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सैटेलाइट तस्वीरों में दिखे चीनी सेना के अंडरग्राउंड कमांड और कंट्रोल सेंटर

ताजा सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि हॉटन में एक भूमिगत स्वचालित कमांड और कंट्रोल सेंटर का निर्माण हुआ है, जो पूर्वी लद्दाख से चीन का सबसे नजदीकी बेस है.

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अंडरग्राउंड कमांड और कंट्रोल सेंटर की सेटेलाइट तस्वीर
अंडरग्राउंड कमांड और कंट्रोल सेंटर की सेटेलाइट तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हॉटन में कमांड और कंट्रोल सेंटर का निर्माण
  • चीनी सेना का प्रमुख फाइटर एयरबेस है हॉटन

मई में पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ शुरू हुए गतिरोध के बाद से चीन लगातार अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत कर रहा है. सैटेलाइट तस्वीरों के जरिये चीन के नियंत्रण वाले पूर्वी तुर्किस्तान के हॉटन में ताजा बदलाव देखने को मिला है. पूर्वी तुर्किस्तान पर चीन का कब्जा है और चीन इसे शिनजियांग कहता है. हॉटन अब चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स (PLAAF) के प्रमुख फाइटर एयरबेस में से एक है.

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ताजा सेैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि हॉटन में एक भूमिगत स्वचालित कमांड और कंट्रोल सेंटर का निर्माण हुआ है, जो पूर्वी लद्दाख से चीन का सबसे नजदीकी बेस है. पहली बार इस एयरबेस पर वाई-20 स्ट्रेटजिक ट्रांसपोर्ट एयरक्रॉफ्ट देखा गया है, जो अतिरिक्त सैनिकों की संभावित तैनाती का संकेत है.

इंडिया टुडे ने इसके पहले जुलाई और अगस्त 2020 में रिपोर्ट किया था कि हॉटन एयरबेस में थोड़े समय के लिए चीन की फिफ्थ जेनेरेशन के जे-20 स्टील्थ फाइटर विमानों की तैनाती की गई थी.

काराकोरम दर्रे के उत्तर-पूर्व में 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हॉटन एयरबेस इस इलाके में, खासकर पूर्वी लद्दाख में पेंगॉन्ग त्सो के आसपास भारतीय सेनाओं के लिए एक गंभीर खतरा पैदा कर सकता है.

 

हॉटन के ऊपर से ली गई सैटेलाइट तस्वीरें बताती हैं कि इस वर्ष अक्टूबर में इस क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ गई हैं. हालांकि जून में रनवे पर शुरू हुआ निर्माण कार्य धीमा हो गया है, लेकिन ऑपरेशनल वर्क जारी है.

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इंडिया टुडे की टीम ने हाई रिजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों के जरिये चीनी वायुसेना के इस महत्वपूर्ण एयरबेस पर चल रहीं गतिविधियों की जांच की.

अंडरग्राउंड कमांड और कंट्रोल सेंटर

किसी भी घटना से निपटने के लिए चीनी वायुसेना हॉटन एयरबेस पर भूमिगत निर्माण कर रही है.

26 अक्टूबर, 2020 की हाई ​रिजोल्यूशन तस्वीरें स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि ज्यादा सैनिकों के लिए अतिरिक्त निर्माण संभवतः चीनी वायुसेना या चीनी सेना के रॉकेट फोर्स (PLARF) के हैं.

 

वहां पर देखने में आया है कि तीन भूमिगत निर्माण चल रहे हैं जिनके जमीन के ​नीचे दबा परिसर होने की संभावना है.

इन भूमिगत ढांचों का आकार बताता है कि जमीन के नीचे गहराई से दबे हुए ये तीन ढांचे PLAAF और PLARF के संभावित मुख्यालय और ऑपरेशनल रूम हो सकते हैं.

इस साल अक्टूबर में जो निर्माण देखे गए थे वे दृढ़ता से संकेत देते हैं कि यह एक कमान कंट्रोल और इंटेलिजेंस सेंटर (C2I) हो सकता है जिसके PLAAF और PLARF के C4I ग्रिड के साथ जुड़े होने की संभावना है.

अर्धवृत्ताकार स्टील रिबार्स से बनाए गए इन मॉड्यूलों का भूमिगत निर्माण ये भी संकेत देता है कि इन्हें तब तक नष्ट करना मुश्किल होगा जब तक कि स्पेशल अर्थ पेनेट्रेटिंग बॉम्ब का इस्तेमाल न किया जाए.

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एयरबेस का विस्तार

हॉटन को कवर करने वाली ताजा सैटेलाइट तस्वीरें स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि जून 2020 में शुरू हुए दो नई हवाई पट्टी और टैक्सीवे के लिए ग्रेडिंग का काम धीमी गति से आगे बढ़ रहा है. 

 

 

सैटेलाइट तस्वीरों से संकेत मिलता है कि पुराने रनवे के पूर्वी छोर से जुड़ने वाले नए रनवे और टैक्सीवे पर काम अब भी जारी है. ग्रेडिंग कार्य की धीमी प्रगति चीनी वायुसेना के पास संभावित संसाधन की कमी का सुझाव देती है.

  

 

यूएवी एप्रन और हैंगर के बगल में एक नये हैंगर का निर्माण चल रहा है. इस लोकेशन पर निर्माण का ये भी मतलब है कि 60 x 45 मीटर के हैंगर का उपयोग हॉटन स्थित यूएवी स्क्वाड्रन भी करेगी.

 

रणनीतिक परिवहन विमान और यूएवी की तैनाती


26 अक्टूबर की एक हाई रिजोल्यूशन तस्वीर दिखाती है कि मुख्य एप्रन में एक रणनीतिक ट्रांसपोर्टर वाई-20 एयरक्राफ्ट पार्क है.

 

 

दो बड़े वाहनों और एस्क्यू पार्किंग के साथ विमान एप्रन छोड़ने के लिए जल्दबाजी का संकेत देता है. इसका मतलब यह भी है कि यह बहुत ही कम समय के लिए एक अस्थायी तैनाती थी.

 

विशेष विमान- दो AEW KJ-500 और दो हाई न्यू 4 ECM- की तैनाती पहले जैसी ही बनी हुई है.

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आश्चर्यजनक रूप से दो सीएच-5 यूएवी विमान रनवे के पूर्व में यूएवी एप्रन में पार्क किए गए हैं. ऐसा पाया गया है कि ये लगभग पूरे अक्टूबर महीने के दौरान एक ही जगह पर पार्क रहे. इन यूएवी का इस्तेमाल पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के लाइव कवरेज के लिए किया जा सकता है.

  

 

ये भी सामने आया है कि अक्टूबर की शुरुआत में इस हवाई अड्डे पर यूएवी हैंडलिंग के लिए तीन अतिरिक्त ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम तैनात किए गए हैं. डिश एंटीना के साथ एक अतिरिक्त सैटकॉम वाहन भी पूरे अक्टूबर के दौरान देखा गया है.

 

ये अतिरिक्त ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम और सैटकॉम वाहन मजबूती से ये संकेत देते हैं कि पूर्वी लद्दाख में भारतीय फोर्स की रेकी और निगरानी के लिए इस एयरबेस से यूएवी गतिविधियां कई गुना बढ़ गई हैं.


(कर्नल विनायक भट (रिटायर्ड) इंडिया टुडे के सलाहकार हैं. वे सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषक हैं, जिन्होंने 33 साल तक भारतीय सेना में सेवाएं दी हैं.)

 

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