देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) का पहला मरीज आज (30 जनवरी) ही के दिन ठीक एक साल पहले मिला था. कोरोना महामारी फैलने के बाद चीन के वुहान से लौटी केरल की एक छात्रा की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. भले ही आज भारत में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बेहद कम हो चुकी है. लेकिन इस एक साल में कोरोना ने जिंदगी के हर पहलू को प्रभावित किया है.
देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच पीएम मोदी ने 25 मार्च 2020 को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की. पहला लॉकडाउन 21 दिनों के लिए लगाया गया. हालांकि, बाद में लॉकडाउन की अवधि को और बढ़ाया गया. इस दौरान देश के अंदर और बाहर यात्रा पर बैन लगाया गया. फैक्ट्री, स्कूल, ऑफिस, दुकानें, व्यापार लगभग सभी तरह की गतिविधियों पर रोक लगी. देश के 130 करोड़ लोगों को घर में कैद होना पड़ा. इन सबके चलते भारत की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ.
अप्रैल 2020 तक भारत में कोरोना की रफ्तार यूरोपीय देशों के मुकाबले काफी कम थी. लेकिन मई के आते-आते कोरोना मरीजों का बढ़ना शुरू हो गया. सितंबर तक तो भारत में कोरोना की वजह से हाहाकार मच गया. इस दौरान रोजाना 75 से 90 हजार के बीच मामले आने लगे. एक समय तो भारत में अमेरिका के बाद कोरोना के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए.
आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में ही कोरोना के चलते 1200 से अधिक लोगों की जान गई जो एक दिन में होने वाली मौतों का नया रिकॉर्ड था. देश में इसे कोरोना का पीक माना गया. हालांकि, इसके बाद संक्रमण फैलने की रफ्तार में गिरावट होने लगी.
इस बीच एक जून को देश में पहले अनलॉक की घोषणा की गई. जिसमें मॉल, रेस्तरां और धार्मिक स्थलों को गाइडलाइन के साथ खोला गया. फिलहाल, नए साल यानी कि 2021 में देश को कोरोना वैक्सीन का तोहफा मिला. 16 जनवरी को टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत की गई. इस समय भारत में 1.7 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हैं. जबकि डेढ़ लाख से अधिक लोगों की मौत चुकी है.