पिछले साल 8 अक्टूबर को लद्दाख में 38 सैनिक हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे. इस दुर्घटना में एक सैनिक का शव मिला था और तीन सैनिकों के शव बर्फ में दबे रह गए थे. बाकी सैनिकों को बचा लिया गया था. जो तीन सैनिक लापता हुए थे उनकी खोजबीन के लिए राहत एवं बचाव का काम शुरू किया गया. हालांकि, अब नौ महीने बाद बाकी बचे तीन सैनिकों के शव बरामद किए गए हैं. इस मिशन का नेतृत्व हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल (HAWS) के कमांडेंट ब्रिगेडियर एसएस शेखावत ने किया था. ब्रिगेडियर एसएस शेखावत ने बताया कि यह ऑपरेशन जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण मिशन था.
उन्होंने बताया, "18,700 फीट की ऊंचाई पर लगातार नौ दिनों तक 10-12 घंटे खुदाई की." "टन भर बर्फ हटाई गई." शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से इस कठिन समय ने पूरी टीम की परीक्षा ली.
भारी कठिनाइयों के बावजूद, ब्रिगेडियर शेखावत ने संतुष्टि की गहरी भावना व्यक्त की. उन्होंने कहा, 'यह मेरे जीवन का सबसे कठिन मिशन रहा है, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से." लेकिन मैं संतुष्ट हूं कि हम उन्हें वापस ले आए. फिलहाल तीन सैनिकों में से एक का अंतिम संस्कार कर दिया गया है और बाकी को उनके घर भेजा जा रहा है.
एसएस शेखावत ने कहा कि राहुल का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया है. ठाकुर और गौतम को उनके परिजनों के पास भेजा जा रहा है, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा, जिसके वे हकदार हैं.
ब्रिगेडियर एसएस शेखावत ने तीन बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की है और भारतीय सेना की ओर से किए गए सबसे कठिन अभियानों में से एक के लिए उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है.