'इंडिया टुडे हेल्थ कॉन्क्लेव' में शिरकत करते हुए राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ. शुभ्रा सिंह ने बताया कि कैसे राजस्थान आज एक हेल्थ सेक्टर में एक मॉडल स्टेट बन गया है. उन्होंने कहा कि पहले राजस्थान की गिनती बीमारू राज्य के रूप में होती थी क्योंकि हमारी भगौलिक परिस्थितियां ऐसी थी और संसाधनों की कमी थी. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद काफी जद्दोजेहद रही और सामाजिक सूचकांक ऐसे थे कि लगता था कि राजस्थान की वजह से भारत की प्रगति भी नीचे आ रही है. गरीबी और स्वास्थ्य का ऐसा संबंध है जो सरकार के लिए भी चुनौती है.
राजस्थान का हेल्थ मॉडल
डॉ. शुभ्रा ने बताया, 'आज राजस्थान में एक निरोगी हेल्थ मॉडल है. जिसके तहत यूनिवर्सल हेल्थ की वर्षों पुरानी हमारी परिकल्पना साकार हो रही है.पिछले एक दशक हुए सुधारों की बदौलत आज राजस्थान मॉडल हेल्थ स्टेट के रूप में अपनी पहचान बना रहा है. 2011 में मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना लागू हुई, उसके बाद 2013 में मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना आई. 2021 में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना आई जो आयुष्मान भारत की परिष्कृत रूप है.मई 2022 में मुख्यमंत्री नि:शुल्क निरोगी राजस्थान योजना आई. राजस्थान देश का पहला राज्य है जिसने राइट टू हेल्थ एक्ट अपनाया है.यह बहुत बड़ा कदम है. '
उन्होंने इस दौरान बताया कि कैसे राजस्थान सरकार अपने लोगों को हेल्थ के सेक्टर में मदद प्रदान कर रही है. उन्होंने कहा कि देश में जहां 44 फीसदी लोग हेल्थ इंश्योरेंस के कवर में आते हैं तो राजस्थान में यह 88 फीसदी है. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत में 5 लाख रुपये का कवर मिलता है तो राजस्थान में यह 25 लाख रुपये का है. उन्होंने बताया कि कैसे एक ऐप की बदौलत राजस्थान सरकार जन-जन तक पहुंच रही है.
रवि दाधीच ने जनऔषधि क्षेत्र की गिनाई उपलब्धियां
भारतीय औषधि एवं चिकित्सा उपकरण ब्यूरो (पीएमबीआई) के रवि दाधीच ने बताया, 'प्रधानमंत्री जन औषधि योजना पूरे देश में 750 जिलों में यह फैली हुई है. 9 साल पहले जहां देश में केवल 80 जनऔषिधि केंद्र थे और इनकी संख्या 9600 हो गई है और लगातार बढ़ रही है. इससे लोगों को कम कीमत में अच्छी दवा मिल रही है और इन नौ सालों में लोगों ने अपनी जेब से 20 हजार करोड़ रुपये बचाए हैं.इन जैनरिक दवाओं की कीमत काफी कम है. लगभग 1800 दवाइयां आज जनऔषधि के प्रोडक्ट बास्केट में हैं और 285 सर्जिकल आइटम् इसमें शामिल है.'
उन्होने बताया कि नेशनल मेडिकल कमीशन और राज्य सरकारों ने भी अपने सरकारी अस्पतालों में ये आदेश दिया है कि सभी दवाइयों के जैनरिक नेम लिखे जाए तांकि लोग उन्हें ले सकें और अपना पैसा बचा सकें.' उन्होंने बताया कि कैसे देश के चार वेयर हाउस के जरिए पूरे देश में ये दवाएं भेजी जाती हैं.