scorecardresearch
 

'बार-बार समझौते तोड़ने वाले देश से...', एस. जयशंकर की चीन को खरी-खरी

जयशंकर ने चीन से संबंधों पर कहा, ऐसे देश के साथ सामान्य होने की कोशिश करना बहुत कठिन है जिसने समझौते तोड़े हैं और जिसने वो किया, जो करता रहा है. इसलिए यदि आप पिछले तीन सालों को देखें, तो यह एक बहुत ही असामान्य स्थिति है.

Advertisement
X
एस जयशंकर (फाइल फोटो)
एस जयशंकर (फाइल फोटो)

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 2020 में गलवान में हुई हिंसा के बाद से भारत और चीन के बीच संबंध असामान्य स्थिति में हैं. इतना ही नहीं एस जयशंकर ने कहा कि बार बार रिश्ते तोड़ने वाले देश के साथ सामान्य होने की कोशिश करना बहुत कठिन है. उन्होंने कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े देशों के बीच इस तरह का तनाव हो, तो इसका असर हर किसी पर पड़ेगा. 

Advertisement

विदेश मंत्री जयशंकर ने यह बात काउंसिल ऑन फॉरन रिलेशन में भारत चीन संबंधों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कही. उन्होंने, आप जानते हैं, चीन के साथ व्यवहार करने का आनंद यह है कि वे आपको कभी नहीं बताते कि वे ऐसा क्यों करते हैं? इसलिए आप अक्सर इसका पता लगाने की कोशिश करते हैं. और यह हमेशा होता है, वहां कुछ अस्पष्टता बनी रहती है.

जयशंकर ने कहा, ऐसे देश के साथ सामान्य होने की कोशिश करना बहुत कठिन है जिसने समझौते तोड़े हैं और जिसने वो किया, जो करता रहा है. इसलिए यदि आप पिछले तीन सालों को देखें, तो यह एक बहुत ही असामान्य स्थिति है.  उन्होंने कहा, संपर्क बाधित हो गए हैं, यात्राएं नहीं हो रही हैं. हमारे बीच निश्चित रूप से उच्च स्तर का सैन्य तनाव है. इससे भारत में चीन के प्रति धारणा पर भी असर पड़ा है. 

Advertisement

जयशंकर ने कहा, इसलिए मुझे लगता है कि वहां एक तात्कालिक मुद्दा और साथ ही एक मध्यम अवधि का मुद्दा भी है, संभवतः मध्यम अवधि के मुद्दे से भी लंबा. विदेश मंत्री ने दिल्ली और बीजिंग के बीच संबंधों पर एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का जिक्र किया और कहा कि यह कभी आसान नहीं रहा. उन्होंने कहा, हमारे बीच 1962 में युद्ध हुआ. उसके बाद सैन्य घटनाएं हुईं, लेकिन 1975 के बाद, सीमा पर कभी भी युद्ध में मौत नहीं हुई, 1975 आखिरी बार था. 1988 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन गए, तो भारत ने संबंधों को अधिक सामान्य बनाया. 

जयशंकर ने आगे बताया कि 1993 और 1996 में भारत ने सीमा को स्थिर करने के लिए चीन के साथ दो समझौते किए, जो विवादित हैं, उन्हें लेकर बातचीत चल रही है.  उन्होंने कहा कि इस बात पर सहमति हुई कि न तो भारत और न ही चीन LAC पर सेना एकत्र करेगा और यदि कोई भी पक्ष एक निश्चित संख्या से अधिक सैनिक लाता है, तो वह दूसरे पक्ष को सूचित करेगा.  

जयशंकर ने कहा कि उसके बाद कई समझौते हुए और यह एक बहुत अनोखी स्थिति थी, क्योंकि सीमा क्षेत्रों में, दोनों तरफ के सैनिक अपने निर्धारित सैन्य ठिकानों से बाहर आएंगे, गश्त करेंगे और अपने ठिकानों पर लौट आएंगे. अगर कहीं दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव होता, तो इसे लेकर स्पष्ट नियम थे कि कैसा बर्ताव किया जाएगा और हथियारों का इस्तेमाल निषिद्ध था. 2020 तक ऐसी ही स्थिति रही. 

Advertisement

उन्होंने कहा, 2020 में जब भारत में सख्त COVID-19 लॉकडाउन चल रहा था, हमने देखा कि बहुत बड़ी संख्या में चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर बढ़ रहे थे. तो इन सबके बीच हमें भी जवाबी तैनाती करनी थी, जो हमने किया. और फिर हमारे सामने एक ऐसी स्थिति थी जहां हम स्वाभाविक रूप से चिंतित थे कि सैनिक अब बहुत करीब आ गए थे. 

जयशंकर ने कहा, हमने चीनियों को बताया था कि ऐसी स्थिति समस्याएं पैदा कर सकती है और निश्चित रूप से जून 2020 के मध्य में ऐसा हुआ. जयशंकर ने कहा कि चीनी पक्ष ने विभिन्न समयों पर अलग-अलग स्पष्टीकरण दिए लेकिन उनमें से कोई भी वास्तव में मान्य नहीं है. तब से हम डिसइंगेज करने की कोशिश कर रहे हैं. हम इसमें काफी हद तक सफल भी हुए हैं. 
 
जयशंकर ने कहा, अब इसने जो किया है, उसने एक तरह से रिश्ते को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है क्योंकि ऐसे देश के साथ सामान्य होने की कोशिश करना बहुत कठिन है जिसने समझौते तोड़े हैं.

Live TV

Advertisement
Advertisement