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वरुण गांधी बोले- सिर्फ भारत दे सकता है चीन को जवाब, उसे जल्द होगा गलती का अहसास

वरुण गांधी ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जो अपनी सीमा पर तैनात सैनिकों की ताकत की बदौलत चीन को जवाब देने में सक्षम है. भारत को उकसाने को लेकर चीन को अपनी रणनीतिक गलती का अहसास बाद में होगा.

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बीजेपी सांसद वरुण गांधी (फोटो-PTI)
बीजेपी सांसद वरुण गांधी (फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चीन को केवल भारत दे सकता है चुनौती
  • बाद में चीन को गलती का होगा अहसास
  • राम मंदिर बनना सपने के पूरे होने जैसा-वरुण गांधी

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता वरुण गांधी ने गुरुवार को कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जो अपनी सीमा पर तैनात सैनिकों की ताकत की बदौलत चीन को जवाब देने में सक्षम है. भारत को उकसाने को लेकर चीन को अपनी रणनीतिक गलती का अहसास बाद में होगा.

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उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने एक इंटरव्यू में कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण एक हनुमान भक्त के रूप में उनके सपने के पूरे होने जैसा है, जो वर्षों की लड़ाई के बाद बनने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी, इसे आजादी से जोड़ते हुए वरुण गांधी ने कहा कि अगस्त 1947 में भारत ने एक बार नियति के साथ प्रयास किया था. भारत अब नए सिरे से जागृत हुआ है, और वह अपने सभ्यतागत लोकाचार के साथ फिर से जुड़ रहा है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार वरुण गांधी ने कहा कि अयोध्या विवाद का सफल समाधान भारत की शासन व्यवस्था, लोकतंत्र और न्यायपालिका के लिए ऐतिहासिक है. वहीं यह हमारे देश में विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच प्रशंसनीय एकजुटता भी प्रदर्शित करता है. उन्होंने कहा, "हनुमानजी के भक्त के रूप में, राम जन्मभूमि मंदिर की आधारशिला रखना मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है." वरुण गांधी ने कहा कि भगवान राम सिर्फ हिंदुओं के लिए नहीं हैं, वे सिंधु सभ्यता के एक उल्लेखनीय प्रतीक हैं.

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लद्दाख में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की शहादत का जिक्र करते हुए वरुण गांधी ने कहा कि मुझे भरोसा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के सशस्त्र बल चीन को भारत को उकसाने की रणनीतिक भूल को मनवा लेंगे. उन्होंने कहा कि चीन को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और वह एक साझेदार के रूप में भारत जैसी आर्थिक महाशक्ति को खो देगा, वहीं मोदी सरकार का रक्षा बलों को सशक्त बनाने पर जोर और पूरी रणनीतिक भावमुद्रा में बदलाव हमें दीर्घकालिक रूप में सक्षम बनाएगा.

 

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