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केरलः समुद्र में मछली पकड़ने का लाइसेंस पाने वाली इकलौती महिला तंगहाली में जीने को मजबूर

केरल की केसी रेखा देश की पहली और इकलौती ऐसी महिला हैं, जिन्हें गहरे समुद्र में मछली पकड़ने का लाइसेंस मिला हुआ है. रेखा अब दिन भर सीप के खोल इकट्ठा करके परिवार का गुजारा कर रही हैं.

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रेखा को 2016 में मिला था लाइसेंस
रेखा को 2016 में मिला था लाइसेंस
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सीप के खोल इकट्ठा कर चला रहीं परिवार
  • खोल से भरी टोकरी पर मिलते हैं 60 रुपये

केरल की केसी रेखा पहली और इकलौती ऐसी भारतीय महिला हैं जिन्हें गहरे समुद्र में मछली पकड़ने का लाइसेंस मिला हुआ है. रेखा अब समुद्र तट से सीप इकट्ठी कर आजीविका चलाती हैं. उन्हें सीप के खोल से भरी एक टोकरी के लिए 60 रुपये मिलते हैं. उनकी कमाई से ही घर का गुजारा चलता है. रेखा के परिवार में पति और चार बेटियां हैं.  

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49 साल की रेखा का कहना है कि कई बार वो समुद्र में सीप के खोलों के लिए घंटों तलाश करती रहती हैं लेकिन एक टोकरी भी नहीं भर पाती. दरअसल, रेखा के परिवार में पहले सब सही चल रहा था. लेकिन रेखा के पति पी कार्तिकेयन को हृदय रोग होने के बाद आर्थिक दिक्कतें पेश आने लगीं. बारिश से तबाही, समुद्र में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध, लॉकडाउन ने परिवार की परेशानियों को और बढ़ा दिया. 

कार्तिकेयन के दिल का रोग पता चलने के बाद डॉक्टर ने उन्हें समुद्र में न जाने की हिदायत दी. कार्तिकेयन की कोट्टायम मेडिकल कॉलेज में दिल की सर्जरी होना तय था. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में कोविड-19 मरीजों पर फोकस होने की वजह से कार्तिकेयन की सर्जरी टल गई. रेखा की चार बेटियों में सबसे बड़ी माया की शादी हो चुकी है. बाकी तीनों बेटियां अंजलि, देवप्रिया और लक्ष्मीप्रिया परिवार के साथ ही रहती हैं.

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रेखा को 2016 में गहरे समुद्र में मछली पकड़ने का लाइसेंस मिला था तो वो खबर को राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बनी थी. पहले रेखा अपने पति के साथ गहरे समुद्र में मछलियां पकड़ने जाती थी. रेखा को महिला सशक्तिकरण और मेहनत की मिसाल बताया गया.  

तिरुवनंतपुरम से 300 किलोमीटर दूर त्रिसूर के चेट्टूवा में ये परिवार जहां रहता है वो समुद्र के नजदीक है. यहां समुद्र की ऊंची लहरों से खतरा बना रहता है. लेकिन परिवार फिर भी यहां रहने को मजबूर है. त्रिसूर के कूरकेनचेरी से मूल रूप से ताल्लुक रखने वालीं रेखा शादी के बाद कार्तिकेयन के साथ रहने तटीय इलाके में आ गईं. कार्तिकेयन का पेशा भी मछली पकड़ना था. बारहवीं तक पढ़ीं रेखा ने शादी से पहले हिंदी विद्वान कोर्स भी किया था. 

शादी से पहले रेखा समुद्र से इतनी परिचित नहीं थीं. लेकिन शादी के बाद समुद्र उनकी ज़िंदगी का अहम हिस्सा हो गया. गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए वो तट से 50 किलोमीटर दूर तक चली जाती थीं. मछली पकड़ने वली नौका में कम से कम तीन लोग होने चाहिए. ऐसे में रेखा और कार्तिकेयन के साथ नौका पर एक हेल्पर भी होता था. रेखा का कहना था कि मछली पकड़ने जाते वक्त वो पारम्परिक ज्ञान का ही सहारा लेते थे. रेखा मानती हैं कि समुद्र की देवी कडलम्मा हर विपरीत स्थिति से मछुआरों की रक्षा करती हैं. 

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(रिपोर्टः फैसल एस राएज)

 

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