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कंबोडिया के जंगलों में दहाड़ेंगे हिंदुस्तानी बाघ, भारत भेज सकता है चार टाइगर

कंबोडिया का आखिरी बाघ 2007 में पूर्वी प्रांत मोंडुलकिरी में एक कैमरा ट्रैप पर देखा गया था. सितंबर 2017 में, कंबोडियाई सरकार ने WWF की मदद से देश में बाघों को फिर से लाने की योजना की घोषणा की. अवैध शिकार, निवास स्थान की कमी और अन्य कारकों के कारण कंबोडिया ने अपने सभी बाघ खो दिए.

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सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

कंबोडिया के जंगलों में बाघों को फिर से लाने में मदद के लिए भारत नवंबर-दिसंबर तक चार बाघ भेज सकता है. सूत्रों ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. भारत ने नवंबर 2022 में दुनिया की पहली अंतरराष्ट्रीय बाघ पुनरुत्पादन परियोजना के लिए कंबोडिया के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

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अंतिम फैसला होना अभी बाकी है

कंबोडिया की नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के अधिकारियों और कंबोडिया में भारतीय राजदूत देवयानी खोबरागड़े ने कुछ दिन पहले एक ऑनलाइन मीटिंग में हिस्सा लिया और नवंबर-दिसंबर तक कंबोडिया में चार बाघ भेजने के प्रस्ताव पर चर्चा की. एक सूत्र ने बताया कि हालांकि एक अंतिम फैसला होना अभी बाकी है. 

एनटीसीए के सदस्य सचिव गोबिंद सागर भारद्वाज ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, 'प्रस्ताव के संबंध में कंबोडियाई अधिकारियों के साथ लगातार बातचीत चल रही है. एनटीसीए ने उनसे एक विस्तृत एक्शन प्लान भेजने का अनुरोध किया है.  इसकी जांच की जाएगी और तकनीकी समिति के सामने रखा जाएगा.'

चार बाघ भेज सकता है भारत

उन्होंने कहा कि तकनीकी समिति की सिफारिशों के आधार पर अथॉरिटी की ओर से उचित फैसला लिया जाएगा. एक अन्य सूत्र ने बताया कि चार बाघों, एक नर और तीन मादा, को भारत के पश्चिमी घाटों से कंबोडिया के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में कार्डोमोम हिल्स में भेजने की योजना है. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड के मुताबिक, कंबोडिया में संरक्षणवादियों ने 2016 में बाघों को 'कार्यात्मक रूप से विलुप्त' (functionally extinct) घोषित कर दिया. 

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2007 में आखिरी बार दिखा था बाघ

कंबोडिया का आखिरी बाघ 2007 में पूर्वी प्रांत मोंडुलकिरी में एक कैमरा ट्रैप पर देखा गया था. सितंबर 2017 में, कंबोडियाई सरकार ने WWF की मदद से देश में बाघों को फिर से लाने की योजना की घोषणा की. अवैध शिकार, निवास स्थान की कमी और अन्य कारकों के कारण कंबोडिया ने अपने सभी बाघ खो दिए. सूत्र ने कहा कि भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि इसके लिए जिम्मेदार सभी कारकों पर ध्यान दिया जाए और बाघों के पुनरुत्पादन के लिए परिस्थितियां अनुकूल हों.

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