scorecardresearch
 

India Today Conclave: महिला वोटबैंक से निकलेगा सियासत में महिला सशक्तिकरण का रास्ता?

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में महिला राजनीति और महिलाओं की राजनीति में हिस्सेदारी पर एक सार्थक चर्चा हुई है. सभी पार्टी की वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की और इस बहस को अंजाम तक पहुंचाने का प्रयास किया. प्रियंका चतुर्वेदी से लेकर पंकजा मुंडे तक, सभी ने एक सुर में माना कि राजनीति में महिलाओं को खुद को साबित करना एक चुनौती रहता है.

Advertisement
X
महिला वोटबैंक और महिला राजनीति का कनेक्शन
महिला वोटबैंक और महिला राजनीति का कनेक्शन

India Today Conclave Mumbai: इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में महिला राजनीति और महिलाओं की राजनीति में हिस्सेदारी पर एक सार्थक चर्चा हुई है. सभी पार्टी की वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की और इस बहस को अंजाम तक पहुंचाने का प्रयास किया. प्रियंका चतुर्वेदी से लेकर पंकजा मुंडे तक, सभी ने एक सुर में माना कि राजनीति में महिलाओं को खुद को साबित करना एक चुनौती रहता है.

Advertisement

चर्चा में इस बात पर भी जोर रहा कि वर्तमान में महिला वोटबैंक की वजह से सभी राजनीतिक दलों ने महिलाओं की अहमयित को भी समझ लिया है. राजनीति में उन्हें भी बड़े अवसर दिए जा रहे हैं. इस बारे में शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी कहती हैं कि अब जिस प्रकार की राजनीति हो गई है, सभी दल महिलाओं की अहमियत को समझते हैं. उन्हें भी पता है कि बिना महिला वोट के उनका जीतना मुश्किल है. इसी बात को आगे बढ़ाते हुए बीजेपी नेता पंकजा मुंडे बताती हैं कि अब महिलाओं को ध्यान में रखकर कई योजनाएं बनाई जा रही हैं. फिर चाहे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ हो या फिर कोई दूसरी योजना. 

लेकिन पंकजा इस बात पर भी जोर देती हैं कि राजनीति में कभी भी लिंग के आधार पर ये तय नहीं होना चाहिए कि कौन ज्यादा बेहतर उम्मीदवार होगा. जनता को सिर्फ उसे चुनना चाहिए जो सबसे बेहतर हो, जो उनकी सही मायनों में सेवा कर सके. कांग्रेस नेता प्रणिती शिंदे दे ने इसी बहस को और विस्तार देते हुए बताया कि महिलाओं को राजनीति में काफी जल्दी जज कर लिया जाता है. लेकिन इस समाज में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए आवाज बुलंद करनी पड़ती है.

Advertisement

प्रणिती ने इस बात को स्वीकार किया कि परिवारवाद की वजह से कुछ हद तक राजनीति में फायदा होता है. प्रणिती शिंदे के पिता सुशील कुमार शिंदे कांग्रेस के बड़े नेता हैं, उन्होंने कई बड़े मंत्रालय संभाले हैं. ऐसे में प्रणिती मानती हैं कि पहले चुनाव तक तो परिवारवाद की वजह से फायदा होता है. लेकिन बाद में हर महिला को काफी कुछ साबित करना पड़ता है. फिर सिर्फ आपका काम बोलता है. उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि उनके पिता की वजह से उनकी कई बार तुलना की जाती है. उससे भी निपटना एक चुनौती रहता है.

वहीं बीजेपी सांसद हीना गावित ने भी राजनीति में आने का अपना एक्सपीरियंस शेयर किया. उन्हें इस बात से ज्यादा तकलीफ है कि लोग महिलाओं को उनके काम से ज्यादा उनके कपड़ों से जज कर लेते हैं. उनकी तरफ से जोर देकर कहा गया कि महिलाएं क्या पहनती हैं, इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. उन्होंने ये भी बताया कि वे एक डॉक्टर हैं, उन्होंने MBBS किया है, लेकिन अब उन्हें लगता है कि राजनीति का काम MBBS से ज्यादा मुश्किल होता है क्योंकि इसका सिलेबस कभी खत्म नहीं होता.

सभी महिला पैनालिस्ट्स ने इस बात को भी स्वीकार किया कि अब राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ रही है. पहले की तुलना में लोगों की सोच में बदलाव आ रहा है. पहले महिलाओं को कुछ भी मंत्रालय तक सीमित कर दिया जाता था, लेकिन अब महिलाएं वित्त मंत्री भी बनती हैं, रक्षा मंत्रालय भी संभालती हैं और विदेश मंत्री की भूमिका भी निभा लेती हैं.

Advertisement

Advertisement
Advertisement