इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट (India Today Conclave East) के 5वें संस्करण की शुरुआत सोमवार को हो गई है. कार्यक्रम में KHAKI FILES: Power, Politics and Patronage: The Long Road to Police Reforms पर विचार व्यक्त किए गए. इस विषय पर अपनी बात रखने के लिए पश्चिम बंगाल के पूर्व डीजीपी सुराजीत कर पुरकायस्थ, वर्तमान डीजीपी भास्कर ज्योति महंता और कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिशनर गौतम मोहंती चक्रवर्ती ने शिकत की.
पुलिस और राजनेताओं के बीच के संबंधों पर चर्चा करने के लिए पत्रकार कौशिक डेका ने सभी से अलग-अलग सवाल किए. वर्तमान डीजीपी भास्कर ज्योति महंता से पूछा गया कि सीएम हाउस से एक दिन में कितनी बार फोन आते हैं कि ऐसा कर दो या वैसा कर दो. इसपर भास्कर ज्योति महंता ने कहा कि मुझे इस तरह ये सब करने के लिए फोन नहीं आते, बल्कि ये कहा जाता है कि 'क्या ऐसा किया जा सकता है?'
देश की संप्रभुता बनाए रखने के लिए असम में एनकाउंटर किए गए
असम में हेमंत बिस्वा शर्मा के आने के बाद असम में एनकाउंटर बढ़े हैं- 51 एनकाउंटर और 139 घायल हुए. इसपर भास्कर ज्योति महंता ने कहा कि असम में 2005 के बाद से असम में शांति व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब हुई है. राज्य और देश की संप्रभुता बनाए रखने के लिए असम में एनकाउंटर किए गए हैं. अगर कोई हम पर हमला करता है, तो हम भी जवाब देते हैं. 1985 के बाद से असम में 403 पुलिसवालों ने भी अपनी जान गंवाई है.
उन्होंने कहा कि अगर पुलिस किसी व्यक्ति को बेवजह मारती है, तो उसे सजा होगी. मुझे खुशी है कि इतने एनकाउंटर होने का बावजूद भी कभी भी असम पुलिस को कभी किसी गलत बात के लिए या गलत एनकाउंटर के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है.
बंगाल में राजनीतिक हिंसा क्यों ?
पश्चिम बंगाल में पॉलिटिकल वायलेंस की बात करें तो 2019 के डेटा के मुताबिक, यहां 117 में किलिंग हुई हैं. इसपर पश्चिम बंगाल के पूर्व डीजीपी सुराजीत कर पुरकायस्थ ने कहा कि अधिकांश मामले में ऐसा होता है कि आपसी विवाद के चलते होने वाली हिंसा को बाद में राजनीतिक हिंसा का नाम दे दिया जाता है. हमारे राज्य में हर केस की जांच की जाती है. ये गलत है कि एफआईआर नहीं होती. ऐसी कोई घटना नहीं हुई कि घटना हुई हो और उसकी एफआईआर नहीं हुई हो.
पुलिस को भी काम करने की पूरी आजादी मिले
कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिशनर गौतम मोहंती चक्रवर्ती जिन्होंने दोनों ही सरकारों के साथ काम किया है. उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष का कोई नेता सीएम बनता है, तो मैंने कभी बदले की राजनीति नहीं देखी. लेकिन सरकार के काम करने के तरीके में तो फर्क दिखता ही है. लेकिन प्रतिशोध जैसा कभी कुछ नहीं दिखा. पुलिस रिफॉर्म की बात करें तो, उन्होंने सवाल किया कि यहां इतने नेता हैं. क्या नेता पुलिस को काम करने की पूरी आजादी देंगे? जबकि सुप्रीम कोर्ट 2006 में इस बारे में अपना रुख स्पष्ट कर चुका है. हालांकि बहुत से राज्य इसके पक्ष में नहीं हैं. लेकिन अगर ऐसा किया गया, तो पुलिस की परफॉर्मेंस न सिर्फ एक राज्य में बल्कि पूरे देश में सुधरेगी.
उन्होंने कहा कि पुलिस का काम है कानून व्यवस्था बनाए रखना, यह एक प्रोफेशनल जॉब है. क्या दिल्ली में बैठे रक्षा मंत्री कभी आर्मी को वार टैक्टिक्स के बारे में पूछते हैं? अगर वहां ऐसा नहीं होता तो, हम भी यह उम्मीद करते हैं कि हमारे नेता भी पुलिस को उनके काम में रोक-टोक नहीं करेंगे.