इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 (India Today Conclave 2021) में इतिहासकार विक्रम संपत ने कांग्रेस पर इतिहास को वाइटवॉश करने का आरोप लगाया. इसपर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने जवाब दिया और पाकिस्तान में आजादी के बाद पढ़ाए गए इतिहास से भारत की तुलना की.
Bulls in our Memory Shop: Debating heritage, history, hubris (विरासत, इतिहास, अभिमान) टॉपिक पर बात करते हुए इतिहासकार विक्रम संपत ने कहा कि बच्चे को सबसे पहले किताब पढ़ाई जाती है. किताब से वह अपने देश का इतिहास समझता है. लेकिन भारत में बच्चे की किताबों में उसे भारत के बारे में ऐसे बताया जाता है जैसे वह कोई दूसरा देश हो.
India Today Conclave 2021 में विक्रम संपत ने कहा कि ब्रिटिश राज में भी राष्ट्रवादी इतिहासकारों के लिए जगह थी. जैसे जाधवनाथ सरकार, राधाकुमुद मुखर्जी, आरसी मजूमदार, वीके रजवाड़े, भंडारकर, सीवी वैद्य. लेकिन आजादी के बाद कांग्रेस शासन काल में बिना उनके ऐसे किसी इरादे से इतिहास विद्या को बस मार्क्सवादी सोच तक सीमित कर दिया था. एक तरह से असल हिस्ट्री को वाइटवॉश किया गया.
लेफ्ट इतिहासकारों ने काफी गलतियां कीं. जैसे उनके नजरिये से भारत की कहानी घुसपैठियों की कहानी रही. फिर जब कोई उनको पढ़ता है तो उसे उन घुसपैठों के बारे में ही पढ़ना होता है जिसकी शुरुआत आर्यनों के आने के साथ बताई जाती है. फिर उन युद्धों का जिक्र होता है जिनको हम हार गए. जैसे हम हमेशा हारने वाले देश रहे हों. लेकिन सच यह है कि कई जगह यहां लोगों ने लड़ाई जीतीं लेकिन उनको उस तरह दिखाया नहीं गया. इतिहास की ज्यादातर घटनाओं को दिल्ली केंद्रित बताया गया है. जबकि ऐसा नहीं है.
शशि थरूर ने दिया जवाब
कांग्रेस काल में असल हिस्ट्री को वाइटवॉश करने के आरोप पर शशि थरूर ने जवाब दिया. वह बोले कि 70 के दशक को देखेंगे तो पाकिस्तान और भारत की किताबों में फर्क पता चलेगा. जैसे पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ बातें लिखी जाती थीं. भारत में इस्लाम के 500 साल के गुणगान करे जाते थे. लेकिन भारत में इतिहास का इस्तेमाल देश निर्माण में किया गया. थरूर ने कहा कि लेकिन आज पुराने जख्मों को कुरेदा जा रहा है जो भर चुके हैं.
इसपर विक्रम संपत ने पूछा कि क्या सही में जख्म पूरी तरह भर चुके हैं? विक्रम ने कहा कि जैसे भारत में कई बड़ी यूनिवर्सिटीज हुई हैं. नालंदा उनमें से एक थी. जिसको जलाकर नष्ट कर दिया गया. कहा जाता है कि एक साल तक किताबें जलती रहीं. ऐसा बख्तियारपुर खिलजी ने किया था. लेकिन इलाके का नाम आज भी बख्तियारपुर रखा गया है.
इसपर शशि थरूर ने कहा कि हिंदू संगठन बख्तियारपुर की तरह औरंगजेब रोड का नाम भी बदलना चाहते हैं, वह समझ आता है. लेकिन अकबर? मतलब उस वक्त में उस जैसे आदर्श राजा का उदाहरण नहीं मिल सकता. वह बोले कि बख्तियारपुर आदि का नाम बदलाना अलग बात है लेकिन अकबर रोड का विरोध सिर्फ धर्म के आधार पर हुआ.