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भारतीय वायु सेना ने आधी कर दी विदेशी फाइटर जेट्स की खरीद, अब ये है प्लान

दुनिया के सबसे बड़े मल्टी रोल फाइटर जेट्स की खरीद प्रोग्राम में लड़ाकू विमानों की संख्या को भारत ने आधा कर दिया है. मकसद है स्वदेशी रक्षा उद्योग को मौका देना. अब 114 फाइटर जेट्स के बजाए सिर्फ 57 फाइटर जेट्स ही खरीदे जाएंगे.

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Indian Air Force अब विदेशी मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट कम खरीदेगी, देसी को बढ़ावा देगी. (फोटोः विकिपीडिया)
Indian Air Force अब विदेशी मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट कम खरीदेगी, देसी को बढ़ावा देगी. (फोटोः विकिपीडिया)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • स्वदेशी फाइटर जेट्स किए जाएंगे तैनात
  • देसी रक्षा उद्योग को दिया जाएगा बढ़ावा

भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) ने दुनिया की सबसे बड़ी मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट्स (MRFA) खरीद में लड़ाकू विमानों की संख्या को आधा कर दिया है. पहले 114 फाइटर जेट्स खरीदे जाने थे, जो अब 57 रह गए हैं. इसके पीछे वजह ये है कि स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा. अब भारतीय रक्षा कंपनियां ये काम पूरा करेंगी. डिफेंस एक्वीजिशन प्रोसीजर 2020 के तहत 57 फाइटर जेट्स के लिए विदेशी कंपनियों को अपनी तकनीक भारतीय कंपनियों को ट्रांसफर करनी होगी. 

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आत्मनिर्भर भारत प्रोजेक्ट के तहत यह फैसला लिया गया है. ताकि रक्षा उत्पादों का आयात कम किया जा सके. साथ ही देसी रक्षा उद्योग को बढ़ावा दिया जा सके. रक्षा आधुनिकीकरण के लिए घरेलू बाजार को सहारा और ग्रोथ देने के लिए यह योजना बनाई गई है. सिर्फ इतना ही नहीं भारतीय नौसेना (Indian Navy) पहले 57 डेक बॉर्न विदेशी फाइटर्स खरीदने वाली थी, जिसे घटाकर 27 कर दिया गया है. 

ये है रूस की मिग-35, जिसके लिए रूस भारत के साथ डील करना चाहता है.
ये है रूस की मिग-35, जिसके लिए रूस भारत के साथ डील करना चाहता है.

मुद्दा ये नहीं है कि कटौती की गई है. अब घरेलू रक्षा कंपनियों के लिए यह मौका भी है और चुनौती भी. भारतीय वायु सेना ने 114 फाइटर्स के लिए साल 2018 में वैश्विक कंपनियों से बात शुरु की थी. विदेशी कंपनियों में से लॉकहीड मार्टिन ने F-21, बोइंग ने F-15EX और F/A-18 Super Hornet, डैसो राफेल, साब ग्रिपेन, यूरोपियन कंसोर्टियम यूरोफाइटर, सुखोई-एस 35 और मिग-35 ने रुचि दिखाई थी. 

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सुखोई-30 का अपग्रेडेड वर्जन है सुखोई-35एस मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट.
सुखोई-30 का अपग्रेडेड वर्जन है सुखोई-35एस मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट. 

इससे पहले मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्टर (MMRCA) की खरीद के लिए 126 फाइटर जेट्स की डिमांड रखी गई थी. लेकिन यह सफल नहीं हो पाई. अंत में फ्रांस से 36 डैसो राफेल फाइटर जेट खरीदे गए. विदेशी विमानों की खरीद के चलते भारतीय वायु सेना का वह सपना पूरा नहीं हो पाएगा...जो अगले 15 सालों में 35 स्क्वाड्रन बनाने का था. क्योंकि विदेशी फाइटर जेट्स को भारतीय भौगोलिक स्थितियों और तकनीकी के अनुसार बदलना होता है. काफी ज्यादा समय और पैसा लगता है. फिर ट्रेनिंग का खर्च अलग. 

भारतीय वायुसेना को अगले कुछ दशकों में मिराज-2000, मिग-29 और जगुआर फाइटर जेट्स को रिटायर करना है. मिग-21 के स्क्वाड्रन को 2024 तक खत्म करना है. फिलहाल अत्याधुनिक राफेल के दो स्क्वाड्रन सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं. 2024 तक 83 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट एमके 1ए मिल जाएंगे. LCA Mk-2 और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) इस दशक के अंत तक मिल जाएंगे. 

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