
भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट वाला पंबन ब्रिज (Pamban Bridge) बनकर तैयार हो चुका है और 6 अप्रैल को रामनवमी के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) इसका उद्घाटन करने वाले हैं. समुद्र के ऊपर बना यह 2.08 किलोमीटर लंबा पुल रामेश्वरम द्वीप को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है. यह एक रेलवे ट्रैक के साथ-साथ वर्टिकल लिफ्ट वाला समुद्री पुल है, जिस पर ट्रेन भी दौड़ सकेंगी और इसके नीचे से बड़े जहाज भी गुजर सकते हैं.
ऐसे काम करेगा पंबन ब्रिज
समुद्री यातायात को सुगम बनाने के लिए पुल पर बना रेलवे ट्रैक का एक हिस्सा 17 मीटर ऊपर उठ सकता है ताकि जहाजों को नीचे से गुजरने का रास्ता मिल जाए. यह पुल अंग्रेजी हुकूमत में बने पंबन पुल के समानांतर बना हुआ है जो करीब 110 साल पुराना हो चुका है. कई दशक पहले बना हेरिटेज पुल अब जंग की वजह से इस्तेमाल के लायक नहीं बचा है. इस वजह से साल 2022 में उसे बंद कर दिया गया था.
रेलवे ने करीब 531 करोड़ रुपये की लागत से इस ब्रिज को तैयार किया है जो समुद्री यातायात और रेलवे कनेक्टिविटी का एक शानदार उदाहरण पेश करता है. साथ ही यह ब्रिज अद्भुत इंजीनियरिंग की मिसाल है, क्योंकि यह देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज है- जिसका अर्थ है कि इसके बीच का हिस्सा 17 मीटर तक ऊपर उठ सकता है, जिससे बड़े जहाज पुल के नीचे से गुजर सकते हैं.
मजबूत डिजाइन और बेजोड़ निर्माण
नए पंबन ब्रिज की लिफ्ट को खुलने में 5 मिनट और 30 सेकंड लगते हैं जबकि पुराने ब्रिज की स्विंग को खुलने में 35 मिनट से 40 मिनट लग जाते थे. अब नए ब्रिज के निर्माण से टाइम की काफी बचत होगी. हाई क्वालिटी और टेक्नोलॉजी की मदद से निर्मित इस पुल को विषम समुद्री परिस्थितियों और तेज हवाओं का सामना करने के लिहाज से डिज़ाइन किया गया है.
अगर हवा की गति 58 किमी प्रति घंटे से भी ज्यादा हो जाती है, ऐसे में ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही रोक दी जाएगी. पुल पर काम करने वाले तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार नया पुल 100 साल से अधिक समय तक टिकेगा. दिलचस्प बात यह है कि पंबन ब्रिज जहां बना है वह जगह दुनिया की दूसरी सबसे ज़्यादा जंग ग्रसित जगह मानी जाती है. इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए स्टेनलेस स्टील की मदद से पुल को बनाया गया है ताकि जंग से ब्रिज को नुकसान न हो.
ब्रिज के ऊपर उठने वाले लिफ्ट गर्डर का वजन 660 मीट्रिक टन है और इसे 80 किमी प्रति घंटे तक की ट्रेन स्पीड के लिए डिज़ाइन किया गया है. इस ट्रैक पर ट्रेन की स्वीकृत गति 75 किमी प्रति घंटा है. मतलब यह कि पुल से गुजरने वाले ट्रेन अपनी सामान्य गति को कम करके यहां से गुजर सकेंगी. इस ब्रिज के चालू होने के बाद रामेश्वरम के दर्शन करने के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होगा और उनको बेहतर रेलवे सुविधाएं मिल सकेंगी.