छोटे हथियारों के उत्पादन में भी भारत आज तक आत्मनिर्भर नहीं हो पाया है. आखिर कमी कहां है, भारत के पास टेक्नोलॉजी की कमी है या क्षमता की? इन सभी सवालों पर इंडिया टुडे डिफेंस समिट में शामिल एक्सपर्ट ने खुलकर अपनी राय रखी.
क्षमता की कमी नहीं
इन्फैंट्री के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी ने कहा कि भारत के पास किसी भी तरह से क्षमता की कमी नहीं है. हम बहुत क्षमतावान देश हैं और कुछ भी कर सकते हैं. हमारे पास बहुत बड़ा बाजार है और दुनिया की सबसे विशाल सेनाओं में से हैं. छोटे हथियारों के लिए भारत में बहुत विशाल बाजार है. हमारे पास खुद अपना ही विशाल बाजार है.
उन्होंने कहा, 'अब सवाल यह है कि हमें आयात करने की जरूरत क्यों है? यहां यह देखना महत्वपूर्ण कि यूजर क्या चाहता है? यूजर चाहता है कि जिस सेगमेंट का वह चुनाव करता है उसमें उसे एक्यूरेसी, कॉम्पैक्टिबिलिटी, रिलायबिलिटी मिले. यूजर ऐसी क्षमता का हथियार चाहता जो उसकी जरूरतों को पूरा करे. ऐसा हथियार जो कैरी करने में आसान हो. वह ऐसा हथियार चाहता है जो उसकी जरूरत के रेंज का हो.
यूजर का भरोसा जरूरी
उन्होंने कहा कि कोई भी हथियार भरोसमंद होने चाहिए, यूजर या सैनिक का भरोसा होना बहुत जरूरी है. हमारे जवानों को गुणवत्तापूर्ण और आसानी से ढोने लायक और आसान रखरखाव वाले हथियारों की जरूरत है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि यदि हमारे जवानों को मेक इन इंडिया हथियार इस्तेमाल करने को मिले तो वे खुश होंगे.
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इंडस्ट्री को टिकाऊ बनाना होगा
Ordnance Factory Board के पूर्व चेयरमैन हरि मोहन ने कहा, 'हमें पहले हमें यह समझना होगा कि छोटे हथियारों को बनाने वाले उद्योग छोटे नहीं हैं. हमें ऐसे बिजनेस मॉडल की जरूरत है, जो लॉन्ग टर्म तक टिकाऊ रह सके. इस इंडस्ट्री को जब तक लॉन्ग टर्म बेसिस पर टिकने लायक नहीं बनाया जाएगा, उसका चलना मुश्किल होगा और वह सेना की सेवा नहीं कर पाएगी. इस इंडस्ट्री को मुनाफा कमाने लायक बनाना ही होगा.'
उन्होंने कहा, 'क्या हमारे पास टेक्नोलॉजी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, क्षमता की कमी है, क्या हमारे पास इंजीनियर्स या साइंटिस्ट की कमी है तो जवाब है नहीं. देश में पूरी क्षमता है और कुछ कमी है तो उसे भी आसानी से दूर किया जा सकता है.' उन्होंने कहा कि अगर अभी तक हमें आयात करने की जरूरत पड़ रही है तो इसे सिस्टम की विफलता कह सकते हैं.
क्या है आत्मनिर्भर होने का मतलब
SSS Defence के CEO विवेक कृष्णन ने कहा, 'आत्मनिर्भर भारत का मतलब सिर्फ भारत में हथियार बनाना नहीं बल्कि हमारे जवानों को भविष्य में लगातार आपूर्ति करने की व्यवस्था भी है. हम टेक्नोलॉजी के लिहाज से 20 साल पीछे हैं. अमेरिका, यूरोप टेक्नोलॉजी का लगातार विकास करते रहे हैं.' उन्होंने कहा कि हमें ऐसा प्रोडक्ट बनाना होगा जो अभी आयात हो रहे उत्पादों से बेहतर हो. जिसके स्पेयर पार्ट्स के लिए किसी और देश पर निर्भर न रहना पड़े.