भारत और चीन के बीच लद्दाख में जारी तनाव को खत्म करने को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत लगातार जारी है. दोनों देशों के बीच बने गतिरोध को खत्म करने को लेकर हो रहे प्रयास के बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि पिछले दिनों दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत के दौरान हुए समझौते से आगे का रास्ता निकलता है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 10 सितंबर को मॉस्को में चीनी समकक्ष वांग यी के साथ बैठक की थी जिसमें दोनों विदेश मंत्री एक समझौते पहुंचे और यही आगे की राह दिखाता है. इस बैठक से पहले 4 सितंबर को मॉस्को में ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी समकक्ष के साथ मुलाकात हुई थी.
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि दोनों के बीच हुई बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच यह आम सहमति बनी कि LAC के सभी तनावपूर्ण क्षेत्रों से सैनिकों को तेजी से वहां से हटाया जाना चाहिए. साथ ही दोनों पक्ष तनाव को कम करने को लेकर ध्यान केंद्रित करें और ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचें जिससे स्थिति खतरनाक न होने पाए. इसके लिए द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने और यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा प्रयास नहीं करने की आवश्यकता है.
संसद में बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि रक्षा मंत्री ने 15 सितंबर को संसद में और साथ ही गुरुवार को राज्यसभी से स्पष्ट रूप से कहा कि हम कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से चीनी पक्ष के साथ शांतिपूर्ण बातचीत के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम आपको इस संबंध में घटनाक्रम से अवगत कराते रहेंगे.
चीनी कंपनी की ओर से भारतीय लोगों की जासूसी किए जाने के मुद्दे पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने इस मुद्दे पर मीडिया रिपोर्टों को देखा है. विदेश मंत्रालय ने चीनी पक्ष के साथ इस मामले को उठाया भी है. चीनी पक्ष ने यह बताया कि कंपनी एक निजी संस्था है. चीनी पक्ष ने यह भी दावा किया कि संबंधित कंपनी और चीनी सरकार के बीच कोई संबंध नहीं है.
मंत्रालय ने कहा कि जासूसी की खबरों के पड़ताल के लिए सरकार ने इन रिपोर्टों का अध्ययन करने, उनके प्रभावों का मूल्यांकन करने, कानून के किसी भी उल्लंघन का आकलन करने और 30 दिनों के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक (NCSC) के तहत एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है.