भारतीय वायुसेना ने चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर संचालन की जरूरतों को देखते हुए 2025-26 के लिए लड़ाकू विमान, जासूसी विमान और विभिन्न रडार सिस्टम्स की खरीद की योजना बनाई है. रक्षा मंत्रालय द्वारा पार्लियामेंट में पेश स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में वायुसेना ने कई उपकरणों को अपनी प्रमुख प्राथमिकताओं में रखा है.
इनमें निम्न स्तर के रडार, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर्स, मल्टीरोल हेलिकॉप्टर्स और मिड एयर रिफ्यूलर एयरक्राफ्ट का लीजिंग शामिल हैं. वायुसेना की अन्य प्राथमिकताओं में रूस-निर्मित सुखोई-30 लड़ाकू विमानों का स्वदेशी अपग्रेड, सिग्नल इंटेलिजेंस और कम्युनिकेशन जैमिंग एयरक्राफ्ट और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट शामिल हैं.
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मिसाइल सिस्टम, एयरक्राफ्ट, फुल मिशन सिम्युलेटर्स जैसे हथियारों की खरीद
अधिग्रहण की प्रक्रियाओं में हुए बदलावों के संदर्भ में, रक्षा मंत्रालय ने पिछले पांच वर्षों में स्वदेशी कंपनियों से की गई खरीदारी की जानकारी दी है. वित्ती वर्ष 2024 तक, विभिन्न प्लेटफार्मों जैसे कि मिसाइल सिस्टम, एयरक्राफ्ट, फुल मिशन सिम्युलेटर्स, ट्रेनर एयरक्राफ्ट, और अन्य उपकरणों के अपग्रेडेशन में 139,596.60 करोड़ खर्च किए गए हैं.
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स्वदेशी फाइटर्स, ट्रांसपोर्ट, हेलिकॉप्टर का उत्पादन बढ़ाने की तैयारी
रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारतीय वायुसेना आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत स्वदेशी रक्षा निर्माण में अपने फोकस को भी बढ़ा रही है. इसके तहत, वायुसेना स्वदेशी फाइटर्स, ट्रांसपोर्ट, हेलिकॉप्टर और ट्रेनर एयरक्राफ्ट के उत्पादन को बढ़ाना चाहती है. साथ ही एयर-टू-एयर हथियार, एयर-टू-ग्राउंड हथियार, सरफेस टू एयर गाइडेड हथियार, मानव रहित ड्रोन और रडार सिस्टम्स पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है.