इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट (India Today Conclave East) के 5वें संस्करण की शुरुआत सोमवार से गई. आज इसका दूसरा दिन है. इसमें कई जाने-पहचाने चेहरे और मशहूर हस्तियां हिस्सा ले रही हैं. कार्यक्रम के दूसरे दिन का आगाज़ बेहद संगीतमय रहा. Bengal Beats and the Power of Two सेक्शन के अंतर्गत पियानो वादक सौरेंद्रो मलिक (Sourendro Mullick) और गायक सौम्योजीत दास (Soumyojit Das) ने अपनी कला के जौहर दिखाए.
सौरेंद्रो मलिक और सौम्योजीत दास ने बताया कि ये पिछले 18 सालों से साथ काम कर रहे हैं. सौरेंद्रो मलिक का कहना है कि हम अपने देश की मिट्टी से जुड़े हैं और जब यहां के संगीत को देश के कोनो-कोने तक ले जाते हैं तो हमें बहुत फक्र महसूस होता है. हमारे देश में संगीत को देने के लिए बहत कुछ है, हमें इसपर फक़्र है.
डीएल रॉय के बेहद पुराने गाने से शुरुआत की गई. इस गाने को लेकर सौम्योजीत कहते हैं कि ये गाना अपने देश के प्रति प्रेम को दर्शाता है. रॉय और टेगोर के ये कुछ गाने हैं जो लोगों को साथ लेकर आए हैं. हमें इन गानों पर गर्व है. वंदे मातरम से पहले कोई ऐसा गीत याद नहीं आता जिसने लोगों को जोड़ने का काम किया हो.
आर्टिस्ट कभी हमें छोड़कर नहीं जाते
कोविड महामारी की वजह से बहुत से संगीतकार हमें छोड़कर चले गए. उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इस जोड़ी ने एक मेडली गाई, जिसमें अलग अलग गानों को एक साथ पुरोया गया था. गायक केके के लिए सौम्योजीत ने कहा कि हम उन्हें मिस नहीं करते क्योंकि उनका संगीत हमारे साथ है. आर्टिस्ट कभी नहीं मरते, वे हमें कभी छोड़कर नहीं जाते.
सौरेंद्रो मलिक ने कहा कि कलाकार अपने काम से लोगों में पहचाने जाते हैं, लेकिन एक इंसान के रूप में वे कैसे हैं ये अलग बात है. हम खुशनसीब हैं कि हमें कुछ कलाकारों से व्यक्तिगत तौर पर मिल सके. उन्होंने कहा कि उन्हें लता जी से मिलने का मौका भी मिला.
संगीतकार देश की धरोहर को संभालें और आगे बढ़ाएं
हम अपने देश का संगीत, मूल्य बनाने पर ध्यान दे रहे हैं. संगीतकारों की पीढ़ी को लिए ज़रूरी है कि वे देश की धरोहर को संभालें और आगे बढ़ाएं. हम इसी को फॉलो करते हैं. उन्होंने कहा कि समय के साथ चलना ज़रूरी है, संगीत को भी नए तरीके से सजाकर देना चाहिए, लोगों को भी अच्छा लगता है और वे इससे जुड़ते हैं.
इन्होंने कहा कि 18 साल पहले जब ये मिले थे तो इनमें दोस्ती नहीं थी, ये लोग एक दूसरे को पसंद नहीं करते थे. लेकिन संगीत के मामले में ये एकदम अलग थे और संगीत की समझ की वजह से ही ये दोनों एक दूसरे से जुड़े रहे. हमें खुशी है कि हमने देश के बड़े कलाकारों के साथ काम किया है. हमारे पास बहुत ज्यादा साजो-सामान नहीं है, सिर्फ पियानो है, जो सिंपल है.
आखिर में सौम्योजीत दास ने कहा कि राष्ट्रगान पर काफी विवाद होता है, लेकिन इसमें विवाद जैसा कुछ नहीं है, इसमें भारत माता के बारे में ही बताया गया है. बांग्ला में राष्ट्रगान गाकर वो कार्यक्रम को अंतिम दौर में ले आए.