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भारतीय वायुसेना की बढ़ेगी ताकत, रूस से मिलेंगी 70 हजार AK-103 असॉल्ट राइफल्स

भारतीय वायुसेना में इन नए हथियारों का इस्तेमाल इंसास सीरीज राइफलों (INSAS series rifles) को बदलने के लिए किया जाएगा जो पिछले 20 साल से वहां मौजूद है. सूत्रों ने कहा कि नए हथियार वायुसेना को उन आतंकवादियों के खतरे से निपटने में भी मदद करेंगे.

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एके-103 राइफल के साथ मरीन कमांडो (सांकेतिक)
एके-103 राइफल के साथ मरीन कमांडो (सांकेतिक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भारत ने रूस के साथ किया आपातकालीन सौदा
  • दोनों देशों के बीच 300 करोड़ रुपये के सौदे पर करार
  • सबसे पहले श्रीनगर जैसे क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के मिलेंगे

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए जरुरी कदम अपना रहा है. ऐसे में भारत, सुरक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार मुस्तैद है. इस बीच भारतीय वायुसेना ने आपातकालीन सौदे के तहत रूस से 70,000 AK-103 असॉल्ट राइफल खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है.

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असॉल्ट राइफल का उपयोग आतंकवाद और अन्य परिचालन भूमिकाओं के लिए अपने सैनिकों को लैस करने के लिए किया जाएगा. शीर्ष सरकारी सूत्रों ने आजतक/इंडिया टुडे को बताया कि पिछले हफ्ते 70,000 एके-103 असॉल्ट राइफलों के लिए करीब 300 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए गए थे, जो सैनिकों को आतंकवादी हमलों और अन्य आवश्यकताओं के खिलाफ एक प्रभावी हथियार के रूप में प्रदान किए जाएंगे.

यह करार ऐसे समय में किया गया है जब भारतीय हितों के खिलाफ पाकिस्तान स्थित सक्रिय आतंकी समूहों को अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना द्वारा छोड़े गए अमेरिकी हथियारों मिलने की संभावना है.

क्लिक करें- Exclusive: अब सिग साउर और तावोर असॉल्ट राइफल के साथ आतंकियों के खिलाफ चलेगा ऑपरेशन

भारतीय वायुसेना में इन नए हथियारों का इस्तेमाल इंसास सीरीज राइफलों (INSAS series rifles) को बदलने के लिए किया जाएगा जो पिछले 20 साल से वहां मौजूद है. सूत्रों ने कहा कि नए हथियार वायुसेना को उन आतंकवादियों के खतरे से निपटने में भी मदद करेंगे जो आने वाले समय में अफगान स्थिति को देखते हुए बेहतर ढंग से सुसज्जित हो सकते हैं.

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समाचार एजेंसी ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इन हथियारों को सबसे पहले संवेदनशील एयरपोर्ट्स के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर, श्रीनगर जैसे मैदानी क्षेत्रों में सैनिकों को सौंपा जाएगा.

6.5 लाख राइफलों की दरकार

एएनआई के अनुसार, हथियारों की जरूरत का शेष हिस्सा भारत और रूस द्वारा एक साथ भारत के अंदर ही अधिक उन्नत AK-203 राइफल का उत्पादन करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद पूरा किया जाएगा. AK-203 असॉल्ट राइफलों के करार को सेना के तहत तैयार किया जा रहा है, जिसे अपने सैनिकों की मारक क्षमता को मजबूत करने के लिए अभी करीब 6.5 लाख राइफलो की जरुरत है.

AK-103 मजबूत यांत्रिकी और आधुनिक सुविधाओं से लैस एक बेसिक इंफेंट्री का असॉल्ट राइफल है. फोरहैंड का डिजाइन बेहतर बहुमुखी सुविधाएं प्रदान करता है क्योंकि इसमें कई सामान और उपकरण सामरिक महत्व के हैं. फोल्डिंग बटस्टॉक ऑपरेटर की सामरिक क्षमताओं को बढ़ाता है और परिवहन का व्यापक चयन प्रदान करता है.

AK राइफल की पिछली पीढ़ियों की 7.62x39mm मैगजीन AK-103 के साथ भी अनूकूल है, जो युद्ध की तैयारी को बढ़ाती है. और यह युद्ध में सैनिकों के जीवन को बचा सकती है. कलाश्निकोव राइफल्स की 100वीं सीरीज के लिए AK-103 में लागू किए गए अधिकांश डिजाइन और सामग्री सामान्य हैं.

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