
एक सफल आदमी के पीछे औरत का हाथ होता है, लेकिन जब कोई महिला सफल होती है तो आज के दौर में भी कहा जाता है कि वो 'वीमेन कार्ड' खेल रही है. तृणमूल कांग्रेस की सांसद और फिल्म एक्ट्रेस नुसरत जहां से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने बड़ी बेबाकी से कहा कि उन्हें इसकी जरूरत नहीं.
अपने मुखर अंदाज के लिए जानी जाने वाली नुसरत जहां ने इंडिया टुडे कॉनक्लेव ईस्ट 2022 के THE INTIMATE CONVERSATION: What it Means to Unfollow the Script in Politics सत्र में ऐसे कई सवालों पर अपनी राय रखी.
'ओबामा पर भी नस्लभेदी कार्ड खेलने के आरोप लगे'
नुसरत जहां ने कहा कि जब हम ये कहते हैं कि कोई महिला कार्ड खेल रहा है, तब हम उस पर आरोप लगा रहे होते हैं कि वो किसी एक्स्ट्रा प्रिफरेंस या अटेंशन पाने के लिए अपनी लैंगिक पहचान का सहारा ले रही है. मुझे नहीं लगता कि हमें इस तरह से सोचना चाहिए. हमें जेंडर इक्वालिटी की बात करनी चाहिए और इक्वालिटी का मतलब ये नहीं है कि मुझे आपसे आगे निकलना है.
नुसरत जहां ने आगे कहा-हमारे समाज में आपके पास कोई भी पहचान हो. अगर आप अपनी कोई बात रखते हो तो लोग कहते हैं कि आप 'विक्टिम कार्ड' खेल रहे हो या आप 'वीमेन कार्ड' खेल रहे हो. ओबामा पर भी आरोप लगा कि उन्होंने 'नस्लभेदी कार्ड' खेला. मैं खुद को इस तरह के स्टीरियोटाइप से दूर रखती हूं और मुझे नहीं लगता कि मुझे इस तरह के किसी कार्ड को खेलने की जरूरत है.
'सोशल मीडिया की जरूरत पता होनी चाहिए'
नुसरत जहां से जब सोशल मीडिया से दूर रहने या ट्रेंड ना फॉलो करने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा-हम सोशल मीडिया को इतनी इंपोर्टेंस क्यों देते हैं. इसके नुकसान और फायदे दोनों है. हमें सोशल मीडिया की जरूरत है, लेकिन हमें इससे दूर रहना भी आना चाहिए. हम सोशल मीडिया से नए स्किल सीखते हैं, फैशन को लेकर अपडेट रहते हैं. लेकिन सोशल मीडिया ऐसा कुछ नहीं कि हम इसके बिना रह नहीं सकते. पर कुछ लोग ऐसा सोचते है इसलिए आजकल सोशल मीडिया ट्रायल इतना बढ़ गया है. इससे पहले हम ज्यूडिशियल सिस्टम पर डिपेंड करते थे, लेकिन अब हम सोशल मीडिया ट्रायल होते हैं. रही बात ट्रेंड फॉलो करने की तो मैंने पहले सोशल मीडिया पर ट्रेंड फॉलो किया है. टिकटॉक वीडियो भी बनाए हैं. ये हमें तय करना है कि सोशल मीडिया को हमें कितना इंपोर्टेंस देना है और कितना नहीं, इसके बीच में एक महीन रेखा है और ये हमें पता होना चाहिए.