भारत अपनी सीमा पर रक्षा संबंधी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. लेकिन साथ ही यह भी एक बड़ी चुनौती है कि भारत दुनिया में रक्षा साजो-सामान का दूसरा सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है. मोदी सरकार ने हाल में आजादी के बाद ऐसे कई बड़े सुधार किये हैं जिनसे इस हालात में बदलाव में मदद मिलेगी और जिनका लक्ष्य सैन्य साजो-सामान के उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है. इंडिया टुडे ग्रुप के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर (पब्लिशिंग) राज चेंगप्पा ने इंडिया टुडे डिफेंस समिट के उद्घाटन के मौके पर यह बात कही.
उन्होंने कहा, 'कोरोना संकट जैसी आंतरिक चुनौतियों के साथ ही भारत सीमा पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. चीन नियंत्रण रेखा पर आक्रामकता दिखा रहा है. पिछले 45 साल में पहली बार गोलियां चलती देखी गईं. पाकिस्तान भी कोई अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा और वह भी नियंत्रण रेखा को खूनी संघर्ष का इलाका बनाए हुए है.'
भारत रक्षा पर खर्च करने वाले टॉप 5 देशों में
उन्होंने कहा कि दो अनसुलझी सीमाओं और दो पड़ोसी न्यूक्लियर दुश्मन देशों के रहते भारत के सामने सुरक्षा की कई चुनौतियां हैं. इसके लिए भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्मी, चौथी सबसे बड़ी एयरफोर्स और सातवीं सबसे बड़ी नौसेना है. भारत हर साल 4.7 लाख करोड़ रुपये के खर्च के साथ डिफेंस में खर्च करने वाले दुनिया के पांच बड़े देशों में शामिल है.
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तीन बड़ी चुनौतियां
उन्होंने कहा कि भारत के रक्षा सेक्टर के लिए तीन बड़ी चुनौतियां हैं. पहला, पुराने पड़ चुके हथियारों और साजो-सामान का आधुनिकीकरण करना, दूसरा अपने मिलिट्री हार्डवेयर का स्वदेशीकरण करना ताकि हम आत्मनिर्भर हों और तीसरा अपने कॉम्बैक्ट पावर को इस तरह से तैयार करना कि वह सीमा की किसी तरह की चुनौतियों का मुकाबला कर सके.
इस साल हुए कई बड़े सुधार
इस साल मोदी सरकार ने कई ऐसे प्रयास किये हैं जिससे भारत को दुनिया का सैन्य साजो-सामान उत्पादन का केंद्र बनाया जा सके. हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े डिफेंस हार्डवेयर के आयातक हैं. साल 2014 से 2019 के बीच दुनिया के हथियार बिक्री का 9.5 फीसदी भारत में आया.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भारत को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाना चाहती है ताकि आयातित हथियारों पर विदेशी निर्भरता कम हो. स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोदी सरकार ने कई सुधार किये हैं.
राज चेंगप्पा ने कहा, 'रक्षा मंत्रालय ने डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में सालाना टर्नओवर 12 अरब डॉलर से बढ़ाकर 25 अरब डॉलर तक करने का अगले पांच साल में महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. इसके साथ ही 5 अरब डॉलर के सैन्य साजो-सामान निर्यात का भी लक्ष्य रखा गया है. डिफेंस सेक्टर में एफडीआई को 49 से 74 फीसदी किया गया. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद का सृजन किया गया और रक्षा खरीद की नई नीति लागू की गई.