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'तिहाड़ जेल में बंद आतंकी को IC814 प्लेन हाइजैक होने के बारे में पहले से पता था...', बोले दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी

दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी राव ने कहा कि जब हमें आदेश दिया गया कि एक आतंकी को जेल से छुड़वाकर उसे इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर हैंडओवर करना है तो बहुत दुख हुआ. क्योंकि जिस आतंकी को हम पकड़ने का काम करते हैं, उसे आज छोड़ने का काम करना पड़ रहा है. लेकिन सरकार ने फैसला लिया था तो उसका पालन करना पड़ा क्योंकि सरकार ने सोच-समझकर ही फैसला लिया होगा. 

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इंडियन एयरलाइंस के हाइजैक प्लेन 1C814 की एक तस्वीर
इंडियन एयरलाइंस के हाइजैक प्लेन 1C814 की एक तस्वीर

24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस के एक प्लेन IC-814 को आतंकियों ने हाइजैक कर लिया था. उस समय विमान में 191 लोग सवार थे. आतंकियों ने भारत की जेल में बंद खूंखार आतंकी मसूद अजहर सहित तीन आतंकवादियों की रिहाई के बदले आठ दिन बाद 31 दिसंबर को सभी यात्रियों को रिहा कर दिया था.इस मामले पर दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी एल एन राव ने बताया कि जेल में बंद आतंकी को प्लेन के हाइजैक होने की पहले से जानकारी थी.

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पूर्व डीसीपी राव ने कहा कि जब हमें आदेश दिया गया कि एक आतंकी को जेल से छुड़वाकर उसे इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर हैंडओवर करना है तो बहुत दुख हुआ. क्योंकि जिस आतंकी को हम पकड़ने का काम करते हैं, उसे आज छोड़ने का काम करना पड़ रहा है. लेकिन सरकार ने फैसला लिया था तो उसका पालन करना पड़ा क्योंकि सरकार ने सोच-समझकर ही फैसला लिया होगा. 

उन्होंने कहा कि मैं स्टाफ और कमांडो साथ लेकर जिप्सी से पहले तीस हजारी कोर्ट गया. दरअसल रिलीज वॉरंट कोर्ट से बनवाना पड़ता है. किसी भी आतंकी या अपराधी को छोड़ने के लिए पहले कोर्ट से उसकी रिहाई का वारंट तैयार करवाया जाता है. इस वॉरंट में कहा गया कि सरकार के आदेश पर इस आंतकी को रिलीज किया जा रहा है. वो रिलीज वॉरंट लेकर मैं जेल में गया और जेल सुपरिंटेंडेंट से मिला. 

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यह पूछने पर कि आप कितने लोग थे? मुझे मिलाकर जिप्सी में कुल पांच लोग थे. तिहाड़ जेल में वारंट दिया और जेलर ने उसे वेरिफाई किया. इस दौरान मुझे आधा-पौना घंटा इंतजार करना पड़ा. उसके बाद जेल से बुलाकर हैंडओवर किया गया. 

यह पूछने पर कि जब पहली बार आपने आतंकी उमर सईद शेख को तिहाड़ जेल में देखा. तो उसके क्या हाव-भाव थे? इस पर राव ने बताया कि वह छह लंबा-चौड़ा हैंडसम लड़का था. उसका कद लगभग छह फीट का था. उम्र भी ज्यादा नहीं थी. उस समय 25 से 30 साल की उम्र होगी. उसके चेहरे पर खुशी के भाव थे. उसे पता था कि वह जेल से छूटने जा रहा है. हम उसका चेहरा पढ़ सकते थे, उसे कोई टेंशन नहीं थी. हम उसे लेकर आईजीआई एयरपोर्ट गए क्योंकि एयरपोर्ट पहुंचने का समय तय था. हम जब जेल से उसे लेकर चले तो रास्ते में उससे बातें करने लगे. हमने पूछा कि तुम्हें तो मालूम होगा ना कि तुम्हें छोड़ा जा रहा है. उसने बड़े आसानी से बताया कि हां, मुझे तो एक हफ्ता पहले से पता था. उसे एक हफ्ते पहले ही पता चल गया था कि वह जल्दी ही छूटने जा रहा है.

राव ने कहा कि जब उसने मुझसे ये बात कही तो मैंने रास्ते में एक जगह गाड़ी भी रोकी. मैंने सोचा कि ये आदमी छोड़ने लायक नहीं है. मेरी आत्मा भी गवाही नहीं दे रही थी कि इसे छोड़ूं लेकिन कुछ कर नहीं सकते थे. 

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