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श्रीलंका में भारत भेज रहा सेना? सोशल मीडिया पर चल रही खबरों का उच्चायोग ने किया खंडन

भारत ने श्रीलंका में सेना भेजने से संबंधित खबरों का खंडन किया है. श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने कहा है कि ये भारत सरकार के स्टैंड के मुताबिक सही नहीं है. सोशल मीडिया पर चल रही इस तरह की खबरें गलत हैं.

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प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर किया कब्जा (फाइल फोटो)
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर किया कब्जा (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सोशल मीडिया पर चल रहीं सेना भेजने की खबरें
  • श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने किया खंडन

भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका साल 1948 में अपनी आजादी के बाद अब तक के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में हालात दिन पर दिन बिगड़ते जा रहे हैं. राष्ट्रपति भवन पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया है. प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के घर को भी प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी थी जिसके बाद दोनों ही नेताओं ने अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया था. इस बीच सोशल मीडिया पर भारत के सेना भेजने की खबरें चलने लगीं.

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सोशल मीडिया पर ये खबर फैल गई कि प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए भारत अपनी सेना भेज रहा है. सोशल मीडिया पर चल रही इन खबरों को लेकर श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायोग ने बयान जारी किया है. भारतीय उच्चायोग ने श्रीलंका में सेना भेजने संबंधी खबरों का खंडन किया है. भारतीय उच्चायोग ने इन खबरों का खंडन करने के साथ ही भारत का रुख भी साफ कर दिया.

भारतीय उच्चायोग की ओर से कहा गया है कि इस तरह की खबरें और विचार भारत सरकार के स्टैंड के मुताबिक सही नहीं हैं. भारतीय उच्चायोग की ओर से ट्वीट कर श्रीलंका के हालात को लेकर विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान का भी जिक्र किया गया है. भारतीय उच्चायोग की ओर से कहा गया है कि भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने साफ कहा है कि हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े हैं. श्रीलंका के लोग लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों, स्थापित संस्थानों और संवैधानिक ढांचे के जरिये समृद्धि और प्रगति से जुड़ी अपनी आकांक्षाओं को साकार करना चाहते हैं.

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सेना भेजने के पक्ष में सुब्रमण्यम स्वामी

भारत ने श्रीलंका में अपनी सेना भेजने की खबरों का खंडन कर दिया है वहीं इसे लेकर अब देश में भी बहस छिड़ती नजर आ रही है. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा है कि गोटबाया और महिंदा राजपक्षे, दोनों ही नेता स्वतंत्र रूप से हुए चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ निर्वाचित हुए थे. उन्होंने कहा है कि भीड़ को इस तरह वैध चुनाव नतीजे पलटने की अनुमति भारत कैसे दे सकता है?

सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर ये भी कहा कि अगर ऐसा हुआ तो हमारे पड़ोस का कोई भी लोकतांत्रिक देश सुरक्षित नहीं रहेगा. उन्होंने साथ ही श्रीलंका में सेना भेजने की वकालत भी कर दी. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अगर राजपक्षे भारत की सैन्य मदद चाहते हैं तो हमें ये मदद देनी चाहिए. दूसरी तरफ, श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने प्रदर्शन स्थल पर बड़ी तादाद में सैनिक भेजने की खबरों का खंडन किया है.

श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सोशल मीडिया पर इस तरह के दावे किए जा रहे हैं कि गॉल में प्रोटेस्ट साइट पर बड़ी संख्या में सैनिक जा रहे हैं. श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने साफ कहा है कि इस तरह की खबरें गलत हैं. इससे पहले, श्रीलंका के सेना प्रमुख ने आम जनता से शांति व्यवस्था बनाए रखने में सुरक्षाकर्मियों का सहयोग करने की अपील की थी.

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