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क्या सरकार अब देश का नाम इंडिया नहीं बल्कि सिर्फ भारत करने वाली है? जानिए

अनुच्छेद तीन और 239aa जैसे कई अनुच्छेद हैं जिनमें बदलाव के लिए राज्यों की सम्मति आवश्यक नहीं है. लेकिन संविधान में उन अनुच्छेदों का स्पष्ट जिक्र है जिनमें संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों से अलग अलग दो तिहाई बहुमत से पारित होना आवश्यक है.

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क्या सरकार अब देश का नाम इंडिया और भारत नहीं बल्कि सिर्फ भारत करने वाली है? जानिए
क्या सरकार अब देश का नाम इंडिया और भारत नहीं बल्कि सिर्फ भारत करने वाली है? जानिए

पूरा देश इसी चर्चा में व्यस्त है कि क्या भारत के संविधान में बदलाव कर इसे सिर्फ 'भारत का संविधान' बनाने जा रही है? इस चर्चा के बीच हमने लोकसभा के पूर्व महासचिव, संविधान के विशेषज्ञ और सीनियर एडवोकेट पीडीटी आचारी से पूछा कि आखिर इसकी प्रक्रिया क्या है?

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आचारी के मुताबिक सरकार अगर संविधान में संशोधन कर इंडिया दैट इज भारत शैल बी यूनियन ऑफ स्टेट्स को बदल कर सिर्फ भारत करना चाहती है तो संविधान के अनुच्छेद एक और 52 में प्रेजिडेंट ऑफ इंडिया, वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया जैसे पदनाम उनके ऑफिस को इंगित करते हैं.

हालांकि संविधान के आधिकारिक हिंदी अनुवाद में इन पदनाम का जिक्र भारत के राष्ट्रपति, भारत के उपराष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश आदि के तौर पर किया गया है. हिंदी अनुवाद में इंडिया नहीं सिर्फ भारत है.

अगर सरकार इसमें सिर्फ भारत को ही मान्यता देना चाहती है तो तय प्रक्रिया के मुताबिक संविधान में बदलाव कर घोषणा करनी होगी The India shall hear after this Bharat only or republic known as Bharat only.

अनुच्छेद तीन और 239aa जैसे कई अनुच्छेद हैं जिनमें बदलाव के लिए राज्यों की सम्मति आवश्यक नहीं है. लेकिन संविधान में उन अनुच्छेदों का स्पष्ट जिक्र है जिनमें संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों से अलग अलग दो तिहाई बहुमत से पारित होना आवश्यक है. बहुमत के लिए सदन की कुल संख्या का स्पष्ट बहुमत यानी आधे से ज्यादा और उपस्थित सदस्यों का दो तिहाई बहुमत से पारित होना आवश्यक है. इसके बाद आधे से ज्यादा यानी कुल राज्यों में से पचास फीसद से एक ज्यादा राज्यों की सम्मति आवश्यक होती है.

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