scorecardresearch
 

नए भारत का जलवा: चीन सीमा के नजदीक, 13700 फीट पर... पूर्वी लद्दाख में बनाया अपना सबसे ऊंचा एयरफील्ड

इस हवाई पट्टी की ऊंचाई और इसका एलएसी के करीब होना, इसे रणनीतिक लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण बनाती है. इसकी मदद से भारत अब अपनी उत्तरी सीमाओं पर पहले से कहीं अधिक तेजी से संसाधनों को तैनात करने में सक्षम होगा. 

Advertisement
X
पूर्वी लद्दाख में भारत का सबसे ऊंचा एयरफील्ड न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड ऑपरेशन के लिए तैयार. (Photo: Aajtak/Shivani Sharma)
पूर्वी लद्दाख में भारत का सबसे ऊंचा एयरफील्ड न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड ऑपरेशन के लिए तैयार. (Photo: Aajtak/Shivani Sharma)

पूर्वी लद्दाख के मधु-न्योमा में स्थित भारत का सबसे ऊंचा एयरफील्ड बनकर लगभग तैयार है और बहुत जल्द यहां से विमानों का टेक ऑफ और लैंडिंग भी होने लगेगी. इस एयरफील्ड के बनने से चीन के साथ लगने वाली सीमा (वास्तविक नियंत्रण रेखा/Line of Actual Control) पर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और कनेक्टिविटी महत्वपूर्ण मजबूती मिलेगी. 

Advertisement

न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (ALG) चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब लगभग 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस एयरफील्ड की मदद से जरूरत पड़ने पर भारत अपने रक्षा बलों को बहुत कम समय में एलएसी पर एकत्रित कर सकेगा. न्योमा एएलजी से इस क्षेत्र में भारत की रणनीतिक क्षमताओं को मजबूती मिलेगी. 

यह भी पढ़ें: 4 साल बाद देपसांग-डैमचोक में पैट्रोलिंग शुरू, चीन की सीमा पर कम हुआ तनाव, देखें रणभूमि
 
न्योमा एयरफील्ड में एक नवनिर्मित 3 किलोमीटर का रनवे है, जिसे इमरजेंसी ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है. इस प्रोजेक्ट को लगभग 214 करोड़ रुपये के बजट आवंटन के साथ 2021 में हरी झंडी दी गई थी. इस हवाई पट्टी की ऊंचाई और इसका एलएसी के करीब होना, इसे रणनीतिक लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण बनाती है. इसकी मदद से भारत अब अपनी उत्तरी सीमाओं पर पहले से कहीं अधिक तेजी से संसाधनों को तैनात करने में सक्षम होगा. 

Advertisement

एलएसी के बहुत करीब होने के कारण न्योमा एयरफील्ड आपात स्थिति में भारत के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा. इस एयरफील्ड के बन जाने से भारतीय वायु सेना को सुदूर, पहाड़ी सीमावर्ती क्षेत्रों तक सीधी पहुंच मिल गई है, जहां सड़क मार्ग से पहुंचना अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है.

Nyoma Advanced Landing Ground in Eastern Ladakh Ready for Operation
न्योमा एयरफील्ड प्रोजेक्ट को 2021 में हरी झंडी दी गई थी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 12 सितंबर, 2023 को इसकी आधारशिला रखी थी. 

न्योमा एयरफील्ड का सामरिक महत्व 

भारत सरकार अपने सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर बहुत ध्यान दे रही है और न्योमा एयरफील्ड इसका जीवंत उदाहरण है. चार साल पहले एलएसी पर चीन के साथ गतिरोध शुरू होने के बाद से, भारत ने लद्दाख और पड़ोसी क्षेत्रों में अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ाया है. नवनिर्मित सड़कों, सुरंगों और पुलों के साथ न्योमा एएलजी इसी इंफ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर होने से विपरीत परिस्थितियों में भारत की प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ेगी और सेना को रसद इत्यादि पहुंचाना आसान होगा. 

भारत और चीन के बीच हाल ही में दो विवादास्पद क्षेत्रों- डेमचोक और देपसांग में डिसइंगेजमेंट समझौते के बाद इस हवाई क्षेत्र का महत्व बढ़ गया है. इन दोनों क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट के बाद भारत और चीन के सैनिक फिर से अप्रैल 2020 के पहले वाली स्थिति में होंगे और पेट्रोलिंग कर सकेंगे. न्योमा एयरफील्ड डेमचौक और देपसांग से काफी करीब है. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: कनाडा का एक और भड़काऊ कदम, भारत को चीन-नॉर्थ कोरिया वाली इस लिस्ट में डाला

इसलिए भारत अब किसी भी आपात स्थिति में इस एयरफील्ड की मदद से बहुत कम समय के अंदर अपने सैनिकों को  इन इलाकों में तैनात कर सकता है. संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना, इस बात का संकेत है कि भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के प्रति कितना प्रतिबद्ध है. 

भारत ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में इन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को तेजी के साथ पूरा किया है, जो अपनी सीमाओं की सुरक्षा के प्रति सरकार के दृष्टिकोण में एक निर्णायक बदलाव को दर्शाता है. भारत सरकार का विशेष रूप से लद्दाख जैसे क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करने का उद्देश्य सैन्य और नागरिक दोनों जरूरतों का समर्थन करना है. न्योमा एयरफील्ड से न सिर्फ भारतीय थल सेना और वायु सेना को मदद मिलेगी, बल्कि स्थानीय कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा मिलेगा.

इस एयरफील्ड का उपयोग सिविल एविएशन के लिए भी हो सकेगा. इसका लाभ दूरदराज के इलाकों में रहने वाले समुदायों को मिलेगा. न्योमा का यह रणनीतिक हवाई क्षेत्र भारत के अपने हिमालयी सीमा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, संभावित खतरों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहने और एक सुरक्षित और कनेक्टर फ्रंटियर सुनिश्चित करने के व्यापक लक्ष्य में एक मील का पत्थर है.

Live TV

Advertisement
Advertisement