देश में इन दिनों सेक्युलरिज्म यानी धर्म निरपेक्षता पर काफी बहस चल रही है. विपक्ष का आरोप है कि भारत में सेक्युलरिज्म खत्म होता जा रहा है. जबकि सरकार के पक्षकार इस आरोप को सिरे से नकार रहे हैं. शुक्रवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024 में भी एक डिबेट आयोजित की गई जिसका विषय था- 'क्या भारत में सेक्युलरिज्म खत्म हो गया है?'
विषय के पक्ष में बोलने वाले पैनल में टीएमसी प्रवक्ता रिजु दत्ता, कॉलमनिस्ट और ऑथर आशुतोष और कांग्रेस प्रवक्ता डॉ शमा मोहम्मद शामिल थे. वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला, इतिहासकार और लेखक हिंडोल सेनगुप्ता और ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट शहला रशीद ने विषय के विपक्ष में अपनी बात रखी. जूरी मेम्बर्स के तौर पर पूर्व सांसद और लेखक स्वपन दासगुप्ता, डिबेटिंग सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष दीपक वर्मा और सीनियर एडवोकेट आर्यमा सुंदरम ने डिबेट में हिस्सा लिया.
'धर्म के आधार पर नागरिक और शरणार्थी का भेदभाव'
टीएमसी प्रवक्ता रिजु दत्ता ने विषय के पक्ष में बोलते हुए डिबेट की शुरुआत की. उन्होंने कहा, 'बीजेपी के पुराने नेता अटल बिहारी वाजपेयी कहते थे कि सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी, यह देश रहना चाहिए, इसका लोकतंत्र रहना चाहिए. देश में सेक्युलरिज्म खत्म हो गया है क्योंकि आज प्रधानमंत्री मोदी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में जाते हैं, क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी में कोई मुस्लिम मंत्री नहीं क्योंकि आज आर्टिकल 14 खतरे में है.' रिजु दत्ता ने कहा कि देश में सेक्युलरिज्म खत्म हो रहा है क्योंकि आज 'जय श्री राम' एक नफरती नारा बन चुका है, क्योंकि तब्लीगी जमात को कोरोना फैलाने वाला एक आतंकी गुट कहा जाता है और कुंभ मेला चलता रहता है. उन्होंने कहा कि आज धर्म के आधार पर इस बात का भेदभाव किया जा रहा है कि आप इस देश के नागरिक हैं या शरणार्थी.
पूर्व की कांग्रेस सरकार पर शहला रशीद का तंज
विषय के विपक्ष में बोलते हुए शहला रशीद ने कहा, 'भारतीय सेक्युलरिज्म का मतलब है सर्व धर्म समभाव. जब नई संसद का उद्घाटन हुआ तो वहां सभी धर्मों की प्रार्थनाएं हुईं और उसमें मुस्लिम धर्म की अजान भी शामिल थी. जिस तरह मैं एक प्राउड मुस्लिम हूं उसी तरह प्रधानमंत्री मोदी एक प्राउड हिंदू हैं.' उन्होंने कहा कि भारत में सेक्युलरिज्म अभी जीवित है क्योंकि हाल ही में एक मुस्लिम क्रिकेटर को अर्जुन अवॉर्ड मिला है. शहला ने पूर्व की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जिसे आप सेक्युलरिज्म का 'गोल्डेन पीरियड' कह रहे हैं उसी दौर में सच्चर कमिटी की रिपोर्ट आई थी. जबकि आज पीएम आवास योजना, पीएम मुद्रा योजना और किसान सम्मान निधि का लाभ सभी को समान रूप से मिल रहा है. सेक्युलरिज्म के तथाकथित 'स्वर्णिम काल' में टेरर ब्लास्ट हुए, नरसंहार हुए जबकि आज कश्मीर में शांति है. इसका सबसे अधिक लाभ अल्पसंख्यकों को ही मिल रहा है.
'पीएम ने नहीं की कपिल मिश्रा के बयान की निंदा'
पक्ष में बोलते हुए शमा मोहम्मद ने कहा कि सेक्युलरिज्म का अर्थ है सभी के लिए समान अवसर. नेहरू का सेक्युलरिज्म कभी धर्म पर आधारित नहीं था. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी हर जगह सिर्फ धर्म की ही बात करते हैं. 2019 में प्रज्ञा ठाकुर के विवादित बयान के बाद पीएम ने कहा कि वह उन्हें माफ नहीं कर पाएंगे लेकिन फिर भी वह एमपी बनी रहीं. पीएम मोदी ने कपिल मिश्रा के बयान की भी निंदा नहीं की.
'अगर सेक्युलरिज्म नहीं होता तो यह डिबेट नहीं होती'
हिंडोल सेनगुप्ता ने विपक्ष में बोलते हुए कहा, 'अगर देश में सेक्युलरिज्म खत्म हो गया होता तो हम आज इस विषय पर डिबेट नहीं कर रहे होते. अगर सेक्युलरिज्म खत्म हो गया होता तो इस विषय के विपक्ष में बोलने वाले पैनल में दो मुस्लिम साथियों के बीच मैं अकेला हिंदू नहीं होता. इस तरह के विषयों पर बोलते हुए एक भारतीय की तरह सोचें. अयोध्या में इकबाल अंसारी ने पीएम मोदी और राम मंदिर पर फूल बरसाए. भारत दिखा रहा है कि असली सेक्युलरिज्म क्या है.'
'सेक्युलरिज्म में भेदभाव नहीं होता'
पक्ष में बोलने वाले पैनल के आखिरी सदस्य आशुतोष ने कहा कि सेक्युलरिज्म में भेदभाव नहीं होता है. आज मनोज कुमार तोमर नमाज पढ़ने वालों को मारता है और उसे 'हीरो' बना दिया जाता है. चिंता की बात यह है कि इसे सत्ता की स्वीकृति प्राप्त है. सबसे आखिर में शहजाद पूनावाला ने विपक्ष में बोलते हुए कहा, 'देश में नेहरू का सेक्युलरिज्म खत्म हो चुका है. ट्रिपल तलाक, शाह बानो वाला सेक्युलरिज्म खत्म हो चुका है और कभी वापस नहीं आएगा. वह सेक्युलरिज्म खत्म हो चुका है जो कहता था कि ताजिया सड़कों पर आ सकता है लेकिन दुर्गापूजा यात्रा की अनुमति नहीं है. वह सेक्युलरिज्म खत्म हो चुका है जो विभाजन को सही ठहराता है और सीएए का विरोध करता है.'
'भारत सेक्युलर है क्योंकि हिंदू बहुसंख्यक हैं'
पूनावाला ने कहा, 'स्टालिन का बयान सेक्युलरिज्म है और अगर हम कहते हैं कि 'सर तन से जुदा' मत बोलो तो वह संप्रदायिक? इफ्तार पार्टियां सेक्युलर हैं और प्राण प्रतिष्ठा संप्रदायिक.' उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से सेक्युलर रहा है क्योंकि यहां हिंदू बहुसंख्यक हैं और हिंदू सेक्युलर हैं. जूरी के सवाल जवाब के बाद ऑडियंस वोटिंग हुई जिसमें 21 प्रतिशत लोगों ने माना कि 'भारत में सेक्युलरिज्म खत्म हो चुका है' जबकि 76 फीसदी इससे असहमत नजर आए. वहीं 3 प्रतिशत किसी भी पक्ष में नहीं थे.