेमाल तभी किया जाएगा जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच बातचीत विफल हो जाए.
लद्दाख में दोनों देशों के बीच ताजा झड़प पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक चोटी को लेकर हुई. वो चोटी LAC के इस तरफ यानी भारतीय सीमा में है लेकिन उसपर किसी देश का कब्जा नहीं हुआ करता था. दोनों देशों के बीच हुई कमांडर स्तर की बातचीत में उस खास चोटी का मुद्दा भी उठा था लेकिन बात नहीं बनी. भारत को इस बात की भनक थी कि चीन उस चोटी पर कब्जा करने की फिराक में है.
कैसे नाकाम की गई चीन की नापाक चाल?
आजतक को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक चीन के इरादों को भांपकर भारतीय फौज ने तैयारी शुरू कर दी और पूरी प्लानिंग का ब्लूप्रिंट तैयार किया.
सूत्रों की मानें तो चीन की साजिश को नाकाम करने के लिए उत्तराखंड में तैनात विकास रेजिमेंट के बटालियन को लद्दाख भेजा गया, इस बटालियन की तैनाती पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर की गई. सेना ने टैंक और इनफैन्टरी गाड़ियों को भी पैंगोंग के दक्षिणी किनारे पर ठाकुंग के करीब तैनात कर दिया. इस पूरे ऑपरेशन में तिब्बती भी शामिल थे जो विकास रेजिमेंट के तहत भारतीय जवानों के साथ काम करते हैं.
तैयारी होने के बाद मौका मिलते ही विकास रेजिमेंट की बटालियान ने पैंगोग झील के किनारे की चोटी पर कब्जा कर लिया. चीन को जैसे ही भारत के कदम की खबर मिली उसकी फौज बेचैन हो गई. चीन के बौखलाए सैनिक भारत में घुसपैठ के लिए आगे बढ़े. लेकिन चोटी पर कब्जे की वजह से हमारे जवान मजबूत स्थिति में थे.
गलवान में चीन पर भरोसा कर लिया था और उनके पीछे हटने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन अबकी बार हमारी फौज ने चीन की चाल को पहले ही भांप लिया था और नतीजा ये कि बिना हमारा नुकसान किए ड्रैगन लहूलुहान हो गया.
इसीलिए हिंदुस्तान उसी दिन से अलर्ट हो गया था और वो चुस्ती 29 अगस्त की रात को भी दिखी जब चीन के 200 सैनिकों को पैंगोंग त्सो झील के इलाके से हमारे जांबाजों ने मार भगाया. अभी के लिए श्रीनगर और लेह के बीच के राजमार्ग को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है ताकि इसका इस्तेमाल सैनिकों और उनके वाहनों के लिए हो सके.
साथ ही दक्षिणी पैंगोंग त्सो से नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया यानी चीन से भिड़ंत हो तो नागरिकों को कोई नुकसान ना हो. लद्दाख में 30 हजार सेना के जवानों के लिए मुकम्मल इंतजाम किया गया है. गलवान घाटी, पेट्रोलिंग प्वाइंट-15, पैंगोंग त्सो और फिंगर एरिया में भारतीय सेना ने तैनाती बढ़ा दी गई है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
चीन से मुकाबले के लिए एक पूरी ब्रिगेड की तैनाती की गई है. रक्षा मामलों के जानकार और जिस 14वीं कोर के इलाके में पड़ने वाले पैंगोंग के इलाके में चीन ने गुस्ताखी की, उसकी कमान संभाल चुके मेजर जनरल एके. सिवाच का साफ कहना है कि हिंदुस्तान के तेवर से चीन डरा हुआ है.
दरअसल, दौलत बेग ओल्डी को गेटवे टू अक्साई चिन कहते हैं. भारत दौलत बेग ओल्डी से अक्साई चिन भी जा सकता है और शिनजियांग जाने वाले जी-219 हाईवे पर भी नजर रख सकता है. CPEC यानी चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरडोर भी उसकी जद में है, वहीं भारत काराकोरम पास को भी डॉमिनेट करता है.
हिंदुस्तान की इस तैयारी से चीन घबराया हुआ है और भारत सरकार ने तय कर रखा है कि अक्साई चिन भी हमारा है. चीन के डर को इस बात से समझिए कि वो भारत को लद्दाख में उलझाने की कोशिश करता है लेकिन खुद उलझा हुआ है. ये सैटेलाइट तस्वीरें दिखाती हैं कि जो चीन भारत को सड़क बनाने से रोकता है वो खुद कैसे लैटरल सड़कें यानी समानांतर सड़कों को जोड़ने वाली सड़कें बना रहा है.