मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में दक्षिण अफ्रीकी चीतों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. मंगलवार को यहां एक और चीते की मौत हो गई जो बीते 5 महीनों में नौवीं मौत है. जिन चीतों की मौत हुई है उनमें 6 वयस्क और 3 शावक शामिल हैं. लगातार हो रही चीतों की मौत पर अब प्रोजेक्ट चीता में शामिल अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने नाराजगी जताई है. उन्होंने का कि इस प्रोजक्ट से सरकार को सबक लेना चाहिए.
हाल ही में सरकार को सौंपी गई एक स्टेट्स रिपोर्ट में, विशेषज्ञों ने कहा कि ये विशेषताएं स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की आसान निगरानी, तनाव मुक्त पशु चिकित्सा और प्रबंधन हस्तक्षेप को सरल बनाने और पर्यटन मूल्य को बढ़ाने में सक्षम बनाती हैं. उन्होंने कहा, कूनो, जहां नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते दो बैच लाए गए हैं, पर्यटन के लिए खुलने जा रहा है और चीतों में ये गुण आगंतुकों को पार्क के प्रति आकर्षित कर सकता है.
विशेषज्ञों ने कही ये बात
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युवा वयस्क चीते नए वातावरण के लिए अधिक अनुकूल होते हैं और पुराने चीतों की तुलना में उनकी जीवित रहने की दर अधिक होती है. छोटे नर चीते अन्य चीतों के प्रति कम आक्रमक होते है, जिससे अंतःविशिष्ट प्रतिस्पर्धा मृत्यु दर, जिसे आमतौर पर चीता की आपसी लड़ाई के रूप में जाना जाता है, का जोखिम कम हो जाता है. चीतों को भारत में रिलोकेट करने से जुड़ी लागतों का जिक्र करते हुए, विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर डाला कि युवा चीतों को रिलीज किए जाने के बाद इनकी लंबी जीवन प्रत्याशा होती है, जो उच्च संरक्षण मूल्य और प्रजनन क्षमता प्रदान करती है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कूनो नेशनल पार्क में हुई चीताओं की मृत्यु दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे मीडिया में निगेटिव मैसेज गया है.
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इस साल मार्च से अब तक अफ्रीका से कूनो में लाए गए 20 वयस्क चीतों में से छह की मौत हो गई है. विशेषज्ञों ने सरकार का ध्यान दक्षिण अफ्रीका में चीता के पुनरुत्पादन (reintroduction) प्रयासों के दौरान आने वाली शुरुआती कठिनाइयों की ओर आकर्षित किया, जहां 10 में से नौ प्रयास विफल रहे. उन्होंने कहा कि वयस्कता तक जीवित रहने की संभावनाओं वाले पहले बच्चों का जन्म 2024 में होने की संभावना है.
सुपरमॉम्स का किया जिक्र
हालांकि, शुरुआत में चीता शावक की मृत्यु दर अधिक होने की उम्मीद है क्योंकि मादा चीता एशिया में विभिन्न जन्म अंतरालों के अनुकूल होती है. रिपोर्ट में "सुपरमॉम्स" के महत्व को भी रेखांकित किया गया है. 'सुपरमॉम्स' अत्यधिक सफल, फिट मादा चीते हैं, जो दक्षिणी अफ्रीका के जंगली चीतों की आबादी को बनाए रखती हैं.
विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में लाई गई सात जंगली मादाओं में से केवल एक के "सुपरमॉम" होने की संभावना है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगले दशक में दक्षिण अफ्रीकी आबादी से कम से कम 50 और चीतों को लाना भारतीय आबादी को स्थिर करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा. दीर्घकालिक आनुवंशिक और जनसांख्यिकीय व्यवहार्यता के लिए दक्षिणी अफ़्रीकी और भारतीय चीतों की आबादी के बीच निरंतर अदला-बदली भी आवश्यक होगी.
दी अहम सलाह
विशेषज्ञों ने भारतीय अधिकारियों को यह सुझाव देते हुए कि कुनो एक सिंक रिजर्व हो सकता है, वैकल्पिक स्थलों की पहचान करने की सलाह दी है. सिंक रिज़र्व ऐसे आवास हैं जिनमें सीमित संसाधन या ऐसी पर्यावरणीय स्थितियां होती हैं जो किसी प्रजाति के अस्तित्व या प्रजनन के लिए कम अनुकूल होती हैं. सिंक रिज़र्व स्रोत रिज़र्व से जानवरों को बढ़ाने पर निर्भर हैं .
विशेषज्ञों ने 2024 के अंत तक कम से कम दो अतिरिक्त पुनरुत्पादन स्थल उपलब्ध कराने की सिफारिश की है, जिनका क्षेत्रफल 50 वर्ग किलोमीटर से अधिक हो और बाड़ लगाई जाए क्योंकि दुनिया भर में बिना बाड़ वाली प्रणालियों में चीता का सफल पुनरुत्पादन नहीं देखा गया है. पीटीआई से बात करते हुए, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने पहले बाड़ वाले रिजर्व रखने के विचार को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह वन्यजीव संरक्षण के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है.
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जताई थी नाराजगी
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने परियोजना के प्रबंधन को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी. विशेषज्ञों ने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें समय पर जानकारी नहीं दी जा रही है और उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रियाओं से बाहर रखा गया है. उन्होंने दावा किया कि प्रोजक्ट लीडर वाई वी झाला के सेवानिवृत्त होने के बाद से उनकी भागीदारी कम हो गई है. उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया था कि बेहतर निगरानी और समय पर पशु चिकित्सा देखभाल से चीते की कुछ मौतों को रोका जा सकता था.
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि यह मानने का कोई कारण नहीं है कि चीतों की मौत कूनो में किसी अंतर्निहित अनुपयुक्तता के कारण हुई.