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India Today Conclave 2024: '20 मिनट में ही बन गई थीं रामलला की आंखें, लेकिन पहले किए ये अनुष्ठान', अरुण योगीराज ने बताया

2024 India Today Conclave: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में रामलला की मूर्ति तैयार करने वाले अरुण योगीराज ने कई रोचक किस्से सुनाए. उन्होंने बताया कि आखिर 20 मिनट के अंदर राममला की आंखें तैयार करने से पहले क्या अनुष्ठान करने पड़े थे.

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Arun Yogiraj
Arun Yogiraj

अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर के उद्घाटन के बाद लाखों श्रद्धालु अब तक रामलला के दर्शन कर चुके हैं. भगवान के दर्शन के लिए रोजाना भक्तों की भीड़ लग रही है. इस बीच रामलला की मूर्ति तैयार करने वाले अरुण योगीराज से इंडिया टुडे कॉन्क्लेव (India Today Conclave 2024) में खास बातचीत की गई. इस दौरान उनसे पूछा गया कि आपने 20 मिनट के अंदर रामलला की आंखें कैसे तैयार कर लीं? अरुण योगीराज से इसके पीछे की तपस्या के बारे में भी पूछा गया.

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रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज ने बताया कि जब उन्हें राममला की मूर्ति की आंखें बनानी थीं तो उन्होंने गुरुदेव गणेश आचार्य से मुलाकात की. योगीराज ने आगे बताया,'गुरुदेव ने मुझसे कहा रामलला की आंखें बनाने के लिए तुम्हें सिर्फ 20 मिनट की जरूरत पड़ेगी. मैंने जवाब में कहा कि हां गुरुजी मेरे लिए 20 मिनट का समय काफी होगा. इसके बाद उन्होंने मुझे कुछ रिवाज बताए.' 

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मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कॉन्क्लेव के दौरान एक मूर्ति की आंखें सबके सामने बनाकर दिखाईं. 

10 प्रकार से बनाई जा सकती हैं आंखें

मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कहा,'गुरुजी ने मुझसे कहा कि तुम सरयू नदी में बिल्कुल सुबह-सुबह स्नान करो. इसके बाद हनुमान जी का आशीर्वाद लेकर कनक भवन में पूजा-अर्चना करो. इसके बाद ही तुम रामलला की आंखें बनाओ. उस समय मुझे काफी टेंशन हो रही थी. क्योंकि मुझे पता है कि आंखें कई प्रकार की होती हैं. करीब 10 से ज्यादा तरह से मूर्ति की आंखें बनाई जा सकती हैं.'

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मेरे जरिए भगवान ने किया वह काम

अरुण ने आगे बताया,'10 प्रकार की आंखों में से किसी एक प्रकार का चयन कर पाना काफी कठिन काम था. लेकिन मुझे विश्वास था कि मैं ये कर लूंगा. भगवान इस काम में मेरी मदद करेंगे. प्रभु मेरे जरिए ही यह काम करवाना चाहते हैं. यह सब सोचकर मैंने अपने कुलदेवता की पूजा की और इसके बाद 20 मिनट के अंदर रामलला की आंखें तैयार कर लीं गईं.

रामलला से करने लगा था बातें: योगीराज

अरुण योगीराज ने आगे कहा कि वह पत्थर के साथ ही अपना ज्यादातर वक्त बिताते हैं. उनके लिए पत्थर ही सबकुछ है. रामलला की मूर्ति बनाते समय हुए एक विशेष अनुभव का जिक्र करते हुए अरुण योगीराज ने कहा कि जब वह रामलला की प्रतिमा तैयार कर रहे थे, तब वह रामलला से ऐसे ही बातें किया करते थे.

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