बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सलाहकार महफूज आलम की एक विवादित पोस्ट पर हंगामा मचा हुआ है. हालांकि महफूज आलम की इस फेसबुक पोस्ट को अब हटा दिया गया है. बांग्लादेशी नेता की विवादित पोस्ट पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर बांग्लादेश के समक्ष अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है.
रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम समझते हैं कि जिस पोस्ट का जिक्र किया जा रहा है, उसे कथित तौर पर हटा दिया गया है, लेकिन हम सभी संबंधित पक्षों को याद दिलाना चाहेंगे कि वे अपनी सार्वजनिक टिप्पणियों के प्रति सचेत रहें, जबकि भारत ने बार-बार बांग्लादेश के लोगों और अंतरिम सरकार के साथ संबंधों को बढ़ावा देने में रुचि दिखाई है, लेकिन ऐसी टिप्पणियां सार्वजनिक अभिव्यक्ति में जिम्मेदारी की आवश्यकता पर जोर देती हैं.
क्या था महफूज आलम का विवादित पोस्ट?
पीटीआई के मुताबिक महफूज आलम ने विवादित पोस्ट में कहा था कि भारत को उस विद्रोह को मान्यता देनी चाहिए, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देने पर मजबूर किया था.
विदेश मंत्रालय ने कही ये बात
वहीं, विदेश मंत्रालय ने इस बात का भी खुलासा किया कि साल 2024 में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के 2200 मामले सामने आए हैं, वो भी बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के गिरने के बाद. विदेश मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने इन घटनाओं को गंभीरता से लिया है और बांग्लादेश सरकार के साथ अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है. भारत को उम्मीद है कि बांग्लादेश सरकार हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी.
बांग्लादेश में बढ़े हिंदुओं पर हमले
MEA के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की 47 घटनाएं हुई थीं, जबकि 2023 में 302 और 2024 में (8 दिसंबर, 2024 तक) बढ़कर 2200 हो गईं.
'सरकार ने इन घटनाओं को गंभीरता से लिया'
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अल्पसंख्यक और मानवाधिकार संगठनों के आंकड़ों का हवाला देते हुए राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने अपने जवाब में यह भी कहा कि सरकार ने इन घटनाओं को गंभीरता से लिया है और बांग्लादेश सरकार के साथ अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है. 9 दिसंबर, 2024 को विदेश सचिव की बांग्लादेश यात्रा के दौरान भी यही बात दोहराई गई थी.