भारतीय और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख सेक्टर के देपसंग मैदान और डेमचोक में डिसइंगेजमेंट (दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया) की प्रक्रिया जारी है. भारत और चीन की सेनाओं द्वारा देपसांगऔर डेमचोक में सोमवार तक 80-90 फीसदी डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इस प्रक्रिया में सभी प्रकार के बुनियादी ढांचे को हटाना और दोनों पक्षों द्वारा सैनिकों को पीछे हटाना शामिल है. उम्मीद है कि अगले 24 घंटे में डिसइंगेजमेंट प्रोसेसे पूरा हो जाएगा.
इन दोनों क्षेत्रों में भारत और चीन अप्रैल 2020 के पहले वाली स्थिति बहाल करने और पेट्रोलिंग शुरू करने के लिए एक समझौते पर पहुंचे हैं. गलवान घाटी समेत चार बफर जोन पर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है. एक बार जब डेमचोक और देपसांग इलाकों में दोनों देशों के सैनिकों की गश्त शुरू हो जाएगी और विश्वास स्थापित हो जाएगा, तो बचे हुए बफर जोन में गश्त शुरू करने के लिए कोर कमांडर स्तर पर बातचीत होगी. इस स्तर पर बातचीत के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं की गई है.
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भारत और चीन डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक बार इलाके का फिजिकल और एरियल वेरिफिकेशन करेंगे. फिलहाल आपसी भरोसे और विश्वास के आधार पर काम किया जा रहा है. दोनों देशों के स्थानीय सैन्य कमांडर हर सुबह हॉटलाइन पर बात कर रहे हैं, जिसमें तय किया जाता है कि डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के तहत उस दिन क्या कार्रवाई की जानी है. इस दौरान दिन में एक या दो बार दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की बैठकें भी आयोजित की जा रही हैं.
भारत ने 21 अक्टूबर, 2024 को घोषणा की थी कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग को लेकर चार साल से अधिक समय से बने सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए चीन के साथ एक समझौते पर सहमति बनी है. 24 अक्टूबर को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देश समान और पारस्परिक सुरक्षा के सिद्धांतों के आधार पर 'जमीनी हालात' बेहतर करने के लिए आम सहमति पर पहुंच गए हैं.
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भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सेक्टर में एलएसी पर गतिरोध अप्रैल 2020 में तब शुरू हुआ, जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने एकतरफा यथास्थिति (Status-Quo) में बदलाव की कोशिश की. इस घटना के कारण ही दोनों देशों के सैनिकों के बीच 15-16 जून, 2020 की रात गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए और तकरीबन दोगुनी संख्या में चीनी सेना को भी नुकसान पहुंचा. हालांकि, पीएलए ने कभी इस झड़प में मारे गए अपने सैनिकों की आधिकारिक संख्या जारी नहीं गई. इस घटना के बाद से दोनों देशों के संबंधों में काफी तनाव आ गया.