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मुस्लिमों के डर के सवाल पर बोलीं स्मृति ईरानी- अपने ही देश में कोई अल्पसंख्यक कैसे?

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि कोई भी समाज अपने ही देश में अल्पसंख्यक नहीं हो सकता है. सभी को खुद की पहचान बतौर एक भारतीय देखनी चाहिए. देश में सभी के लिए कानून एक समान रहता है और उसी तर्ज पर आगे भी बढ़ा जाता है.

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केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कई मुद्दों पर विस्तार से बात की है. मोदी सरकार पर विपक्ष आरोप लगाता है कि उनकी नीतियां अल्पसंख्यक समाज के खिलाफ हैं, मुस्लिमों में डर पैदा हो गया है. अब उन तमाम मुद्दों पर स्मृति ईरानी ने दो टूक जवाब दिया है. एक तरफ उन्होंने उन तमाम दावों को गलत माना है, वहीं भारत की हिंदुत्व वाली संस्कृति को लेकर भी अपने विचार रखे हैं.

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मुस्लिमों के डर पर ईरानी की दो टूक

मुस्लिम समाज या अल्पसंख्यक समाज में बन रहे डर वाले सवाल पर स्मृति ईरानी ने जोर देकर कहा कि कोई भी अपने ही देश में कैसे अल्पसंख्यक हो सकता है. कानून सभी के लिए समान होता है. देश संविधान और कानून से ही चलता है. किसी भी समुदाय के मन में कभी भी अलगाव की भावना पैदा नहीं होनी चाहिए. किसी को उसके कपड़े या दूसरे पहलुओं से जज नहीं करना है. सभी को भारतीय के तौर पर देखना चाहिए. मैंने तो खुद एक ऐसे पति से शादी की है जो उस समुदाय से आते हैं जिसकी पूरी दुनिया में आबादी सिर्फ 55 हजार के करीब है. मुझे बड़ा अच्छा लगता जब मेरी पारसी फैमिली कहती है कि हम अपने ही देश में कैसे अल्पसंख्यक हो सकते हैं. इसलिए सभी भारतीय हैं, इसी भावना से आगे बढ़ना चाहिए.

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केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि मोदी सरकार की जितनी भी कल्याणकारी योजनाएं रही हैं, उसने समुदायों से ऊपर उठकर सभी को लाभ पहुंचाया है. फिर चाहे बात आयुष्मान भारत की रही हो या फिर बात को पक्के मान देने की. फ्री राशन देने की बात हो या बात को घरों को शौचालय देने की. हर समुदाय को इन योजनाओं का पूरा लाभ मिला है.

राहुल गांधी पर जोरदार वार

वैसे बातचीत के दौरान ईरानी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी तंज कसा. उनके लंदन में दिए गए बयानों पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे देश में तो हर मां बच्चे को ये सिखाती है कि झगड़ा घर में करो, बाहर जाकर नहीं. राहुल गांधी ने क्या किया है. एक भारतीय के तौर पर मैं उसे बिल्कुल भी स्वीकार नहीं कर सकती हूं. जब भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, तब बाहर जाकर इस प्रकार के बयान दिए जाते हैं. लेकिन जो सांसद सदन से ही नदारद रहते हों, उनको लेकर हम क्या ही स्पीच दे सकते हैं, क्या बोल सकते हैं.

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