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'ट्रेड डील पर बातचीत, लेकिन ट्रंप का प्रेशर नहीं...', अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे पर भारत का क्या रुख?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि भारत अपने टैरिफ में कटौती पर सहमत हो गया है. उन्होंने इसका खुद श्रेय लेने की कोशिश की. हालांकि, भारत की प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन, सूत्र बताते हैं कि इससे पहले भी भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के तहत ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, स्विट्जरलैंड और नॉर्वे जैसे प्रमुख विकसित देशों पर लागू औसत टैरिफ में उल्लेखनीय कमी कर चुका है.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)

अमेरिकी टैरिफ चर्चा में है. एक दिन पहले US प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने टैरिफ कटौती पर सहमति जताई है. हालांकि, भारत की तरफ से अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. लेकिन नई दिल्ली ने संकेत दिया है कि ट्रेड डील पर बातचीत चल रही है.

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अधिकारियों ने संकेत दिया कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत के लिए जमीन तैयार की जा रही है. चूंकि चर्चा अभी शुरू हुई है, इसलिए इसके विवरण के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी. भारत ने इससे पहले भी कई देशों के साथ व्यापार समझौतों के अनुरूप टैरिफ में कटौती की है. इसमें दबाव का कारण नहीं है.

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने क्या दावा किया था?

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि भारत ने आखिरकार अमेरिकी इम्पोर्ट पर टैरिफ में कटौती करने पर सहमति जताई है. उन्होंने इस फैसले का श्रेय अपने प्रशासन के उन प्रयासों को दिया है, जो अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस को एक्सपोज करने में लगे हैं. उन्होंने दावा किया कि भारत ने यह कदम इसलिए उठाया है, क्योंकि आखिरकार कोई उसे एक्सपोज कर रहा है. अमेरिका ने 2 अप्रैल से पारस्परिक टैरिफ लागू करने का ऐलान किया है. ट्रंप का दावा है कि हमने यह कदम उन व्यापार नीतियों के जवाब में उठाया है, जो अमेरिकी व्यवसायों को नुकसान पहुंचाती हैं.

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भारत ने पहले भी टैरिफ में की है कटौती

फिलहाल, भारत की प्रतिक्रिया नहीं आई है. लेकिन, उच्च पदस्थ सूत्रों ने टैरिफ में उल्लेखनीय कटौती करने के दावे से किनारा किया है. हालांकि, इससे पहले भी भारत ने द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के तहत ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, स्विट्जरलैंड और नॉर्वे जैसे देशों के लिए अपने औसत लागू टैरिफ को कम किया है. वर्तमान में यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ इसी तरह के समझौतों पर बातचीत चल रही है.

'ट्रंप का दबाव नहीं...'

सूत्रों ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच लागू टैरिफ को कम करने के लिए चल रही चर्चा को भी इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए. इसे ट्रंप की डेडलाइन से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.

क्या चाहता है अमेरिका?

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने भारत से कृषि उत्पादों को छोड़कर लगभग सभी वस्तुओं पर टैरिफ हटाने को कहा है. अगर यह मांग मान ली जाती है तो इसका मतलब होगा कि नई दिल्ली को अपने व्यापार संरक्षण को छोड़ना पड़ेगा और बदले में उसे कोई रियायत भी नहीं मिलेगी.

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भारत और अमेरिका के बीच क्या बातचीत?

पिछले महीने दोनों राष्ट्र इस वर्ष के अंत तक पारस्परिक रूप से लाभकारी बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण पर बातचीत करने के लिए सहमत हुए हैं, जिसका दीर्घकालिक लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना है.

फरवरी की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका समर्थन किया था.

दोनों नेताओं ने वार्ता को आगे बढ़ाने और बाजार पहुंच बढ़ाने, सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने की दिशा में काम करने के लिए वरिष्ठ प्रतिनिधियों को नामित करने पर भी सहमति जताई है.

यही वजह है कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 3 से 6 मार्च तक वाशिंगटन का दौरा किया. यात्रा के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक और व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर के साथ बातचीत की.

पहले ट्रंप प्रशासन के दौरान भी वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच सीमित व्यापार समझौते पर चर्चा हुई है. हालांकि, विभिन्न कारणों से वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला.

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2 अप्रैल की समय-सीमा अब ज्यादा दूर नहीं है, ऐसे में भारत में पॉलिसी मेकर्स और कारोबारी इसके प्रभाव को टालने के तरीकों पर काम कर रहे हैं. कई रिपोर्टों से पता चलता है कि केंद्र सरकार अमेरिका से होने वाले प्रमुख आयातों पर टैरिफ में कटौती करने पर विचार कर रही है.

इस बीच, विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियां भी कारोबार की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी साझेदारों के साथ संपर्क में हैं.

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