India Today Conclave 2021: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी शिरकत की. उन्होंने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और चीन से लेकर अमेरिका तक से जुड़े सवालों के जवाब दिए. जयशंकर ने बताया कि तालिबान राज में भारत और अफगानिस्तान के संबंध कैसे आगे बढ़ रहे हैं. साथ ही ये भी कहा कि गलवान घाटी में चीनी सेना ने जो किया, उसे लेकर चीन से कभी कोई विश्वसनीय जवाब नहीं मिल पाया है.
चीन पर क्या बोले विदेश मंत्री
LAC पर चीन के साथ टकराव की स्थिति अक्सर देखने को मिलती रहती है. पिछले साल गलवान घाटी में चीनी सेना ने जब अपनी हदें पार कर भारतीय जवानों को टारगेट किया, तब से अब तक स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है.
चीन से रिश्तों पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सीमा पर शांति के मद्देनजर 1980 के दशक से हमारे रिश्ते बेहतर हुए. लेकिन चीन ने अब उल्लंघन किया है. 2020 में हमने देखा कि चीन की तरफ से एग्रीमेंट्स का उल्लंघन किया गया, ऐसा क्यों किया गया इसके कारण अब तक स्पष्ट नहीं हैं. मैं कई बार चीन के विदेश मंत्री से मिला लेकिन अभी तक मुझे कोई विश्वसनीय जवाब नहीं मिल पाया है कि इतनी संख्या में उनके सैनिक बॉर्डर पर क्यों आए.'
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जयशंकर ने साफ कहा कि जब इस तरह की चीजें होती हैं तो जाहिर है रिश्तों पर असर पड़ता है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हालांकि, पैंगोंग झील और कुछ अन्य इलाकों में बातचीत आगे बढ़ी है, लेकिन बड़ी समस्या अभी भी बनी हुई है, जो ये है कि खासी संख्या में चीन के सैनिक LAC पर काफी करीब हैं.
जब तक वो रहेंगे, हम भी रहेंगे
जयशंकर ने कहा कि गलवान में जो हुआ उसके बाद सीमा पर हालात बदल गए हैं. उन्होंने फोर्स बढ़ाई तो हमने भी काउंटर डिप्लॉयमेंट किया. और जब तक उनकी तैनाती रहेगी, तब तक हम भी रहेंगे. भारतीय सुरक्षाबलों को जो जरूरी लगेगा वो अपनी सीमा की सुरक्षा के लिए करेंगे.
डोनाल्ड ट्रम्प और जो बिडेन के शासन में से किसे deal करना भारत के लिए चुनौतीपूर्ण है? सुनिए विदेश मंत्री @DrSJaishankar का जवाब @rahulkanwal ; @ShivAroor ; @Geeta_Mohan | #ABetterNormal
— AajTak (@aajtak) October 8, 2021
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अफगानिस्तान पर क्या बोले विदेश मंत्री
अफगानिस्तान से भारत के संबंधों पर कैसे काम किया जा रहा है, इस सवाल पर एस. जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान में अबतक स्थिति स्पष्ट नहीं है. इंटरनेशनल कम्युनिटी में जो आम चर्चा है वो ये कि अफगान की धरती का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, इन्क्लूसिव सरकार होनी चाहिए, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और बच्चों के साथ कैसे व्यवाहर किया जाता है, ये सब मुद्दे हैं. इन मसलों पर चर्चा भी की जा रही है. लेकिन अफगानिस्तान को लेकर कोई निश्चित कदम उठाना अभी थोड़ा मुश्किल है क्योंकि हालात ऐसे नहीं हैं.
जम्मू-कश्मीर में हमले का अफगान कनेक्शन?
जम्मू-कश्मीर में हाल में हुए आतंकी हमलों पर एस. जयशंकर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले दिनों खासकर जो टारगेट किलिंग हुईं उसे लेकर चिंता है लेकिन इसका कनेक्शन अफगानिस्तान से है, ये मैं नहीं जानता. मैं चाहूंगा कि इसके अफगान कनेक्शन के कोई सबूत मिलें. सबूत हो भी सकते हैं, और नहीं भी.
वहीं, जब विदेश मंत्री जयशंकर से पूछा गया कि ऐसी कुछ रिपोर्ट्स हैं कि पाकिस्तान के आतंकवादी ग्रुप तालिबान से हाथ मिला रहे हैं, क्या ये भारत के लिए चिंता का विषय है? जयशंकर ने इस सवाल पर कहा कि पाकिस्तान के आतंकियों की दुनियाभर में चर्चा है, यहां तक कि यूएन की रिपोर्ट हैं, इसलिए मुझे खुदसे इस पर कुछ कहने की जरूरत नहीं है. और अफगानिस्तान में जो हो रहा है उसमें पाकिस्तान का रोल कोई सीक्रेट नहीं है, लोग जानते हैं और निश्चित ही ये सभी पड़ोसियों के लिए चिंता का विषय है.
पाकिस्तान से बातचीत के क्या आसार?
विदेश एस.जयशंकर से पूछा गया कि पाकिस्तान से कब तक बातचीत की जाएगी या कब तक बातचीत सामान्य होने के आसार हैं? इस पर उन्होंने कहा कि 'ये कहना गलत है कि कोई बातचीत नहीं होती. हमारी एंबेसी है, उनकी एंबेसी है. डिप्लोमेट्स अपना काम करते रहते हैं. जहां तक रुटीन डिप्लोमेसी के अलावा कुछ खास मुद्दों पर बातचीत का सवाल है, तो ऐसा पिछले कई सालों से है. क्योंकि पठानकोट हुआ, उरी हुआ.'
जयशंकर ने कहा कि अब देखना है कि पाकिस्तान कब नॉर्मल होगा और नॉर्मल का मतलब ये है कि वो कब आतंकवाद को पालना बंद करेगा, पड़ोसियों के खिलाफ आतंक बंद करेगा. दुनिया में ऐसा कहीं नहीं है, जहां एक देश इस तरह का आतंकवाद अपने पड़ोसी के खिलाफ करता है. पाकिस्तान से बातचीत के सवाल पर जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि जो अभी हालात हैं, वो सही नहीं लगते हैं.
गौरतलब है कि भारत हमेशा से ये स्टैंड रहा है कि आतंकवाद और बातचीत दोनों साथ-साथ नहीं चल सकती है, भारत ने पाकिस्तान से आतंकवाद पर लगाम लगाने की बात करता है.
ट्रंप और बाइडेन में से किसके साथ डील करना चुनौती?
अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन और पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में से किसके साथ काम करना ज्यादा चुनौतीपूर्ण है, इस सवाल पर एस. जयशंकर ने कहा कि हालात के हिसाब से एडजस्ट करना हमारे काम का हिस्सा है. ट्रंप और बाइडेन में कॉन्ट्रास्ट है, उसी के हिसाब से स्टडी करके अपना काम किया जाता है. पीएम मोदी का पहला इंटरैक्शन बराक ओबामा के साथ था, उसके बाद जब डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीते तो कहा गया कि भारत के लिए ट्रंप से डील करना मुश्किल रहेगा, जब बाइडेन जीते तब भी ऐसे ही कहा गया. लेकिन वहां कोई भी हो, हमने अपना काम किया.
UK में क्वारंटाइन को लेकर भी जवाब
यूके में भारतीय वैक्सीन को मंजूरी नहीं देने के बाद जो भारत ने रुख अपनाया उसे लेकर हर तरफ चर्चा है. इसे जुड़े सवाल पर एस. जयशंकर ने कहा कि हमने वही किया जो हमें करना चाहिए था. मुझे खुशी है कि हमने समस्या को सुलझा लिया है. यूके के विदेश मंत्री से मेरी अच्छी बात हुई है. हम दोनों में सहमति बनी है कि कैसे बिना क्वारंटाइन के यात्रा के विकल्प निकाले जाएं.
चीन से जुड़े विपक्ष के आरोपों पर भी दिया जवाब
चीन के साथ बॉर्डर पर क्या हालात हैं, इसे लेकर अक्सर विपक्षी नेता सवाल उठाते रहे हैं. खासकर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी चीन को लेकर मोदी सरकार को घेरते रहे हैं. इसी से जुड़े सवाल पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, '' मैं लंबे समय से सरकार में हूं. अलग-अलग सरकारों में रहा हूं. जब राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला आता है तो सभी सरकारें काफी बातें बताती हैं ताकि जो लोग सरकार में नहीं हैं उन्हें सही जानकारी मिल सके. और उनसे ये उम्मीद की जाती है ऐसे मामलों में उनका सपोर्ट मिले.
जयशंकर ने कहा कि कोई ये नहीं कह सकता है ब्रीफिंग की कमी है. रक्षा मंत्री ने संसद में इस पर जवाब दिया. लिहाजा, मेरा मानना है कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला आता है तो हमें अधिक जिम्मेदारी और मेच्योरिटी दिखानी चाहिए.