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India Today Health Conclave 2023: 'होम्योपैथी रोगी का इलाज करती है, रोग का नहीं', बोले डॉ कौशिक

इंडिया टुडे हेल्थ कॉन्क्लेव के एक सत्र में सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी के डायरेक्टर जनरल डॉ सुभाष कौशिक ने कहा कि वेल क्वालिफाइड होम्योपैथिक डॉक्टर के पास निश्चित ही हर एक बीमारी का इलाज है. लेकिन दो-चार किताबें पढ़कर बने होम्योपैथिक डॉक्टरों ने होम्योपैथ को काफी नुकसान पहुंचाया है.

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इंडिया टुडे कॉन्कलेव में अपनी बात रखते हुए दिग्गज
इंडिया टुडे कॉन्कलेव में अपनी बात रखते हुए दिग्गज

दिल्ली में आयोजित इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में शिरकत करते हुए सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी के डायरेक्टर जनरल डॉ सुभाष कौशिक ने कहा कि वेल क्वालिफाइड होम्योपैथिक डॉक्टर के पास निश्चित ही हर एक बीमारी का इलाज है.

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वहीं, सेंट्रल काउंसिल ऑफ रिसर्च इन आयुर्वेदिक मेडिसिन्स के डायरेक्टर जनरल रवीनारायण आचार्य  ने कहा कि आयुर्वेद में भी इलाज संभव है. कोविड के दौरान हमने दिखाया भी कि आयुर्वेद से इसे रोका जा सकता है. लेकिन वर्तमान में हमें इस पर और काम करने की जरूरत है.

सबको साथ लेकर जुड़ने और आगे बढ़ने के ख्याल के साथ इंडिया टुडे हिंदी पत्रिका पहला हेल्थ कॉन्कलेव का आयोजन कर रही है. कॉन्क्लेव के इस अहम सत्र में सेंट्रेल काउंसिल फॉर रिसर्च इन यूनानी मेडिसिन के डायरेक्टर जनरल डॉ एन जहीर अहमद, सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी के डायरेक्टर जनरल डॉ सुभाष कौशिक और सेंट्रल काउंसिल ऑफ रिसर्च इन आयुर्वेदिक मेडिसिन्स के डायरेक्टर जनरल प्रो रवीनारायण आचार्य ने हिस्सा लिया. इस दौरान तीनों ने भारत में आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धित के भविष्य पर खुलकर बात की.

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यूनानी चिकित्सा पद्धित के विकास और भविष्य की संभावनाओं पर टिप्पणी करते हुए यूनानी मेडिसिन के डायरेक्टर जनरल डॉ एन जहीर अहमद ने कहा, " यूनानी दरअसल ग्रीस से निकला हुआ नाम है. ग्रीस के महान फिलॉसफर व फिजीशियन बुकरात को फादर ऑफ मेडिसिन भी कहा जाता है. इसे ग्रीस ने डेवलप किया. ग्रीस से रोम गया. फिर रोम से अरब. इसी तरह धीरे-धीरे कई देशों से होकर 9 वीं शताब्दी में भारत आया. चूंकि, इतने देशों से होकर यूनानी पद्धति भारत आया. लेकिन भारत आकर इसे पूरी तरह से डेवलप कर दिया गया. 

होम्योपैथी रोगी का इलाज करती है, रोग का नहीं: डॉ. कौशिक

वहीं, होम्योपैथी को लेकर लोगों के बीच फैले भ्रम पर टिप्पणी करते हुए सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी के डायरेक्टर जनरल डॉ सुभाष कौशिक ने कहा कि होम्योपैथ इलाज के लिए डॉक्टर का वेल क्वालिफाई होना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि पहले पढ़े-लिखे लोग रिटायरमेंट के बाद दो-चार होम्योपैथी के बुक ले आते थे.और उसे पढ़कर इलाज करना शुरू कर देते थे. क्योंकि भ्रांतियां ऐसी हैं कि होम्योपैथी का कोई साइट इफैक्ट नहीं है. मीठी गोली है. चलो फायदा नहीं करेगी तो नुकसान भी नहीं करेगी. उनके लिए ठीक भी था. दिन भर में अगर उनके पास 10 मरीज आते थे और उनमें से एक भी ठीक हो गया तो उनके लिए बड़ी उपलब्धि थी. लेकिन उससे नुकसान होम्योपैथी को हुआ. चूंकि जो नौ लोग ठीक नहीं हुए वो कहीं जाएंगे तो यही कहेंगे कि होम्योपैथी दवा ली थी लेकिन काम नहीं किया. अगर वेल क्वालिफाइड होम्योपैथ डॉक्टर के पास जाएं तो निश्चित रूप से उनके पास इलाज है. 

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डॉ कौशिक ने आगे कहा कि एलोपैथी वाले हमारे दवा बनाने के तरीके से एग्री नहीं करते हैं. उनका कहना है कि अगर फिजिकल कुछ है ही नहीं तो होम्योपैथ मरीज पर काम कैसे करेगी. जो होम्योपैथी लेते हैं सबको यह पता है कि होम्योपैथी काम करती है लेकिन कैसे काम करती है इसका जवाब हमारे पास भी कई बार नहीं होता है. साइंस हमेशा इवोल्विंग होती है. लेकिन हम (होम्योपैथ) अभी भी उसी पद्धति पर काम कर रहे हैं. 

हमें और काम करने की जरूरत: प्रो. रवीनारायण आचार्य 

सेंट्रल काउंसिल ऑफ रिसर्च इन आयुर्वेदिक मेडिसिन्स के डायरेक्टर जनरल रवीनारायण आचार्य ने कहा कि चाहे यूनानी चिकित्सा पद्धति हो आयुर्वेद पद्धति हो या होम्योपैथ पद्धति. तीनों सिस्टम हजारों सालों से चले आ रहे हैं. सभी के अपने फंडामेंटल हैं. अगर नहीं होते तो अभी तक मौजूद नहीं रहते. कोविड के दौरान भी हमने दिखाया कि आयुर्वेद से कोविड को रोका जा सकता है. लेकिन वर्तमान में हमें और काम करने की जरूरत है. 
 


 

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