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महाराष्ट्र के गठबंधनों में रार से 'एक देश, एक चुनाव' तक, India Today Conclave Mumbai के बड़े Takeaways

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई के मंच पर राजनीति से लेकर आर्थिक, सामाजिक और निवेश तक, विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई. इंडिया टुडे समूह के इस आयोजन में अलग-अलग क्षेत्र के दिग्गजों ने शिरकत की, सवालों के बेबाकी से जवाब दिए. दो दिन के इस आयोजन की बड़ी बातें क्या रहीं?

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india today conclave mumbai 2024
india today conclave mumbai 2024

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई में राजनीति से लेकर लाइफस्टाइल और आर्थिक से लेकर फिल्मों से जुड़े मामलों तक, विभिन्न विषयों पर मंथन हुआ. राजनीति के दिग्गजों से लेकर चुनाव रणनीतिकार, निवेश सलाहकार और फिल्मी हस्तियों तक, अलग-अलग क्षेत्रों के दिग्गजों ने खुलकर सवालों के जवाब दिए, अपने विचार साझा किए. दो दिन के इस आयोजन के दौरान विचार मंथन के दौरान सामने आईं बड़ी बातें...

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महाराष्ट्र चुनाव में सीएम फेस और सीट शेयरिंग

महाराष्ट्र चुनाव में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) और महायुति, दोनों ही गठबंधनों में सीएम पद को लेकर रार मची है. एमवीए में कांग्रेस से लेकर शिवसेना और एनसीपी तक, हर दल सीएम के लिए दावेदारी कर रहा है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सीएम चुनने का फॉर्मूला बताते हुए कहा कि जिस पार्टी की सबसे ज्यादा सीटें होंगी, सीएम उसका ही होगा. ऐसा ही पिछली बार भी हुआ था और सबसे बड़ी पार्टी के नेता  वहीं, महायुति में भी ऐसी ही स्थिति है. कॉन्क्लेव के मंच पर अजित पवार ने डिप्टी सीएम पर ही अपनी गाड़ी रुक जाने का दर्द बयान करते हुए साफ कहा कि सीएम बनना चाहता हूं.

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महायुति सरकार के सीएम शिवसेना के एकनाथ शिंदे हैं. बीजेपी के कार्यकर्ताओं की चाहत है कि देवेंद्र फडणवीस सीएम बनें. अजित की दावेदारी और कार्यकर्ताओं की इच्छा को लेकर देवेंद्र फडणवीस ने साफ कहा कि जिसका एक विधायक है, वो भी सीएम के लिए दावेदारी कर सकता है. हर दल का कार्यकर्ता चाहता है कि सीएम उसकी पार्टी से हो. उन्होंने ये भी कहा कि सीट शेयरिंग सकारात्मक तरीके से चल रही है. 80 फीसदी सीटें फाइनल कर ली गई हैं. 20 फीसदी सीटों पर भी जल्द ही फैसला कर लिया जाएगा.

संघ और सरकार का कामकाज

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सरकार के 10 साल के कामकाज को लेकर सवाल पर कहा कि पहले हम देखते थे कि देश में बहुत सारे चैलेंज हैं, जो अभी भी चैलेंज ही हैं. उसके लिए हमें बहुत सारा काम करना होगा. दुनिया अब भारत की क्षमता और शक्ति को पहचानती है. दुनिया विज्ञान और अर्थव्यवस्था सहित कई क्षेत्रों में प्रगति के कारण भारत की क्षमता को देखती है.

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उन्होंने कहा कि पहले लोगों को लगता था कि भारत शायद आगे नहीं बढ़ पाएगा. पिछले 10-20 सालों में यहां रहने वाले और यहां तक ​​कि विदेश में रहने वाले भारतीयों को भी एहसास हुआ है कि आगे बढ़ने की प्रबल संभावना है. अभी भी कुछ चुनौतियां हैं जो भारत को चिंतित करती हैं. अभी भी सामाजिक असमानता एक चिंता का विषय बनी हुई है, और हम सभी को सामाजिक सद्भाव हासिल करने के लिए बहुत काम करना होगा. इसमें राजनीतिक दलों की भूमिका है, लेकिन इसे हासिल करने के लिए समाज की भूमिका और भी बड़ी है.

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चिराग को बैसाखी की जरूरत?

लोकसभा चुनाव एनडीए में रहकर लड़ा और आरएलजेपी का स्ट्राइक रेट सौ फीसदी रहा, लेकिन 2020 के बिहार चुनाव में सिर्फ एक सीट मिली थी. क्या चिराग पासवान को बैसाखी की जरूरत है? इसके जवाब में चिराग पासवान ने कहा कि जब आप गठबंधन में होते हैं, इसलिए ही होते हैं ताकि हर किसी का साथ मिलकर आपको ताकतवर बनाता है.

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उन्होंने कहा कि बिहार जैसे राज्य में आप इतिहास उठाकर देख लीजिए, चिराग पासवान के अलावा किस पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई. अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई और न सिर्फ चुनाव लड़ा, एक सीट जीती भी. 20 सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे. हमने वोट काटे नहीं. वोट कंसोलिडेट किए. 6 प्रतिशत वोट कंसोलिडेट किए और वो भी तब, जब बीजेपी के सामने चुनाव नहीं लड़ा था. अगर वहां भी लड़ता तो 12 से 13 फीसदी वोट कंसोलिडेट करता.

अजित की बगावत पर क्या बोलीं सुप्रिया

अजीत पवार के किनारा कर लेने बाद यह सवाल भी उठने लगे थे कि सुप्रिया सुले एनसीपी की कमान चाहती थीं. अजित की बगावत को लेकर सुप्रिया सुले ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई के मंच से हर सवाल के जवाब दिए. उन्होंने कहा कि पार्टी की कमान अजीत पवार को सौंपकर खुश थी. उन्होंने साफ कहा, "कभी भी एनसीपी की लीडरशिप की मांग नहीं की. वह इसे पाने के लिए सबकुछ कर रहे थे. सुप्रिया सुले ने कहा, "अरे मांग लेता न तो सब दे देती. पार्टी छीनने की जरूरत नहीं थी."

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पेंशन पर क्या है कांग्रेस की राय

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई में केंद्र की ओर से लाई गई यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) और न्यू पेंशन स्कीम (NPS) को लेकर सवाल पर कहा कि कांग्रेस अनफंडेड पेंशन स्कीम के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं है और ये एक आपदा के समान है. उन्होंने कहा कि हमें NPS-UPS से मतलब नहीं है, हम सिर्फ फंडेड पेंशन स्कीम के पक्ष में हैं.

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उन्होंने ये भी कहा कि आम चुनावों में बहुमत न मिलने के बावजूद बीजेपी संविधान में संशोधन करने की योजना बना रही है. मोदी सरकार आरक्षण खत्म करने या उसे कम करने में संकोच नहीं करेगी. EWS के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के 2022 के फैसले के बारे में कांग्रेस नेता ने कहा कि पांच जजों ने 3:2 से फैसला सुनाया. क्या किसी ने दो सबसे प्रतिभाशाली जजों की असहमति को पढ़ा? एक दिन 3:2 के फैसले को पलटा जा सकता है और उम्मीद है कि यह जल्द ही होगा.

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चुनाव से क्यों प्रभावित होता है गवर्नेंस?

एडीआर के संस्थापक जगदीप छोकर ने एक देश, एक चुनाव के पीछे खर्च बचाने के तर्क को दुखद होता है. चुनाव लोकतंत्र की जीवंतता के लिए होते हैं. उन्होंने कहा कि गवर्नेंस प्रभावित होने के तर्क पर कहा कि जो लोग ये कहते हैं, उनको फिर से आदर्श चुनाव आचार संहिता पढ़ने की जरूरत है. गर्वेंस आचार संहिता की वजह से नहीं, राजनीतिक दलों की वजह से प्रभावित होता है. राजनीतिक दलों को दो तरह की लीडरशिप रखनी चाहिए, एक एग्जीक्यूटिव और दूसरी स्टार प्रचारकों की.

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एक देश, एक चुनाव क्या एक नेता हो जाएगा? 2029 में अगर एक देश एक चुनाव हुए तो तस्वीर कैसी हो सकती है? इस सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि 2024 में भी आम चुनाव के साथ चार राज्यों के चुनाव हुए. आप नतीजे देख लीजिए. उन्होंने कहा कि ओडिशा और अरुणाचल में बीजेपी की सरकार बनी. सिक्किम में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा और आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी. अमिताभ तिवारी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में अच्छा करने वाली पार्टी या गठबंधन ही राज्य में भी बेहतर किए हैं.

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मणिपुर में पीएम की भागीदारी की जरूरत

इंडिया टुडे मुंबई कॉन्क्लेव मुंबई में गौरव गोगोई ने कहा कि मणिपुर के जातीय संघर्ष को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री की सीधी भागीदारी की जरूरत है, जो पिछले साल मई से चल रहा है. हाल के दिनों में और पिछले कुछ दिनों में, हम सभी ने बात की है कि प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क गए हैं और रूस और यूक्रेन के बीच समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं. वह अमेरिकी राष्ट्रपति, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से बात कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों से बात कर साथ आने के लिए क्यों नहीं कह रहे हैं?

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बगैर कंसल्टेसी चुनाव जीतना आसान नहीं

'द आर्ट एंड साइंस ऑफ विनिंग इलेक्शन' शीर्षक वाले सेशन में डिजाइन बॉक्स के नरेश अरोड़ा, शोटाइम कंसल्टेंट के रॉबिन शर्मा और I-PAC ऋषि राज सिंह ने हिस्सा लिया. इस दौरान तीनों ने इस बात पर जोर दिया कि आज के समय में किसी भी राजनेता और किसी भी राजनैतिक दल के लिए बिना कंसलटेंट के चुनाव जीतना आसान नहीं है. तीनों का कहना यही था कि नेताओं को मुद्दों की समझ होती है, कंसल्टेंसी का रोल उसमें वैल्यू एडिशन करना है.

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लड़ाई-झगड़ा या फसाद राजनीति से प्रेरित

आध्यात्मिक गुरु श्री एम ने कहा कि आम भारतीय लड़ाई-झगड़ा या फसाद नहीं चाहता. ये सब चीजें राजनीति से प्रेरित होती हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई चीज आपको तोड़ने की कोशिश करे तो आपको खुद से इतना समझदार होना चाहिए कि आप उसके बहकावे में न आएं. ये दोनों तरफ के लोगों के लिए है. फिर चाहे वो मेजोरिटी हो या माइनॉरिटी. इस देश की नींव, सनातन संस्कृति की नींव बेहद मजबूत है. सनातन हमेशा से भाईचारा सिखाता रहा है. सनातन सर्वे भवन्तु सुखिनः का संदेश देता है जिसका मतलब है कि पूरी दुनिया खुश रहे.

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